हिमाचल प्रदेश

निजी स्कूलों में पहली बार 2875 एडमिशन, ‘आम बच्चों’ का महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढऩे का सपना साकार

Gulabi Jagat
25 May 2023 2:05 PM GMT
निजी स्कूलों में पहली बार 2875 एडमिशन, ‘आम बच्चों’ का महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढऩे का सपना साकार
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शिमला: शिक्षा के अधिकार कानून के देश में लागू होने के 14 साल बाद हिमाचल को निर्धन परिवारों के बच्चों को महंगी प्राइवेट स्कूलों में पहुंचाने के लिए कामयाबी मिली है। वर्तमान शिक्षा सत्र में हिमाचल के निजी स्कूलों में रिकॉर्ड 2875 इकॉनोमिक वीकर सेक्शन यानी ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चों की एडमिशन हुई है। इस आंकड़े में कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, क्योंकि इससे पहले एक शिक्षा सत्र में कुल एडमिशन का आंकड़ा 155 से ऊपर नहीं गया था। आरटीई कानून के 2009 में लागू होने के बाद सबसे पहले 2011 में इस बारे में हिमाचल हाई कोर्ट में केस पहुंचा था, लेकिन वर्ष 2021 तक कोई कामयाबी नहीं मिली। इसकी एक वजह यह भी थी कि तब की सरकार और शिक्षा विभाग ही अपने सरकारी स्कूलों की एडमिशन कम नहीं होने देना चाहता था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि इन बच्चों का पढऩे का खर्चा भी सरकार को झेलना था, लेकिन पिछले साल हिमाचल हाई कोर्ट ने इस मामले पर सख्त रुख अख्तियार किया और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी तय की। हाई कोर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग के खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गए थे कि वे संबंधित जिले के शिक्षा अधिकारियों को आरक्षण की जानकारी दें। याचिकाकर्ता नमिता मनिकटाला ने यह केस किया था और आरोप लगाया था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की अनुपालना नहीं हो रही है। इसके बाद राज्य सरकार भी एक्टिव हुई और शिक्षा मंत्री से लेकर शिक्षा सचिव के स्तर पर कई बैठकें हुई। एडमिशन के लिए प्राइवेट स्कूलों को प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक के स्तर पर हुई बैठकों में तैयार किया गया। आखिरकार इस शिक्षा सत्र में 2875 बच्चे महंगे प्राइवेट स्कूलों में पहुंच गए हैं। उनकी मासिक फीस के तौर पर राज्य सरकार प्राइवेट स्कूलों को करीब 3900 रुपए का भुगतान करेगी। राइट टू एजुकेशन एक्ट में प्रावधान है कि प्राइवेट स्कूलों को भी अपनी 25 फ़ीसदी सीटें ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए आरक्षित करनी हैं। इससे पहले न तो स्कूल से ये सीटें दे रहे थे, न ही एडमिशन हो रही थी। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक घनश्याम चंद बताया कि हिमाचल में यह पहली बार है कि प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों की एडमिशन का आंकड़ा 3000 के आसपास पहुंच रहा है। अब आने वाले समय में इस संख्या में बढ़ोतरी होती रहेगी। (एचडीएम)
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