हिमाचल प्रदेश

केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला ने बनाया वैक्सीन जारी करने का रिकॉर्ड, कसौली में 200 करोड़ डाेज़ का परीक्षण

Renuka Sahu
20 Feb 2022 5:45 AM GMT
केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला ने बनाया वैक्सीन जारी करने का रिकॉर्ड, कसौली में 200 करोड़ डाेज़ का परीक्षण
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फाइल फोटो 
हिमाचल प्रदेश के कसौली में देश की शीर्ष दवा प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा विभिन्न उत्पादकों द्वारा विनिर्मित स्पूतनिक-वी, कोविशील्ड, कोवैक्सीन, सनोफी, जायडस कैडिला, जॉनसन एंड जॉनसन तथा कोवोवैक्स की 200 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज का अभी तक सफलता पूर्वक परीक्षण कर रिलीज किया जा चुका है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश के कसौली में देश की शीर्ष दवा प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा विभिन्न उत्पादकों द्वारा विनिर्मित स्पूतनिक-वी, कोविशील्ड, कोवैक्सीन, सनोफी, जायडस कैडिला, जॉनसन एंड जॉनसन तथा कोवोवैक्स की 200 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज का अभी तक सफलता पूर्वक परीक्षण कर रिलीज किया जा चुका है। यह कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना जा सकता है। इस प्रयोगशाला में काम करने वाले वैज्ञानिक सही मायनों में कोरोना वॉरियर हैं। इस कोरोना काल में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला कसौली ने अद्भुत और अविस्मरणीय योगदान दिया है, जिस का कोई सानी नहीं हो सकता।

उन्होंने इस महामारी के समय न केवल खुद को सुरक्षित रखा, अपितु प्रयोगशाला के संचालन में किसी भी प्रकार का गतिरोध उत्पन्न नहीं होने दिया। इस प्रयोगशाला के हर कर्मचारी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने न केवल कोरोना वैक्सीन के परीक्षण को सुचारू रूप से चलाया, अपितु दूसरी वैक्सीन की रिलीज को भी नहीं रुकने दिया। इससे सरकार द्वारा संचालित विभिन्न प्रतिरक्षण प्रोग्रामों को भी सफल बनाया जा सका है। सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी कसौली भारत में मानव उपयोग के लिए इम्यूनोबायोलॉजिकल (टीके और एंटीसेरा) के परीक्षण के लिए राष्ट्रीय नियंत्रण प्रयोगशाला है। लैब की स्थापना ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 और उसके तहत नियमों के प्रावधानों के अनुसार की गई है।
प्रयोगशाला में घरेलू बाजार के लिए स्वदेशी रूप से उत्पादित टीकों के राष्ट्रीय विनियम सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम का अधिदेश है। ज्ञात हो कि भारत में किसी भी वैक्सीन को बाजार में उतारने से पहले कसौली की सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री से पास होना आवश्यक है। इसके बाद ही किसी दवा को भारत के बाजार में उपलब्ध करवाया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्रमाणित यह इकलौती प्रयोगशाला है। यह संस्थान कोरोना के विरुद्ध शुरू से ही सुरक्षा प्रदान करने में लगा हुआ है। (एचडीएम)
यहां से जांच के बाद ही मिलती है हरी झंडी
भारत में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर रही कंपनियों को ट्रायल की बाद ही डीसीजीआई से मंज़ूरी मिलती है। भारत में उत्पादन से लेकर आयात और निर्यात होने वाली वैक्सीन को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला से जांच के बाद ही हरी झंडी मिलती है। इसके बाद ही कंपनियां बाजार में वैक्सीन उतारती हैं।
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