हिमाचल प्रदेश

आज वैक्सीन के लिए बल्क टेंडर करेगा पशुपालन विभाग, रोकने को वैक्सीनेशन अभियान

Renuka Sahu
8 Aug 2022 4:27 AM GMT
Animal Husbandry Department will do bulk tender for vaccine today, vaccination campaign to stop
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फाइल फोटो 

हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में लंपी वायरस का संक्रमण देखा गया है। इस वायरस की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग की ओर से अब व्यापक स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में लंपी वायरस का संक्रमण देखा गया है। इस वायरस की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग की ओर से अब व्यापक स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। जहां-जहां पर लंपी वायरस के मामले आए हैं, उस क्षेत्र के तीन से चार किलोमीटर के दायरे में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। वैक्सीन की उपलब्धता के लिए सोमवार को पशुपालन विभाग की ओर से बल्क टेंडर किया जाएगा। विभाग ने जिलो के उपनिदेशकों को अपने स्तर पर वैक्सीन खरदीने के लिए प्राधिकृत किया गया है। हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एपिडेमियोलॉजी डा. अरुण सरकैक ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में अब काफी हद तक इस बीमारी पर काबू पा लिया गया है। सभी संक्रमित पशुओं का उपचार कर दिया गया है। प्रदेश में अब तक इस बीमारी की वजह से 36 पशुओं की मौत हो चुकी है।

वहीं सैकड़ों दुधारू पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। पशुपालन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिरमौर के टिक्कर क्षेत्र, शिमला के पंथाघाटी के साथ लगते चैली गांव और सोलन के धर्मपुर में इस वायरस के मामले सामने आए हैंं। सिरमौर जिला में जहां 25 के करीब पशुओं की मौत हो चुकी हैं, तो वहीं शिमला के पंथाघाटी में 11 पशुओं की मौत लंपी वारयरस से मौत की पुष्टि पशुपालन विभाग ने की है। वहीं इन दोनो जिलों में करीब 500 से ज्यादा दुधारू पशु इस बीमारी के कारण संक्रमित हो गए हैं। वहीं सोलन जिला के धर्मपुर में भी शनिवार को एक मामला आया हैं।
कम इम्यूनिटी वाले पशुओं में संक्रमण ज्यादा
लंपी स्किन डिजिज बीमारी को भी कोरोना की तरह ही खतरनाक माना जाता है। यह संक्रामक बीमारी है, जो मक्खी, मच्छर इत्यादि के काटने से फैलती है। यह भी कोरोना की तरह कम इम्युनिटी वाले जानवरों पर ज्यादा असर कर रहा है। इससे संक्रमित होने के बाद पशु को 105 से 106 डिग्री की बुखार आ रहा है और पूरे शरीर पर फोड़े-फुंसी जैसे हो जाते हैं। शिमला शहर की इन दोनों पंचायतों के अलावा घणाहट्टी और चौपाल में भी एक-एक पशु इस बीमारी की चपेट में आ चुका है। कांगड़ा और सोलन जिला में भी कुछ ऐसे केस दर्ज किए जा चुके हंै।
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