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हिमाचल प्रदेश
कोटशेरा कॉलेज में 43 प्रतिभागियों ने ली अंगदान करने की शपथ
Shantanu Roy
22 Jan 2023 12:20 PM GMT

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बड़ी खबर
शिमला। शिमला के कोटशेरा काॅलेज में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की ओर से अंगदान के विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें भारत स्काऊट एंड गाइड के तहत चल रहे कैंप के 43 प्रतिभागियों ने अंगदान की शपथ ली। वहीं 150 प्रतिभागियों ने अंगदान के बारे में जानकारी हासिल की। सोटो की आईईसी व मीडिया कंसल्टैंट रामेश्वरी और ट्रांसप्लांट को-आर्डीनेटर नरेश कुमार ने प्रतिभागियों को अंगदान के महत्व के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति का जीवन बचाने के लिए डॉक्टर होना ही जरूरी नहीं है बल्कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान कर जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं। अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के ब्रेन डैड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। मृतक के अंग लेने के लिए परिजनों की सहमति बेहद जरूरी रहती है। उन्होंने बताया कि देश भर में प्रतिदिन 6000 मरीज समय पर ऑर्गन न मिलने के कारण मरते हैं। ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन एक्ट-1994 जीवित दाता एवं ब्रेन डैड डोनर को अंगदान करने की स्वीकृति प्रदान करता है।
यह अधिनियम चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए अंगों को निकालने, भंडारण करने और प्रत्यारोपण को नियंत्रित कर मानव अंगों को तस्करी से बचाता है। कोई भी व्यक्ति अंग को खरीद या बेच नहीं सकता। उन्होंने प्रतिभागियों से अपील करते हुए कहा कि सोटो हिमाचल की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत स्काऊट एंड गाइड के प्रतिभागी अंगदान के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश के अभियान में उत्कृष्ट भूमिका अदा कर सकते हैं। इस दौरान भारत स्काऊट एंड गाइड के लीडर ऑफ कैंप आशीष कुमार, स्टेट हैडक्वार्टर प्रतिनिधि रोहित ठाकुर, रोवर स्काऊट लीडर भीमसेन और डिस्ट्रिक ज्वाइंट सैक्रेटरी रेणुका गुप्ता मौजूद रहीं। ब्रेन जीवन को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रेन डैड व्यक्ति स्वयं सांस नहीं ले सकता। सांस लेने के लिए वह वैंटीलेटर पर निर्भर होता है। हालांकि उसकी नब्ज, रक्तचाप व जीवन के अन्य लक्षण महसूस किए जा सकते हैं। ब्रेन का कार्य न करना मृत्यु का लक्षण है, मस्तिष्क में क्षति पहुंचने का कारण ऐसी स्थिति होती है। इस प्रकार के रोगी को ब्रेन डैड घोषित किया जाता है। कोमा रोगियों और ब्रेन डैड रोगियों के बीच अंतर है। कोमा में मरीज मृत नहीं होता जबकि ब्रेन डैड व्यक्ति की स्थिति इससे अलग है। इसमें व्यक्ति चेतना और सांस लेने की क्षमता हासिल नहीं कर पाता है। ह्रदय कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए वैंटीलेटर की वजह से कार्य कर सकता है। इस अवधि के दौरान करीबी रिश्तेदारों की सहमति से अंग लिए जा सकते हैं।
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