हिमाचल प्रदेश

पवन काजल और लखविंद्र राणा के बाद किस किसपर नजर, हिमाचल कांग्रेस में और तोड़फोड़ करेगी भाजपा

Gulabi Jagat
19 Aug 2022 2:35 PM GMT
पवन काजल और लखविंद्र राणा के बाद किस किसपर नजर, हिमाचल कांग्रेस में और तोड़फोड़ करेगी भाजपा
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हिमाचल विधानसभा चुनाव
शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Election 2022) से पहले सियासी दलों में भगदड़ मची हुई है. सियासत के मॉनसून का अनुमान लगाकर हर कोई अपने विकल्प तलाश रहा है. इस मामले में फिलहाल बीजेपी को लीड मिली हुई है. कांग्रेस के दो मौजूदा विधायकों पवन काजल और लखविंद्र राणा (Pawan Kajal Joins BJP) को अपनी पाले में खींचने के बाद अब भाजपा की नजर विपक्षी दल के कुछ और विधायकों पर टिकी (BJP eyeing some more Congress MLA) हुई है. सवाल है कि बीजेपी पवन काजल और लखविंद्र राणा के बाद किस-किसपर नजर गढ़ाए बैठी है.
तीन और नेताओं पर बीजेपी की नजर- पवन काजल और लखविंदर राणा को भाजपा में शामिल कर पार्टी हाई कमान ने कांग्रेस को करारी (two congress MLA joins BJP) चोट पहुंचाई है. अब भाजपा की नजर कम से कम तीन ऐसे नेताओं पर है, जिनके टूटने से कांग्रेस को चुनावी साल में सबसे तगड़ा झटका लग सकता है. इनमें से एक नेता जिला हमीरपुर से हैं उन्होंने पिछले चुनाव में भारी उलटफेर किया (BJP eyeing Congress mlas) था. यदि भाजपा उन्हें अपने खेमे में लाने में कामयाब हो जाये तो कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक रूप से भारी धक्का लगेगा.
पवन काजल और लखविंद्र राणा

मिल सकती है चौंकाने वाली खबर- बताया जा रहा है कि इस नाम को अपने पाले में शामिल करने के लिए अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा और अन्य नेताओं से चर्चा की गई है. गृह मंत्री अमित शाह तक भी ये मसला पहुंचा है कि अगर हमीरपुर का ये चेहरा बीजेपी में शामिल होता है तो बीजेपी के मिशन रिपीट यानी हिमाचल में सरकार रिपीट करने में काफी मदद मिलेगी. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दो से तीन हफ्तों में हिमाचल कांग्रेस के बीच तोड़फोड़ की नींव रखी जायेगी. सियासी पासा फेंका जाएगा और अचानक से कोई चौंकाने वाला घटनाक्रम पेश (HP bjp eyeing Congress mlas to join) आएगा.
हिमाचल में मिशन रिपीट साख का सवाल- दरअसल बीजेपी हिमाचल में सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है. ठीक उसी तर्ज पर, जैसे इस साल की शुरुआत में हुए 5 राज्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सरकार रिपीट हुई है. यूपी में 35 साल और उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद बीते 2 दशक में पहली बार ऐसा हुआ है. कुल मिलाकर बीजेपी ने मिशन रिपीट को नाक का सवाल बना लिया है. सीएम जयराम ठाकुर के दावों से अलग और गृह राज्य में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की साख भी दांव पर है. इसलिये यहां सरकार रिपीट करने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
दिल्ली के पाले में गेंद- भाजपा के आंतरिक सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कम से कम पांच मौजूदा विधायक पार्टी के (BJP eyeing some more Congress MLA) संपर्क में हैं. इनके बारे में दिल्ली में हाई कमान से आरंभिक चर्चा हो गई है. प्रदेश का संगठन और सीएम अभी दिल्ली के रुख को भांप रहे हैं चूंकि कांगड़ा और नालागढ़ से कांग्रेस विधायकों को पार्टी में शामिल करने का यह फैसला दिल्ली से हुआ है, जो इशारा करता है कि भाजपा में आए कांग्रेस नेताओं को चुनाव में अपने निर्वाचन क्षेत्र से टिकट भी मिल सकता है. अगर इस तरह की शर्तों पर बात बन गई तो कांग्रेस के कुछ और चेहरे हाथ छोड़कर कमल थामे दिखाई देंगे.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का दावा- वैसे पवन काजल और लखविंद्र राणा के बीजेपी में शामिल होने के बाद (Lakhwinder Rana joins BJP) मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का दावा है कि कांग्रेस डूबता जहाज है और इससे हर कोई निकलना चाहता है. राजनीतिक भविष्य की तलाश में कई कांग्रेस नेता बीजेपी के संपर्क में हैं और आने वाले दिनों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पूरे देश में समाप्त (Jairam Thakur on Congress) हो चुकी है और अब हिमाचल में भी उसका कोई भविष्य नहीं है. इसके साथ ही जयराम ठाकुर ने कहा कि बीजेपी इस बार हिमाचल में सरकार नहीं रिवाज बदलेगी.
पवन काजल और लखविंद्र राणा के बाद किस किसपर नजर
जीत का समीकरण बिठाने में जुटी है बीजेपी- संगठन के तौर पर देखें तो हर विधानसभा के हिसाब से भाजपा कोर ग्रुप संभावित प्रत्याशियों पर चर्चा कर रहा है. सर्वे रिपोर्ट पर भी गहराई से चर्चा हो रही है. इसी आधार को देखते हुए विपक्ष से जिस भी नेता को शामिल करने की जरूरत होगी, हाईकमान से अनुमति लेकर उन्हें शामिल किया जाएगा. फिलहाल आने वाले समय में एक नेता हमीरपुर व एक नेता सिरमौर से भाजपा के निरन्तर सम्पर्क में हैं. मौजूदा समय में भाजपा के पास 43 सीटें हैं. भाजपा अपने सर्वे में कमजोर सीटों का आकलन कर चुकी है. उन सीटों पर कांग्रेस के नेताओं को तोड़ने की मुहिम चल रही है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार भाजपा मिशन रिपीट के लिए साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करेगी. जेपी नड्डा के लिए अपने गृह प्रदेश में जीतना साख का सवाल है. फिर यूपी और उत्तराखंड में जब मिशन रिपीट सम्भव हुआ तो हिमाचल में हारना पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी. खुद सीएम जयराम के लिए भी हर 5 साल में सरकार बदलने के रिवाज को बदलने के दावे को सार्थक करना भी चुनौती है.
कांग्रेस की कलह - वैसे तो हिमाचल ही नहीं देश के लगभग हर राज्य में कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझती रही है. कई धड़ों में बंटी कांग्रेस के लिए एकजुट होना टेढी खीर है. लोकसभा चुनाव के बाद राज्यों में भी पार्टी सिमट रही है ऐसे में हिमाचल में भी यही खतरा मंडरा रहा है. कल तक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे पवन काजल बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, कहा जा रहा है कि अपनी पार्टी में ही पूछ ना होने के कारण उन्होंने बीजेपी का दाम थाम (himachal congress mla join bjp) लिया. उधर लखविंदर राणा ने अपने विधानसभा क्षेत्र में किसी और को प्रमोट करके अपनी अनदेखी का आरोप लगाया है. उन्होंने साफ कहा है कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है और बीजेपी के लिए पार्टी ही परिवार है. पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, दोनों ने कांग्रेस की कलह और परिवारवाद को इसकी वजह बताया है. अब इन दो विधायकों के बाद बीजेपी की नजर कांग्रेस के कुछ और विधायकों पर भी (BJP eyeing some more Congress MLAs in himachal) है.
सियासी जानकार मानते हैं प्रदेश में पहले कांग्रेस कई धड़ों में बंटी थी और अब पार्टी ने आधिकारिक रूप से कार्यकारी अध्यक्षों की फौज खड़ी करके इसे जैसे आधिकारिक रूप दे दिया है. पार्टी ने ये कदम तो बेहतरी के लिए उठाया है लेकिन इसका खामियाजा पंजाब विधानसभा चुनाव में भी भुगत चुकी है और गुजरात में भी इसका नुकसान झेल रही है. अब हिमाचल में भी एक कार्यकारी अध्यक्ष बीजेपी में शामिल हो गया है. ऐसे में अगर चुनाव से पहले बीजेपी कांग्रेस के कुनबे में कुछ और सेंध मारने में कामयाब हो (BJP eyeing on some more congress mla) जाती है तो कांग्रेस को अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ (Himachal polls 2022) सकता है.
Gulabi Jagat

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