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प्रशासन को ठेंगा, युवाओं ने खुद ही कर दिया ब्राहल खड्ड पर पुलिया का निर्माण
शाहपुर। हम वो नहीं जो मुसीबतों से घबराकर हौसला तोड़ देते हैं, हम वो हैं जो मन में गर ठान लें तो हवाओं का रुख मोड़ देते हैं। कविता की यह पंक्तियां बोह क्षेत्र के मोरछ ब भंगार गढ़घून गांव के युवाओं पर सटीक बैठती हैं। युवाओं ने एकजुट होकर 2 दिन पहले ब्राहल खड्ड का पानी बढ़ने के कारण बही लकड़ी की पुलिया को फिर से बना लिया है। दरअसल मोरछ गांव के लोगों का अधिकांश खेत और दुधार ब्राहल खड्ड के दूसरे किनारे पर स्थित है। खेती और पशुपालन करना है तो खड्ड को पार कर जाना है।
दूसरे किनारे पर पहुंचने के लिए ब्राहल खड्ड में आज तक कोई पुल नहीं बन सका। यहां के किसानों की धान की फसल खड्ड के पार बोई जाती है। बरसात में खड्ड का जलस्तर बढ़ने पर पुली बह जाती है, जिससे यहां का संपर्क दूसरे छोर के गांव से टूट जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि हमारी समस्या कई दशकों से जस की तस बनी हुई है। जनप्रतिनिधियों की ओर से एक छोटा पुल बनवाने की मांग अक्सर की जाती है। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। साल में 2 बार लकड़ी की पुली बनाकर समस्या का वैकल्पिक हल निकालना लोगों की मजबूरी बन गया है। बता दें कि भंगार, मोरछ, गढ़घून व स्पैडा की आबादी करीब हजार से ऊपर हैं।