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हिमाचल प्रदेश
78200 मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला, जीत की हैट्रिक या खुलेगा खाता
Gulabi Jagat
22 Oct 2022 7:26 AM GMT
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शिमला:
सियासत में संकट उन सीटों को बचाने का भी है, जो पुश्तैनी हैं। खासतौर पर बात शिमला ग्रामीण की करें, तो यहां पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की परंपरागत सीट पर विक्रमादित्य सिंह चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने भी इस सीट से अपने पत्ते खोल दिए हैं और यहां डा. प्रमोद का टिकट काटकर इस बार जिलाध्यक्ष रवि मेहता को थमा दी है। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के जमाने में इस सीट पर पार्टी एकतरफा जीत दर्ज करती रही है। 2012 में वीरभद्र सिंह ने इस सीट पर 20 हजार मतों से जीत दर्ज की थी, जबकि पांच साल बाद 2017 में भाजपा से मिली टक्कर के बाद विक्रमादित्य सिंह इस सीट पर 4880 से जीत हासिल कर पाए थे। कांग्रेस की जीत में शामिल रहे 15 हजार से ज्यादा मतों को भाजपा अपने खाते में लाने में कामयाब रही थी। शिमला ग्रामीण में मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें, तो इस बार 6225 वोटर बढ़ गए हैं।
यहां 2017 विधानसभा चुनाव में 71 हजार 915 मतदाता पंजीकृत थे, लेकिन पांच सालों में अब इनकी संख्या बढक़र 78 हजार 200 हो चुकी है। इनमें 39 हजार 977 पुरुष, जबकि 38 हजार 223 महिला मतदाता हैं। शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट का भौगोलिक परिदृश्य देखें, तो यह विधानसभा क्षेत्र तीन जिलों का संगम भी है। इस विधानसभा से शिमला शहरी, कुमारसैन, ठियोग, अर्की, सोलन, कुसुम्पटी, सुंदरनगर और रामपुर विधानसभा की सीमाएं लगती हैं। भौगोलिक तौर पर यह सबसे लंबा विधानसभा क्षेत्र है। इसमें ग्रामीण के साथ ही शिमला शहर का भी कुछ हिस्सा जुड़ा हुआ है। शोघी, घणाहट्टी और कच्चीघाटी क्षेत्र शिमला ग्रामीण में शामिल हैं। इतना ही नहीं, शिमला को जोडऩे वाला रेलमार्ग और हवाई अड्डा भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। फिलहाल, दूरदराज तक फैले इस क्षेत्र में अब देखना यह है कि कांग्रेस अपने रसूख को कायम रख पाती है या भाजपा बीते दस सालों से जिसका स्वाद चखने के महरूम है, इस बार वहां तक पहुंच पाती है। (एचडीएम)
कई इलाके सडक़ों से वंचित
उम्मीदवार भाजपा रवि मेहता ने बताया कि शिमला ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादातर इलाके सडक़ों से वंचित हैं। जिन जगहों पर बसें जाती भी हैं, उनके ग्रामीण सामान लेकर नहीं जा सकते हैं। स्थानीय लोगों ने कांग्रेस के बड़े नेताओं से जो उम्मीदें बांध रखी थी वे पूरी नहीं हो पाई हैं। बीते दस सालों से भाजपा लगातार इस सीट पर काम कर रही है और इस बार जीत दर्ज करके ही रहेगी। भाजपा सरकार ने शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में बीएमओ और आरटीओ कार्यालय खोले हैं। इससे पूर्व ग्रामीण के लोगों को गाड़ी की पासिंग के लिए मीलों दूर शिमला शहरी क्षेत्र में आना पड़ता था। अब सुन्नी में ही गाडिय़ों की पासिंग हो जाती है। इस बार भाजपा कांग्रेस को बड़ी टक्कर देगी और जीत भी दर्ज करेगी।
बंद नहीं होने दिए विकास कार्य
विक्रमादित्य सिंह, कांग्रेस विधायक, शिमला ग्रामीण ने बताया कि कांग्रेस ने शिमला ग्रामीण में बीते पांच साल विपक्ष में होने के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्र के कार्य बंद नहीं हुए हैं। आगामी पांच साल के लिए भी बड़े प्रोजेक्ट कांग्रेस इस विधानसभा क्षेत्र में लांच करने वाली है। जिनमें पांच हजार युवाओं के लिए रोजगार देना तय किया गया है। शिमला ग्रामीण क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनाओं की मदद से भी क्षेत्र के 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा विधायक प्राथमिकता के आधार पर भी पूरे कार्यकाल के दौरान सडक़ सहित अन्य कार्य शिमला ग्रामीण क्षेत्र में पूरे किए गए हैं। लोग कांग्रेस के साथ हैं और यहां इस बार पार्टी बड़ी जीत दर्ज करेगी।
शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में सडक़-शिक्षा-स्वास्थ्य मुद्दे
शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में इस बार सबसे बड़ा मुद्दा सडक़ों का है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में बसों के समय को लेकर भी लोग आवाज उठा रहे हैं। सब्जी उत्पादन वाले क्षेत्रों में पानी को लेकर भी लगातार समस्या बनी हुई है। रोजगार की मांग भी युवा उठा रहे हैं। इस क्षेत्र में औद्योगिक इकाई की स्थापना और इसमें 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार पर भी शिमला ग्रामीण में बड़ी चर्चा सुनाई दे रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य और उच्च शिक्षण संस्थान का वादा भी राजनेताओं से लोग चाह रहे हैं।
Gulabi Jagat
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