हिमाचल प्रदेश

गुस्साए ग्रामीण, स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र में 12 दिनों से सूखे पड़े नल

Gulabi Jagat
16 Jun 2022 12:33 PM GMT
गुस्साए ग्रामीण, स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र में 12 दिनों से सूखे पड़े नल
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12 दिनों से सूखे पड़े नल
सोलन: कसौली सीमा पर स्थित चेवा गांव के लोग पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे हैं. उनके घरों में नल शोपीस बनकर रह गए हैं. इन नलों में पानी 12 दिनों के बाद आ रहा है, लेकिन आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि 12 दिनों के बाद भी उन्हें पानी की सप्लाई केवल कुछ देर के लिए ही की जाती है. यही वजह है कि गांव वासियों को पानी कई किलोमीटर दूर से लेकर आना पड़ता है. जिसके चलते गांव वासियों में भारी रोष है. वह स्थानीय विधायक और अधिकारियों के ध्यान में कई बार पानी की समस्या के बारे ला चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद भी वर्षों बीत जाने के बाद भी उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है.
गांव वासियों हरीश, मनोज, जयराम, मदन लाल, हेमचंद, तुला राम सीमा, शीला, मोनिका, रचना, पार्वती अदिति, ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि नेता चुनावों के दौरान विकास के बड़े-बड़े वायदे तो करते हैं, लेकिन जीतने के बाद वह उनकी तरफ देखते तक नहीं. उन्होंने कहा कि उनका गांव पिछले कई वर्षों से पानी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उनकी सुनवाई किसी भी स्तर पर नहीं की जा रही है. उन्होंने पानी की समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन (Water crisis in Cheva village of Solan) पर भी शिकायत दर्ज करवाई थी, लेकिन वहां से भी उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया. वहीं, कुछ छात्राओं ने कहा कि वह जब स्कूल से घर लौटती हैं तो आते ही पानी की ढुलाई में लग जाती हैं. जिसके चलते उनका अधिकांश समय केवल पानी लाने में ही व्यतीत हो जाता है और उन्हें पढ़ाई का समय नहीं मिल पाता.
उन्होंने कहा कि जब घर में कोई मेहमान आता (Water crisis in Cheva village) है तो उन्हें कई बार पानी की किल्लत की वजह से शर्मसार भी होना पड़ता है, लेकिन उनकी इस समस्या की और कोई भी गौर नहीं कर रहा है यहां तक कि गांव में कुछ घर ऐसे भी है जहां नल तो लगा है, लेकिन सात-आठ वर्षों से उनके नलों में पानी की एक बूंद तक नहीं आई है जिसकी वजह से वह बहुत परेशान हैं और वह चाहते हैं कि विधायक और अधिकारी उनकी इस मांग की और कुछ गौर करें और उन्हें इस समस्या से निजात दिलवाएं. हैंडपंप का पानी दूषित है इसलिए गांववासी पानी पी नहीं सकते. वहीं, गांव की बावड़ी का पानी भी पीने लायक नहीं रहा है. पानी कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है. सारे गांववासियों को कमाई से ज्यादा चिंता घर में पीने का पानी एकत्र करने की होती है, लेकिन उनकी इस समस्या की और कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है.
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