हिमाचल प्रदेश

27 घर और 26 गोशालाएं, दो मंदिर आंखों के सामने जलकर राख हो गई, लोग मदद के लिए इधर-उधर भागते नजर आएं

Subhi
12 Dec 2021 3:59 AM GMT
27 घर और 26 गोशालाएं, दो मंदिर आंखों के सामने जलकर राख हो गई, लोग मदद के लिए इधर-उधर भागते नजर आएं
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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की सैंज घाटी की गाड़पारली पंचायत के मझाण में हुए अग्निकांड में आंखों के सामने ही अपना आशियाना जलता देख ग्रामीण रोते-बिलखते रहे। गांव में चीख-पुकार मचती रही।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की सैंज घाटी की गाड़पारली पंचायत के मझाण में हुए अग्निकांड में आंखों के सामने ही अपना आशियाना जलता देख ग्रामीण रोते-बिलखते रहे। गांव में चीख-पुकार मचती रही। लोग मदद के लिए एक-दूसरे को पुकारते रहे। जब कोई मदद नहीं मिली तो लोगों ने मिट्टी डालकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया, जो नाकाफी रहा। छोटे-छोटे बच्चें भी अपनी आंखों से सामने अपने आशियाने को जलता देख आंसुओं को नहीं रोक पाए।

गांव में कुछ देर के लिए मातम जैसा मौहाल रहा। लोग मदद के लिए इधर-उधर भागते नजर आएं। आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। बुजुर्ग भी उम्रभर की जमा पूंजी का जिक्र करते रहे। इस घटना में बच्चों की किताबें, वर्दी और बैग भी जलकर राख हो गए। इस घटना में पीड़ितों की उम्रभर की जमापूंजी राख हो गई। इस अग्निकांड में 27 घर और 26 गोशालाएं और दो मंदिर जलकर राख हो गए। कुल नौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


पूर्वजों की पूंजी को आंखों के सामने राख होता देख महिलाएं रोते-बिलखते कह रही थीं कि फिर यह पुराना आशियाना देखने को नहीं मिलेगा। इस आशियाने को बनाने के लिए उनके पूर्वजों ने कड़ी मेहनत की है।

सुदूर मझाण गांव में शनिवार को भी रोज की तरह सब सामान्य चल रहा था। दो दिन की छुट्टी होने के कारण गांव से बाहर काम करने वाले और स्कूली बच्चे भी घर आए थे। एकाएक गांव के बीच से धुआं उठने लगा। लोग समझे कि खेतों में कुछ जलाया जा रहा होगा। तभी महिलाओं और बच्चों की चीख-पुकार से गांव में पसरा सन्नाटा टूटा।

जिन घरों को ग्रामीण निहारते नहीं थकते थे। उन घरों की हालत डरावनी हो चुकी थी। ग्रामीण राजेंद्र कुमार, पविंद्र कुमार, दिनेश, फता चंद, जगदीश, जवाहर लाल, निमत राम और लिखत राम ने बताया कि गांव में आग लगने से ग्रामीण सदमे में है। सर्द मौसम में अब पालतू पशुओं के साथ खुले आसमान के नीचे रातें गुजारनी पड़ेंगी।

गनीमत यह रही कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। मोबाइल फोन का सिग्नल न होने से ग्रामीण आसपास के गांव से सहायता भी नहीं ले पाए। ग्रामीणों ने बताया कि सरकार से सड़क, पानी और सिग्नल के लिए कई बार गुहार लगाई। कई बार प्रतिनिधिमंडल जनप्रतिनिधियों से मिले। लेकिन हर बार उन्हें अनसुना कर दिया गया। गांव में यह सुविधाएं होतीं तो आग से घर बच सकते थे। ग्रामीण अपने तन पर पहने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा पाए। पंचायत के पूर्व प्रधान भाग चंद ने बताया कि आग से मझाण गांव में 15 घर पूरी तरह से जल गए हैं। इसमें देवता राई नाग का प्राचीन मंदिर भी जल गया है।
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