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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
शिमला नगर निगम चुनाव के लिए विधानसभा की तर्ज पर चुनाव सूची बनाने को लेकर यह संशोधन किया गया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर 22 अगस्त तक जवाब तलब किया है।
नगर निगम अधिनियम में संशोधन को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। शिमला नगर निगम चुनाव के लिए विधानसभा की तर्ज पर चुनाव सूची बनाने को लेकर यह संशोधन किया गया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर 22 अगस्त तक जवाब तलब किया है। आरोप लगाया गया है कि नगर निगम अधिनियम में संशोधन संविधान में दिए प्रावधानों के विपरीत है। सरकार ने इस बारे 9 मार्च, 2022 को अधिसूचना जारी की थी। सरकार ने राजनीतिक लाभ पाने के लिए संविधान के विपरीत यह अधिसूचना जारी की है। शिमला नगर निगम चुनाव में लगभग 20 हजार लोग अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने से वंचित हो गए हैं।
इसके तहत नगर निगम चुनाव में वही लोग वोट दे पाएंगे, जिनका नगर निगम शिमला विधानसभा की वोटर लिस्ट में नाम होगा। शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के चार वार्ड और कसुम्पटी विधानसभा के दो वार्ड शिमला नगर निगम की परिधि में आते हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक लाभ पाने के लिए 28 वर्षों के बाद नगर निगम चुनाव नियमों में संशोधन किया गया है। इस नियम को बनाने से पहले सरकार ने लोगों से कोई भी आपत्ति नहीं मांगी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हमेंद्र सिंह चंदेल ने अदालत को बताया कि नगर निगम शिमला क्षेत्र की परिधि से बाहर का कोई व्यक्ति यदि नगर निगम चुनाव में वोट डालना चाहता है तो उसे अपने गृह विधानसभा क्षेत्र से वोट कटवाना होगा।