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पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश के लिए 55 फीसदी अंक जरूरी: यूजीसी
हिमाचल: प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में पीएचडी में एडमिशन के लिए अब यूजीसी ने नए नियम तय कर दिए हैं। इसमें पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश के लिए 55 फीसदी अंक होना जरूरी है। यानी जिन उम्मीदवारों ने कुल मिलाकर कम से कम 55 फीसदी अंकों के साथ एमफिल (मास्टर ऑफ फिलोसफी) की हो उसे ही पीएचडी में एडमिशन दी जाएगी। यूजीसी ने 55 से फीसदी अंकों की छूट का प्रस्ताव दिया है। इसमें अलग-अलग दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, समय-समय पर आयोग के निर्णय के अनुसार अनुभाग और अन्य श्रेणियों के उम्मीदवार के लिए ग्रेड के समकक्ष छूट की अनुमति दी जा सकती है। चार साल का स्नातक कार्यक्रम छात्रों के लिए कई तरह से फायदेमंद है, जो लोग शोध में रुचि रखते हैं वे या तो बहु-विषयक शोध कर सकते हैं या अपने अंतिम वर्ष में किसी एक विषय पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम में अच्छा प्रदर्शन करने वाले पीएचडी कार्यक्रम में शामिल होने के पात्र होंगे।
ऐसी होगी प्रवेश प्रक्रिया: सभी विश्वविद्यालय पीएचडी विद्वानों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) या राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा या व्यक्तिगत विश्वविद्यालयों के स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश देंगे। शैक्षणिक वर्ष की कुल रिक्त सीटों का साठ प्रतिशत नेट, जेआरएफ उत्तीर्ण छात्रों से और शेष चालीस प्रतिशत विश्वविद्यालय, सामान्य प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों के माध्यम से संबंधित संस्थान द्वारा आयोजित साक्षात्कार के आधार पर भरा जाएगा। प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम में ऐसे प्रश्न होंगे जो अनुसंधान और विश्लेषणात्मक, समझ, मात्रात्मक योग्यता का परीक्षण करते हैं।
दो साल की छूट भी मिलेगी: कार्यक्रम पाठ्यक्रम कार्य को छोड़कर न्यूनतम दो वर्ष और अधिकतम छह वर्ष की अवधि के लिए होगा। इसमें महिला उम्मीदवारों और दिव्यांग व्यक्तियों जिनकी विकलांगता 40 फीसदी से अधिक हो उन्हें पीएचडी के लिए दो साल की छूट दी जा सकती है। इसके अलावा, महिला उम्मीदवारों को पीएचडी की पूरी अवधि में एक बार 240 दिनों तक के लिए मातृत्व अवकाश, बाल देखभाल अवकाश प्रदान किया जा सकता है। इसके साथ ही प्रत्येक पीएचडी छात्र के लिए एक शोध सलाहकार समिति या समकक्ष निकाय होगा। इसका उद्देश्य शोध प्रस्ताव की समीक्षा करना और शोध के विषय को अंतिम रूप देना है।