हिमाचल प्रदेश

घर-घर जाकर लोकगीत सुना रहे ढोलरू, कांगड़ा में आज भी लोक संस्कृति कायम

Gulabi Jagat
16 March 2023 9:18 AM GMT
घर-घर जाकर लोकगीत सुना रहे ढोलरू, कांगड़ा में आज भी लोक संस्कृति कायम
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कांगड़ा। चैत्र महीने की शुरुआत होते ही कुछ लोगों की टोली घर-घर घूमती है और लोकगीत सुनाती है। ढोलक की थाप पर गाए जाने वाले गाने को कहते है ढोलरू और इस घुमंतू टोली को कहते हैं ‘ढोलरू वाले।’ यह परंपरा एक समुदाय से संबंधित है, जिसे चैत्र संक्रांति युगल के रूप में भी जाना जाता है, जो अपने मूल स्थानों में घरों में जाते हैं और चैती के दौरान पहाड़ी गीत गाते हैं।
हिमाचल के लोगों के लिए विशेष रूप से कांगड़ा और चंबा जिलों में एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। चैती चैत्र महीने के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है, जो कि बिक्रम संवत के अनुसार हिंदू नव वर्ष का पहला दिन है। इस महीने (चैत्र सक्रांति) का पहला दिन बहुत महत्त्वपूर्ण है और पूरे राज्य में मनाया जाता है।
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