- Home
- /
- राज्य
- /
- हिमाचल प्रदेश
- /
- SDS नालागढ़ के आदेश के...
हिमाचल प्रदेश
SDS नालागढ़ के आदेश के खिलाफ दर्ज याचिका पर फैसला, पिता की मौत के बाद मां ही बच्चें की पहली अभिभावक
Gulabi Jagat
3 Jun 2023 12:30 PM GMT

x
शिमला
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अवयस्क बच्चों के संरक्षण से संबंधित एक मामले में व्यवस्थता दी कि पिता की मृत्यु के बाद मां ही उनकी प्राकृतिक अभिभावक है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने यह आदेश एसडीएम नालागढ़ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर पारित किए, जिसमें उन्होंने दादा-दादी को नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को सौंपने का निर्देश दिया था। मामले के अनुसार प्रतिवादी प्रीति देवी का विवाह जिला सोलन की तहसील रामशहर के बहलम गांव के अमर सिंह के साथ हुआ था। पति-पत्नी के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों के बीच होने वाले झगड़ों के कारण प्रीति देवी और उसका पति अमर सिंह अपने दो नाबालिग बेटों के साथ नालागढ़ में अलग रह रहे थे। 17 जुलाई, 2022 को अमर सिंह ने आत्महत्या कर ली । मृतक के पिता दर्शन सिंह ने प्रीति देवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है , जिसमें आरोप लगाया है कि उसके बेटे ने अपनी पत्नी द्वारा प्रताडि़त क्रूरता के कारण आत्महत्या की है। परिणामस्वरूप 18 जुलाई, 2022 को प्रीति देवी को गिरफ्तार कर लिया गया और 27 जुलाई, 2022 को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस दौरान बच्चे अपने दादा-दादी के पास रहे। जमानत पर रिहा होने के बाद प्रीति देवी ने अपने बच्चों की कस्टडी के लिए एसडीएम नालागढ़ की अदालत में अर्जी दाखिल की। 23 नवंबर, 2022 को एसडीएम नालागढ़ ने दादा-दादी को नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां प्रीति देवी को सौंपने का निर्देश दिया।
डीडीएम नालागढ़ के आदेश के खिलाफ दादा-दादी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रतिवादी प्रीति देवी के अपने पति के साथ अच्छे संबंध नहीं थे और उसने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया। ऐसे में मां के हाथों में बच्चों का जीवन सुरक्षित नहीं रहेगा। मां के पास बच्चों की देखभाल और पालन-पोषण के लिए कोई साधन नहीं है, जबकि दादा एक भूतपूर्व सैनिक हैं । दूसरी ओरए प्रतिवादी का यह तर्क था कि अगर वह अपने पति द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाती थी, तो उसने आत्महत्या के पश्चात कभी पुलिस को सूचित नहीं किया होता और पुलिस की मदद से उसे अस्पताल नहीं ले जाती। कोर्ट ने सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह मामले को व्यक्तिगत रूप से देखे और न्यायिक कार्यवाही करने वाले अधिकारियों द्वारा न्यायिक कार्यवाही के रिकार्ड का उचित रखरखाव सुनिश्चित करें। यदि आवश्यक हो, तो हिमाचल प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी में न्यायिक कार्य फाइलों से निपटाने वाले अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

Gulabi Jagat
Next Story