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हिमाचल प्रदेश
2 डॉपलर वैदर राडार स्थापित, केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली से वर्चुअल किया उद्घाटन
Shantanu Roy
16 Jan 2023 11:56 AM GMT

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बड़ी खबर
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ. जितेंद्र सिंह द्वारा नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के लिए 2 डॉपलर वैदर राडार स्थापित करने के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। यह राडार प्रदेश के मंडी जिले के मुरारी देवी व चम्बा जिले के जोत में स्थापित किए गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ये राडार विशेषकर कम दूरी के पूर्वानुमानों के लिए सभी दिशाओं में 100 किलोमीटर के दायरे में भारी बारिश, आंधी और ओलावृष्टि की जानकारी देने में सक्षम होंगे तथा राज्य के लिए क्षेत्र विशिष्ट पूर्वानुमान और चेतावनी में सुधार करने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि यह मौसम की निगरानी क्षमताओं में वृद्धि करेंगे और सटीक डाटा उपलब्ध करवाएंगे, जिससे प्रशासन को मौसम के कारण होने वाली आपदाओं के नुक्सान को कम करने के लिए पूर्व प्रबंधन में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि शिमला जिले के कुफरी में 15 जनवरी, 2021 को एक डॉपलर वैदर राडार पहले ही स्थापित किया जा चुका है।
इन 2 अतिरिक्त राडारों के क्रियाशील होने से राज्य का लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र मौसम पूर्वानुमान के दायरे में आ जाएगा। अभी भी किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों का लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र इन राडार के दायरे में नहीं आएगा। सीएम ने केंद्रीय राज्य मंत्री से इन जिलों के लिए अतिरिक्त राडार उपलब्ध कराने का आग्रह किया ताकि इन जनजातीय जिलों को भी कवर किया जा सके। मुख्यमंत्री इस अवसर पर केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश के लिए आपदा कोष में वृद्धि करने का आग्रह किया क्योंकि राज्य अपनी कठिन भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के कारण विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित है। इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, आरडी नजीम और भरत खेड़ा, सचिव अक्षय सूद, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक एम. महापात्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सीएम ने कहा कि हाल ही के वर्षों में बादल फटने से किन्नौर जिले में भारी नुक्सान हुआ है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि पहले से निवारक उपाय करने के लिए एक उचित मौसम पूर्वानुमान तंत्र विकसित किया जाए। बादल फटने की इन घटनाओं से बिजली परियोजनाओं संबंधी क्षेत्रों में भारी नुक्सान हुआ है।
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