हिमाचल प्रदेश

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्नातक में क्रैडिट सिस्टम लागू करने को मंजूरी

Shantanu Roy
7 April 2023 9:14 AM GMT
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्नातक में क्रैडिट सिस्टम लागू करने को मंजूरी
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शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के अधीन कालेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अंतर्गत क्रैडिट सिस्टम लागू करने को लेकर कार्यकारी परिषद (ईसी) से मंजूरी मिल गई है। बीते माह अकादमिक काऊंसिल की स्थायी समिति की बैठक में प्रारूप फाइनल कर दिया गया था और इसे अब ईसी से हरी झंडी मिली। इसे अब अगले सत्र से लागू किया जाएगा। इसके अलावा मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट प्रणाली को भी मंजूरी मिल गई है। मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट प्रणाली के अंतर्गत प्रदेश के काॅलेजों के विद्यार्थी अगर एक वर्ष में एक प्रोजैक्ट के साथ 44 क्रैडिट्स प्राप्त करते हैं तो उन्हें यूजी सर्टीफिकेट प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा यदि 2 वर्ष में प्रोजैक्ट सहित 88 क्रैडिट्स प्राप्त करते हैं तो उन्हें यूजी डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा, जबकि 3 वर्ष में न्यूनतम 120 क्रैडिट्स के साथ विद्यार्थियों को यूजी डिग्री प्रदान की जाएगी। मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट प्रणाली के तहत एक विद्यार्थी को अपने कोर्स को छोड़ने और इसी कोर्स को बाद में फिर से शुरू करने का विकल्प मिलेगा। स्नातक स्तर पर सभी संकायों में न्यूनतम 3 वर्ष के कोर्स के लिए 120 क्रैडिट, शोध/ऑनर्स के साथ 4 साल में उपाधि प्राप्त करने के न्यूनतम 160 क्रैडिट निर्धारित किए गए हैं। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने की। बैठक दोपहर 3 बजे शुरू हुई और रात 10 बजे तक चली। ईसी की बैठक में ईआरपी सिस्टम और परीक्षा परिणाम घोषित होने में हो रही देरी का मामला भी उठा। सूत्रों के अनुसार इस दौरान कुछ ईसी सदस्यों ने परिणाम का मामला उठाया और कमियों को दूर करने की सिफारिश की। अब विश्वविद्यालय प्रशासन ईआरपी सिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए ठोस कदम उठाएगा ताकि परीक्षा परिणाम समय पर घोषित हो सकें। बैठक में छात्र संगठनों द्वारा दिए गए ज्ञापनों पर भी चर्चा हुई। बैठक के दौरान आऊटसोर्स कर्मचारियों के वेतन व सेवाएं को जारी रखने या समाप्त करने को लेकर चर्चा हुई है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) में विधायक हरीश जनारथा को सदस्य नियुक्त किया गया। इसी के तहत वीरवार को उन्होंने ईसी की बैठक में भाग लिया। हालांकि सत्ता परिवर्तन के बाद विश्वविद्यालय में अभी तक फेरबदल नहीं हुआ है और केवल हरीश जनारथा को ही ईसी सदस्य बनाया गया है जबकि अन्य पदों पर बदलाव होना अभी शेष है।
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