हिमाचल प्रदेश

मुख्य सचिव ने कर्मचारी चयन आयोग पर एक दिन में दो बार की बैठक, फंसी हुई भर्तियां निकालने की जद्दोजहद

Gulabi Jagat
24 Feb 2023 10:16 AM GMT
मुख्य सचिव ने कर्मचारी चयन आयोग पर एक दिन में दो बार की बैठक, फंसी हुई भर्तियां निकालने की जद्दोजहद
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शिमला: कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को निरस्त करने के फैसले के बाद अब फंसी हुई भर्तियों पर माथापच्ची शुरू हो गई है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने गुरुवार को दो बार इस बारे में बैठक की। सरकार के सामने न सिर्फ रुकी हुई भर्तियों को पूरा करवाने की चुनौती है, बल्कि नई एजेंसी बनाने को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा को पूरा करना भी एक चैलेंज है। गुरुवार को कार्मिक विभाग के साथ बैठक में मुख्य सचिव ने हमीरपुर के कर्मचारी चयन आयोग में नियुक्त कर्मचारियों से संबंधित मसले देखे। इससे पहले सरकार को ऐसी सूचनाएं भी मिली थीं कि विजिलेंस जांच के कारण आयोग में नियुक्त कर्मचारियों को गेट के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। उन्हें राज्य सरकार ने अब सरलस पूल में डाल दिया है और भविष्य में यह किस विभाग में जाएंगे, इसको लेकर इनसे विकल्प लिए जाएंगे, लेकिन जब तक वे किसी विभाग में नहीं जाते, तब तक इनकी सैलरी कैसे निकलेगी, इन तकनीकी पहलुओं पर भी मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही पेपर लीक के बाद सस्पेंड हुए हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में चल रही भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया को अब लोक सेवा आयोग को दिया जाएगा। इस बारे में कार्मिक विभाग राज्य सरकार के फैसले के अनुसार एक रेफरेंस तैयार कर रहा है, जिसे लोक सेवा आयोग की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। लोक सेवा आयोग में इस फैसले को लेने के लिए फुल कमीशन भी बिठाया जा सकता है। इसके बाद लोक सेवा आयोग से निर्णय होते ही अगली प्रक्रिया का पता चलेगा। यह भी संभव है कि लोक सेवा आयोग चल रही जांच के बीच में पहले विजिलेंस ब्यूरो से और जानकारी चाहे। इसके बाद ही आयोग हमीरपुर में पड़े भर्ती संबंधी रिकॉर्ड को हाथ लगाएगा।
नई एजेंसी को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं
जहां तक नई भर्तियों के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए की तर्ज पर कोई एजेंसी बनाने की बात है, तो इस बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इसकी वजह यह है कि कार्मिक विभाग के अधिकारी भी जानते हैं कि एनटीए सिर्फ एडमिशन के लिए स्क्रीनिंग एजेंसी है। यह नौकरियों के एग्जाम नहीं लेती। इसीलिए हिमाचल में भी इस तरह का फैसला लेने से पहले पूरे स्ट्रक्चर को स्टडी करना होगा और यह भी देखना होगा कि नई एजेंसी में कोई पेपर लीकेज न हो, इसकी गारंटी क्या है?
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