हिमाचल प्रदेश

पिता की मृत्यु के बाद मां ही बच्चों की प्राकृतिक अभिभावक: हाईकोर्ट

Shantanu Roy
3 Jun 2023 9:24 AM GMT
पिता की मृत्यु के बाद मां ही बच्चों की प्राकृतिक अभिभावक: हाईकोर्ट
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शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अवयस्क बच्चों के संरक्षण से संबंधित एक मामले में व्यवस्थता दी कि पिता की मृत्यु के बाद मां ही उनकी प्राकृतिक अभिभावक है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने यह आदेश एसडीएम नालागढ़ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर पारित किए, जिसमें उन्होंने दादा-दादी को नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को सौंपने का निर्देश दिया था। मामले के अनुसार प्रतिवादी प्रीति देवी का विवाह जिला सोलन की तहसील रामशहर के बहलम गांव के अमर सिंह के साथ हुआ था। पति-पत्नी के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों के बीच होने वाले झगड़ों के कारण प्रीति देवी और उसका पति अमर सिंह अपने 2 नाबालिग बेटों के साथ नालागढ़ में अलग रह रहे थे। 17 जुलाई, 2022 को अमर सिंह ने आत्महत्या कर ली। मृतक अमर सिंह के पिता दर्शन सिंह ने प्रीति देवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसके बेटे ने अपनी पत्नी प्रीति देवी द्वारा प्रताड़ित किए जाने के कारण आत्महत्या की है।
परिणामस्वरूप 18 जुलाई, 2022 को प्रीति देवी को गिरफ्तार कर लिया गया और 27 जुलाई, 2022 को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस दौरान बच्चे अपने दादा-दादी के पास रहे। जमानत पर रिहा होने के बाद प्रीति देवी ने अपने बच्चों की कस्टडी के लिए एसडीएम नालागढ़ की अदालत में अर्जी दाखिल की। 23.11.2022 को एसडीएम नालागढ़ ने दादा-दादी को नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां प्रीति देवी को सौंपने का निर्देश दिया। एसडीएम नालागढ़ के आदेश के खिलाफ दादा-दादी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि मैजिस्ट्रेट की अदालत में कार्यवाही का रिकॉर्ड व फाइल उचित तरीके से तैयार नहीं की गई है। कोर्ट ने सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह मामले को व्यक्तिगत रूप से देखें और न्यायिक कार्यवाही करने वाले अधिकारियों द्वारा न्यायिक कार्यवाही के रिकॉर्ड का उचित रखरखाव सुनिश्चित करें। यदि आवश्यक हो तो हिमाचल प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी में न्यायिक कार्य/फाइलों से निपटाने वाले अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
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