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बिलासपुर
बरमाणा स्थित एसीसी सीमेंट फैक्टरी पर अनिश्चितकालीन के लिए लगे ताले को लेकर प्रशासन, ऑपरेटर्ज, एसीसी प्रबंधन के बीच आयोजित बैठक बेनतीजा रही। हालांकि एसीसी प्रबंधन की ओर से ढुलाई किराया कम करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन ऑपरेटर किराया कम नहीं करने की बात पर अडिग़ हैं। इसके अलावा ऑपरेटर्ज ने अन्य ऑपरेटर्ज के साथ ही एक मंच पर बैठक करने की बात कही है। वहीं, प्रशासन, ऑपरेटर, एसीसी प्लांट की आगामी बैठक 20 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
गुरुवार को बचत भवन बिलासपुर में उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें पुलिस अधीक्षक बिलासपुर दिवाकर शर्मा, एसीसी सीमेंट उद्योग की ओर से प्लांट हैड अमिताभ सिंह, बीडीटीएस बरमाणा की ओर से प्रधान जीतराम गौतम सहित अन्य मौजूद रहे, लेकिन इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया। बताया जा रहा है कि बैठक में एसीसी प्रबंधन जहां ढुलाई किराया कम करने की बात कर रहा है, वहीं ऑपेटरों ने किराया कम नहीं करने की बात कही है। अब अगली बैठक 20 दिसंबर को रखी गई है। ऐसे में जब तक कोई निर्णय नहीं हो जाता , तब तक एसीसी सीमेंट उद्योग पर ताला ही लटका रहेगा।
बताया जा रहा है कि यह संयुक्त बैठक करीब तीन घंटे तक चली। कई अहम मसलों पर चर्चा हुई। खासकर ढुलाई कार्य को लेकर चर्चा हुई। उधर, इस बारे में उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने कहा कि बैठक का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि अगली बैठक 20 को होगी।
क्या कहते हैं बीडीटीएस बरमाणा के अध्यक्ष
बीडीटीएस बरमाणा अध्यक्ष जीतराम गौतम ने कहा कि एसीसी प्रबंधन की ओर से वर्ष 2005 के समय हुए किराए को लेकर समझौते की बात कर रहे हैं। एसीसी की ओर से महज छह रुपए प्रति किलोमीटर किराए के लिए कहा जा रहा है। वहीं, 11.41 रुपए किराये की दर निर्धारित है। ऐसे में किराया कम करने को लेकर ऑपरेटर्ज के साथ चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि डिमांड कम हो गई है। जहां कभी 1200 गाडिय़ों को कार्य मिलता था। वहीं, अब 200 गाडिय़ां को कार्य मिल रहा है।
सीमेंट प्लांट बंद रहे, तो सरकारी काम भी होंगे प्रभावित
अमन वर्मा — शिमला
प्रदेश में सीमेंट उद्योगों पर तालाबंदी होने से जहां कामगारों के रोजगार प्रभावित होगा। वहीं, सीमेंट उद्योग बंद होने से सरकारी विभागों के विकास कार्य भी प्रभावित होंगे। प्रदेशभर में सिविल सप्लाई के लिए करीब 120 गोदाम हैं। जहां से सरकारी विभागों के विकास कार्यों के लिए सीमेंट सप्लाई की जाती है। सिविल सप्लाई के गोदामों से प्रदेश में हर माह करीब 40 से 45 हजार सीमेंट की खपत है। हिमाचल प्रदेश में कुल पांच सीमेंट के प्लांट हैं, जिसमें एसीसी, अंबुजा, जेपी, सीसीआई और अल्ट्राटेक के दो प्लांट शामिल हैं। इनमें चार निजी सीमेंट प्लांट और सीसीआई का एक सरकारी सीमेंट प्लांट है। दाड़लाघाट में एसीसी और अंबूजा सीमेंट के प्लांट पर तालाबंदी होने सरकारी सीमेंट की सप्लाई भी प्रभावित होगी। प्रदेश में 120 लाख टन सीमेंट का उत्पादन होता हैं और करीब छह लाख टन सीमेंट की खपत है। सीमेंट उद्योग एसीसी बरमाणा और दाडला घाट में चल रहा प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों और उद्योग प्रबंधन के बीच के विवाद चल रहा है। दाडला घाट में जहां दो सीमेंट उद्योगों पर तालाबंदी होने से करीब तीन हजार कमगारों और कर्मियों को डर सता रहा है कि अगर इन दोनों सीमेंट उद्योगों में इसी तरह तालाबंदी रही तो इनको गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा। गौर हो कि लोक निर्माण विभाग, जलशक्ति विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पंचायतीराज, हिमुडा, नगर निगम, नगर निकायों एवं शहरी विकास सहित अन्य विभागों के विकास कार्यों में सरकारी सीमेंट उपयोग किया जाता है। ऐसे में अगर सिविल सप्लाई के गोदामों में सीमेंट की सप्लाई प्रभावित होती है तो सरकारी कार्यों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। सीमेंट उद्योगों की तालाबंदी से ठेकदारों को समस्याओं का सामना कर पड़ सकता है।
एसीसी-ट्रक यूनियन के बीच क्या था समझौता
जानकारी के मुताबिक एसीसी द्वारा 15000 मीट्रिक टन सीमेंट व क्लिंकर, जिसमें 13000 मीट्रिक टन सीमेंट व 2000 मीट्रिक टन क्लिंकर की डिमांड देने का अनुबंध हुआ था। पिछले दिनों बीडीटीएस यूनियन के सदस्यों व एसीसी प्रबंधन का आपस में समझौता भी हुआ था कि प्रतिदिन बीडीटीएस यूनियन के ट्रकों को 8000 मीट्रिक टन सीमेंट व 2000 मीट्रिक टन क्लिंकर दिया जाएगा, लेकिन समझौते के अनुसार इन्हें सीमेंट व क्लिंकर नहीं दिया जा रहा था। प्रोडक्शन भी 700 से 800 मीट्रिक टन सीमेंट व दो हजार मीट्रिक टन क्लिंकर की रह गई थी। इस लिहाज से जहां ट्रक ऑपरेटर्ज के एक माह में आठ से दस चक्कर लगते थे तो वहीं अब दो चक्कर ही लग रहे थे। इससे गाडिय़ों के मालिकों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा था। जैसे ही एसीसी प्रबंधन ने सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को नोटिस जारी किया, तो लोगों में हडक़ंप मच गया। वहीं, सदर विधायक त्रिलोक जम्वाल ने बरमाणा पहुंचकर ऑपरेटरों से बात की और आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समस्या सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं।
निर्माण कार्यों पर पड़ेगा असर
सीमेंट संग रेत-बजरी व अन्य सामग्री की सप्लाई पर भी पड़ेगा प्रभाव, बाहर से आपूर्ति का विरोध करेंगे ऑपरेटर
दिव्य हिमाचल ब्यूरो —बिलासपुर
एसीसी और अंबूजा सीमेंट फैक्ट्ररियों पर ताला लटकने के बाद सीमेंट की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो गई है। इसकी वजह से हिमाचल प्रदेश में निर्माण कार्यों पर खासा असर पड़ेगा, क्योंकि मकान बनाने के लिए सीमेंट के अलावा रॉ मैटिरियल रेत, पत्थर व बजरी इत्यादि की खासी समस्या होगी।
वहीं, बाहर से सामग्री की आपूर्ति का ऑपरेटर कड़ा विरोध करेंगे। इसी तरह हजारों ट्रक ऑपरेटर्ज के साथ ही ढाबे, स्पेयर पाट्र्स, मैकेनिक सहित अन्य कारोबारियों की रोजी पर भी संकट पैदा हो गया है। वहीं, एसीसी फैक्टरी में नियमित व कांट्रैक्ट पर कार्यरत एक हजार से अधिक छोटे बड़े-सभी कर्मचारियों की नौकरी पर भी संकट के बादल छा गए हैं।
नालागढ़ ट्रक यूनियन अध्यक्ष का इस्तीफा
बीबीएन — एशिया की सबसे बड़ी ट्रक यूनियनों में शुमार नालागढ़ ट्र्रक आप्रेटर यूनियन के प्रधान विद्यारत्न चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि चौधरी विद्या रत्न ने अपने इस्तीफे में स्वास्थय कारणों का हवाला दिया है, लेकिन इस्तीफे के बाद नए अध्यक्ष के लिए भी चर्चाएं शुरू हो गई है। गुरुवार को हुई यूनियन की बैठक में चौधरी विद्या रत्न का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। हालाकि जब तक नया अध्यक्ष नहीं बनता है, तब तक वह अध्यक्ष का कार्य संभाले रहेंगे। चौधरी विद्या रत्न ने कहा कि वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे हैंै और अब वह अपने पद पर आगे कार्य करने में असमर्थ है। यूनियन के महासचिव जगदीश चंद ने बताया कि बैठक में चर्चा के बाद त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। जब तक नए अध्यक्ष का चयन नही होता है तब तक विद्यारतन चौधरी ही काम काज संभाले रहेंगे। उधर इस सर्दभ में विद्यारत्न चौधरी ने बताया कि वह पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे है, चिक्तिसकों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
सीमेंट फैक्टरियों पर ताला
रोजगार पर संकट आया तो करेंगे आंदोलन
शिमला — सीमेंट उद्योग एसीसी बरमाणा और दाड़लाघाट में चल रहा प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्ज और उद्योग प्रबंधन के बीच के विवाद का भारतीय मजदूर संघ प्रदेश सरकार से शीघ्र ही समाधान चाहता है। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री यशपाल हेटा ने बताया कि एसीसी बरमाणा में अगर सप्लाई वर्कर, नियमित वर्कर, अधिकारी एवं वन्य वर्कर को जोड़ा जाए तो इनकी कुल संख्या 1500 के लगभग बनती है। इसके अलावा इतनी ही संख्या अंबुजा दाड़ला में भी है। कुल मिलाकर 3000 के आसपास श्रमिक और कर्मचारी एवं अधिकारी इन दोनों सीमेंट उद्योग में कार्यरत हंै। यशपाल हेटा ने कहा कि इस समस्या को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने एक छोटी कमेटी का गठन किया है, जिसमें भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष नानक चंद व अखिल भारतीय सीमेंट महासंघ के महामंत्री ओम प्रकाश दोनों ही यूनिटों के प्रधान व सचिव शामिल हैं। उनको प्रबंधन से लगातार बातचीत करने को कहा गया है। अगर इन कर्मचारियों व श्रमिकों के वेतन या नौकरी पर कोई संकट आया, तो भारतीय मजदूर संघ बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा।
किसी को भी जनता का हक छीनने नहीं दूंगा
घुमारवीं — किसी को भी आपका हक छिनने नहीं दूंगा। संकट की इस घड़ी में बिलासपुर जिला की जनता के साथ खड़ा हूं। इस अहम विषय पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बात की है और उपायुक्त बिलासपुर को भी मामले को सुलझाने के लिए कहा गया है। लोगों के हितों से खिलवाड़ किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा। यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व घुमारवीं से नव निर्वाचित विधायक राजेश धर्माणी ने गुरुवार को यहां जारी बयान में कही। उन्होंने कहा कि सीमेंट कंपनियों की मनमानी किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या को जल्द सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री सुक्खू से मुलाकात की है तथा डीसी बिलासपुर से भी चर्चा की और इस समस्या को जल्द सुलझाने का आग्रह किया है।
सिर्फ एक नोटिस निकाल शटडाउन
बिलासपुर — एसीसी सीमेंट फैक्टरी बंद कर दिए जाने से जिला बिलासपुर के हजारों ट्रक ऑपरेटर्ज, ढाबा संचालकों और गाडिय़ों की मरम्मत से संबंधित कार्यों से जुड़े कारोबारियों के रोजगार पर संकट पैदा हो गया है। इस पर कांग्रेस पार्टी ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है कि पार्टी पूरी तरह से जनता के साथ है और आने वाले दिनों में इस परिस्थिति का मजबूती के साथ सामना किया जाएगा। कंपनी अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी से नहीं बच सकती। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं नयनादेवी के पूर्व विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि चंद चांदी के टुकड़ों की खातिर जनता के हितों को नहीं बेचा जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि कंपनी के समक्ष स्थितियां सही नहीं थीं, तो फिर चुनाव से पहले ऐसा क्यों नहीं किया। अब कांग्रेस सरकार बनने के बाद इस तरह का कदम उठाना सही नहीं है।
सीमेंट उद्योग कर्मियों का रोजगार बचाए सरकार
शिमला — बिलासपुर और दाड़ला घाट मे अंबूजा सीमेंट और एसीसी सीमेंट का प्लांट बंद होने के कारण इन दोनो उद्योगों में काम कर रहे मजदूरों व कर्मचारियों की रोजी रोटी पर संकट आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि इन उद्योगो में काम कर रहे कर्मचारियों व मजदूरों की रोजगार किसी भी हालत में छीनना नहीं चाहिए। सरकार इन लोगों का रोजगार बचाने का प्रयास करे और इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे। जयराम ठाकुर ने पूर्व सरकार के फैसलों को होल्ड करने के फैसले पर भी कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बिना सोचे समझे जल्द बाजी में फैसले ले रहे हैं। सरकार को हमेशा लोगों को रोजगार देने वाले संसाधनों को बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए, लेकिन नई सरकार रोजगार छीनने के लिए काम कर रही है। यह ठीक बात नही है।
सीमेंट प्लांट बंद करने से माकपा नाराज
रामपुर बुशहर — हिमाचल प्रदेश सीपीआईएम राज्य कमेटी ने अदानी कंपनी द्वारा दाड़लाघाट अंबुजा सीमेंट प्लांट और बिलासपुर एसीसी सीमेंट प्लांट को बंद करने की कड़ी निंदा की है। सीपीआईएम नेताओं ने कहा कि दाड़लाघाट और एसीसी में लोगों ने अपनी कीमती जमीनें इन उद्योगों के लिए दी है। अदानी कंपनी, जिसने हाल ही में दाड़लाघाट और एसीसी को खरीदा है, ने अब इन दोनों उद्योगों को बिना किसी कारण बंद करने का नोटिस लगा दिया है। हिमाचल प्रदेश में सीमेंट उद्योग मुनाफा कमाने के लिए सीमेंट के दामों में लगातार भारी वृद्धि करता आ रहा है। प्रदेश में भारी मात्रा में सीमेंट का उत्पादन होता है, परंतु प्रदेशवासियों को अन्य राज्यों से महंगा सीमेंट मिलता है, जो कि प्रदेश की जनता के साथ पूरी तरह गैर इंसाफी है। कंपनी उद्योग बंद करके ट्रक ऑपरेटर्ज को दबाव में लाना चाहती है।
सीमेंट के बाद सेब पर भी होगी लड़ाई
शिमला — अदानी के साथ हिमाचल में कांग्रेस सरकार की लड़ाई सिर्फ सीमेंट तक सीमित नहीं है। सीमेंट का मामला हल हो चाहे न हो, लेकिन आगामी सेब सीजन से पहले यह लड़ाई सेब के रेट को लेकर भी बढ़ेगी। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दो वादे कर रखे हैं। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस की सरकार कृषि एवं बागबानी आयोग का गठन करेगी, जिसमें किसानों और बागबानों को पर्याप्त मौका दिया जाएगा। इनकी सलाह से यह आयोग फलों की कीमत तय करेगा। आगे घोषणा पत्र में कहा गया है कि आयोग की सलाह पर हर कैटेगरी के सेब के लिए एक न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। इससे कम दाम पर किसी को भी सेब खरीदने पर रोक लगा दी जाएगी। चाहे वह अदानी की कंपनी ही क्यों ना हो? गौरतलब है कि सेब क्षेत्र में अदानी ने कोल्ड स्टोरेज के लिए बहुत सी यूनिट लगा रखे हैं। पिछले कई सालों से अदानी सेब की खरीद का मेजर पार्टनर रहा है। इस बार भी सेब खरीद में दिए गए रेट को लेकर वामपंथी और कांग्रेस के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किए थे। हालांकि ये प्रदर्शन काफी लंबे नहीं चले, लेकिन अब कांग्रेस की सरकार आने के बाद यह टकराव लगभग तय हो गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह चुनाव घोषणापत्र का वादा बनेगा। अदानी पहले से कहता रहा है कि रेट मार्केट तय करती है। यही फार्मूला सीमेंट में भी है। सीमेंट के रेट इसी वजह से राज्य सरकार से नहीं कर पाती। हालांकि सेब को लेकर सबसे पहले यह देखना होगा कि बागवानी का मंत्री कौन बनता है?
ढुलाई में मांगी कमी
बिलासपुर — कंपनी के प्रवक्ता विकास ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य में हमारी कंपनियों के सामने आ रही समस्याओं के समाधान के लिए हम ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं। बाजार में बने रहने के लिए गगल और दाड़लाघाट मं स्थित हमारे संयंत्रों पर परिचालन लागत कम करने का अत्यधिक दबाव है। ट्रक यूनियनों से हमारी बार-बार की दलीलों में और जिला प्रशासन को सूचित करते हुए हम अपने माल और सामग्री सीमेंट, क्लिंकर और कच्चे माल के परिवहन के लिए माल ढुलाई लागत में कमी का अनुरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्च परिवहन लागत के कारण हमारे लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा करना बहुत कठिन है। हिमाचल प्रदेश में हमारे संयंत्र क्षेत्रों में माल ढुलाई दर बाजार दर से बहुत अधिक है।

Gulabi Jagat
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