हिमाचल प्रदेश

विभाग की बड़ी नाकामी, छह साल में उजड़ गया ट्यूलिप गार्डन; सरकार-प्रशासन

Gulabi Jagat
25 Nov 2022 7:12 AM GMT
विभाग की बड़ी नाकामी, छह साल में उजड़ गया ट्यूलिप गार्डन; सरकार-प्रशासन
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धर्मशाला
प्रदेश में सरकार, प्रशासन व पर्यटन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पिछले छह वर्ष में देश का दूसरा व पहाड़ी राज्य हिमाचल का पहला टयूलिप गार्डन बनकर अब उजड़ भी गया है, लेकिन ट्यूलिप गार्डन में ट्यूलिप की बजाय कई रंग-बिरंगे फूले तो रोपित किए गए, लेकिन कंपलीशन के अढ़ाई वर्ष बाद भी वन विभाग को हैंड ओवर न होने से अब मात्र हर तरफ झाडियां ही उग रही हैं। इतना ही नहीं प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन अब धौलाधार बॉयो-डायवर्सिटी पार्क बन गया है। जबकि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में पहले टयूलिप गार्डन के बाद उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और हिमाचल के ही पालमपुर में टयूलिप गार्डन तैयार भी कर दिया गया। जबकि एशियन डिवेलपमेंट बैंक एडीवी की ओर से फंडिड प्रोजेक्ट कंजरविंग प्रोमिनेट टैंपल प्रिसिंक्स एंड अपग्रेडिंग अरबन इंफास्ट्रक्चर फॉर टूरिज्म इन धर्मशाला एंड मकलोडगंज के तहत सात करोड़ में ट्यूलिप का एक भी पौधा नहीं लग पाया है। इतना ही नहीं प्रोजेक्ट के तहत जो अन्य फूल उगाए वह भी उजड़ गए हैं।
ट्यूलिप गार्डन का निर्माण कार्य दस सितंबर 2016 को शुरू करवाया गया था। जबकि 31 अगस्त 2020 को इसे धौलाधार बॉयो-डाईवर्सिटी पार्क बनाकर कार्य पूरा भी कर दिया गया था। लगभग डेढ़ वर्ष से भी पहले ज्वाइंट इंस्पेक्शन के बाद निकलकर सामने आई खामियों को देखते हुए वन विभाग को भी हैंड ओवर किए जाने पर सहमति नहीं बन पाई है, इसे लेकर कुछ ऑब्जेक्शन लगाए गए थे, जिन्हें दुरुस्त करने को कहा गया था। बावजूद इसके अब अढ़ाई साल बीतने को हैं, लेकिन उसके बाद कार्रवाई को पूरी तरह से ठंडे बस्ते ही डाल दिया गया। ऐसे में कई बड़े सवाल उठ रहे हैं कि पर्यटन को नई दिशा देने वाले प्रोजेक्ट को पर्यटन राज्य में ही इस तरह से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ऐसे में कैसे पहाड़ी राज्य के नए पर्यटक स्थलों से लोग जुड़ पाएंगे। सरकार, प्रशासन, पर्यटन विभाग, वन विभाग व जनता के प्रतिनिधियों से कई बड़े सवाल उठाए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन अब धौलाधार बॉयो-डाइवर्सिटी बन गया है।
उठ रहे सवाल
लोगों का कहना है कि ट्यूलिप गार्डन की जो कल्पना पूर्व सरकार में की गई थी, आखिर उसे किस बिनाह पर बदला गया। इस बात को लेकर अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोग स्थानीय नुमाइंदों और प्रतिनिधित्व पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
पर्यटन अधिकारी के बोल
पर्यटन विभाग कांगड़ा के उपनिदेशक विनय धीमान का कहना है कि एडीबी के तहत मंजूर राशि से प्रोजेक्ट पूरा कर लिया गया है। इसे वन विभाग को सौंप दिया जाएगा, इसमें कुछ ऑब्जेक्शन लगे थे, जिन्हें दुरुस्त किया जा रहा था। जल्द ही आगामी कार्रवाई पूरा वन विभाग के हैंड ओवर किया जाएगा।
वन विभाग अधिकारी यह बोले
वन विभाग के डीएफओ धर्मशाला डा. संजीव शर्मा का कहना है कि ज्वाइंट इंस्पेक्शन की गई थी, जिसमें खामियां पाई गई थी। प्रोजेक्ट में ट्यूलिप लगाने की भी बात थी, लेकिन लगे नहीं है, ऑब्जेक्शन को दुरुस्त करने को कहा गया है, जिसके बाद वन विभाग पार्क को अपने अधीन लेगा।
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