हिमाचल प्रदेश

अगले साल के सीजन पर संकट, अढ़ाई महीने के सूखे ने सुखाई सेब बागबानों की सांसें

Gulabi Jagat
26 Dec 2022 11:20 AM GMT
अगले साल के सीजन पर संकट, अढ़ाई महीने के सूखे ने सुखाई सेब बागबानों की सांसें
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में करीब अढ़ाई महीनों से चल रहा ड्राई स्पेल किसानों-बागबानों के लिए चिंता का विषय बन गया है। अढ़ाई महीने से बारिश न होने के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जमीन में मौजूद नमी भी कम होती जा रही है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में सिंचाई के स्रोत उपलब्ध हैं, वहां पर किसानों के लिए हल्की राहत है, लेकिन जिन क्षेत्रों में किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं, वहां पर समस्या ज्यादा खराब हो गई है।
सेब बहुल क्षेत्रों में बागबानों की ङ्क्षचताएं भी बढ़ गई हैं। सूखे कारण कारण अगले साल के सेब सीजन पर संकट मंडरा रहा है। हिमाचल प्रदेश प्रोगेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि सेब व अन्य बागबानी फसलों के लिए चिलिंग ऑवर का होना बहुत जरूरी है। चिलिंग ऑवर में पौधा सुप्तावस्था में चला जाता है। इसके लिए वातारण का औसतन तापमान 7 डिग्री से कम होना चाहिए, जबकि जमीन का तामपान माइनस में होना जरूरी है, लेकिन आलम यह है कि प्रदेश में न तो वातावरण का औसतन तापमान और न ही जमीन का औसतन तापमान 7 डिग्री से कम है। हालांकि रात के समय तापमान में गिरावट जरूर आती हैं, लेकिन दिन में तेज धूप खिलने से रात का सारा असर समाप्त हो जाता है। पौधे के सुप्तावस्था में न जाने के कारण पौधों के बीमों को आराम नहीं मिल पा रहा है। बीमो को आराम न मिलने के प्रभाव आने वाले साल की फ्लावरिंग पर पड़ सकता है।
फ्लावरिंग प्रभावित हुई तो फिर फसल भी प्रभावित होगी।प्रदेश के बागवानों को ड्राई स्पले के कारण बागवानी फसलों के लिए जरूरी चिलिंग ऑवर पूरा न होने का डर सता रहा है। रॉयल किस्म के सेब के लिए 1500 से 1600 चिलिंग ऑवर की आवश्यकता होती है। स्पर किस्म के सेब के लिए 1000 से 1200 चिलिंग ऑवर, गाला किस्म की फसलों के लिए 600 से 800 चिलिंग ऑवर, चैरी की फसल के लिए 1000 और प्लम की किस्म के लिए 500 से 600 चिलिंग ऑवर की आवश्कता पड़ती है।
Gulabi Jagat

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