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हिमाचल प्रदेश
एनएचएआई के पास भूमि न होने से लटका ब्रिज का काम, घंडल पुल के निर्माण में जमीन का पेंच
Gulabi Jagat
2 Aug 2022 7:47 AM GMT
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शिमला
शिमला-मटौर नेशनल हाई-वे की महत्त्वपूर्ण कड़ी घंडल पुल का पेंच दोबारा फंस गया है। नेशनल हाई-वे अॅथारिटी को इस पुल के निर्माण की इजाजत नहीं मिल पा रही है। दरअसल, पुल का निर्माण जिस जमीन पर होना है उसका हस्तांतरण नहीं हो पा रहा है। यह जमीन केंद्रीय विधि विवि के अधीन है और जब तक जमीन नेशनल हाई-वे के सुपुर्द नहीं की जाती है, तब तक पुल निर्माण का रास्ता साफ नहीं होगा। केंद्रीय विधि विश्वविद्यालय की यह जमीन सबसे पहले राज्य सरकार को जाएगी और उसके बाद राज्य सरकार इस जमीन को एनएचएआई को सौंपेंगा। इसके बाद पुल का निर्माण शुरू हो सकता है। गौरतलब है कि बीते साल 13 सितंबर को नेशनल हाई-वे का बड़ा हिस्सा घंडल में धंस गया था और इसके बाद शिमला आने या बिलासपुर, हमीरपुर या कांगड़ा समेत अन्य जिलों को जाने वाले यात्रियों को करीब 20 किलोमीटर का सफर करना पड़ रहा था। एक साल बाद भी एनएचएआई नए सिरे से पुल का निर्माण शुरू नहीं कर पाई है। अब इसके पीछे जमीन हस्तांतरण बड़ा कारण बनकर सामने आया है। यह मार्ग प्रदेश निचले हिस्से को राजधानी से जोड़ता है, जिस समय मार्ग बंद हुआ था उस दौरान घणाहट्टी-पनेश-कंडा-रूगड़ा-कोहबाग, धारडूधार-गलोग, बंगोरा-कालीहट्टी-नागहट्टी मुख्य रूप से इस्तेमाल में लाए जा रहे थे, लेकिन इन सभी वैकल्पिक मार्गों के माध्यम से राजधानी पहुंचने वालों को अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा था।
बैली ब्रिज की देखरेख इंजीनियर के हवाले
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि नेशनल हाई-वे पर बैली ब्रिज का निर्माण लोक निर्माण विभाग ने किया है। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर नियमित रूप से पुल की निगरानी कर रहे हैं और फिलहाल इस पुल के लिए को बड़ा खतरा सामने नहीं आया है। नेशनल हाई-वे के रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी एनएचएआई की है और वो ही इसकी आगामी जिम्मेदारी निभाएंगे।
एनएचएआई तैयार, जमीन का इंतजार
एनएचआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि शिमला-मटौर नेशनल हाई-वे का यह सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। एनएचएआई ने ठेकेदार को काम आबंटित कर दिया है, लेकिन जमीन अभी तक हस्तांतरित नहीं हो पाई है और जब तक जमीन एनएचएआई के खाते में नहीं आएगी तब तक काम शुरू नहीं हो पाएगा। इस पुल के निर्माण को लेकर एनएचएआई काफी गंभीर है और उम्मीद है, जल्द ही सरकार को जमीन हस्तांरित होगी और इसे एनएचएआई को सौंपा जाएगा।
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