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हिमाचल प्रदेश
पूर्व सचिव के मामले में आरोपी उमा आजाद ले रही यू टर्न, पैसे देकर नौकरी पाने वाले बनते गए ‘एजेंट’
Gulabi Jagat
4 May 2023 12:08 PM GMT
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हमीरपुर: भंग हो चुके हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में 23 दिसंबर, 2022 को सामने आए परीक्षा भर्ती लीक के विभिन्न मामलों में अब तक आयोग के पूर्व सचिव रहे एचएएस अधिकारी, एक सीनियर असिस्टेंट और दो चपरासियों समेत 19 आरोपियों पर विजिलेंस रिकार्ड में छह एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। अब तक हुई जांच और पूछताछ में बड़े ही चौंकाने वाले और दिलचस्प खुलासे सामने आने लगे हैं। अब तक यह तो साफ हो चुका है कि एजेंटों के माध्यम से पैसे लेकर भर्तियों के पेपर बेचने का धंधा चला हुआ था। चार-चार लाख रुपए तक अभ्यर्थियों से लिए जाते थे। उससे आगे दिलचस्प यह था कि जिनकी नौकरी लग गई है या जिनका पेपर क्लीयर हो जाता था, वह भी आगे ग्राहक खोजता था, ताकि जो पैसा उसने खर्च किया है, उसकी भरपाई की जा सके। ऐसे ही किसी ने अपनी पत्नी की नौकरी लगाई, किसी ने भाई की, किसी ने बेटे की, तो किसी ने भतीजे की। अपनों को लगाई इन नौकरियों के बाद दूसरे लोगों को इस बात का यकीन हो जाता था कि पैसे देकर काम हो जाएगा। इस बिजनेस की चेन ऐसी बन गई कि टाइपिंग इंस्टीच्यूट चलाने वाले से लेकर एक ढाबे वाला भी इसमें दलाल बनता गया, जिसके खिलाफ हाल ही में तीसरी एफआईआर दर्ज हुई है। इस केस की अब जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे आरोपियों की जुबान सच उगलती हुई नजर आ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि कल तक एक-दूसरे का बचाव करते दिख रहे आरोपी पिछले दिनों हुई पूर्व सचिव की गिरफ्तारी के बाद अब यू टर्न लेते हुए नजर आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक आयोग की सीनियर असिस्टेंट रही उमा आजाद, जो कि गोपनीय शाखा में तैनात थी, कुछ महीने पहले आयोग के पूर्व सचिव को पूरी तरह से निर्दोष और मामले से अनभिज्ञ बता रही थी, लेकिन अब उसने यू टर्न ले लिया है। इसके पीछे वजह मोबाइल फोन की कॉल डिटेल और रिकॉर्डिंग बताई जा रही है। दूसरा सबको लगने लगा है कि एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर, जिसके खिलाफ 22 मार्च को एफआईआर दर्ज हुई थी और 31 मार्च को उसे अरेस्ट कर लिया गया, उसकी सेवाएं 15 दिन के भीतर समाप्त कर दी गईं, लेकिन जो कि आयोग के मुख्य कर्ताधर्ता रहे हैं, उनके तीन महीने तो पूछताछ में ही निकाल दिए और गिरफ्तारी के लगभग एक माह बाद भी उनकी अभी तक डीम्ड सस्पेंशन तक सरकार नहीं कर पाई है। यही नहीं, जिन पर पूरे मामले की जिम्मेदारी होनी चाहिए थी, उन्हें छह में से केवल एक एफआईआर में आरोपी बनाया गया है। क्या सच में उनपर किसी का बर्दहस्त है।(एचडीएम)
उच्च अधिकारी के बेटे ने किया था टॉप
पोस्ट कोड 819 के तहत हुई ट्रैफिक इंस्पेक्टर की भर्ती में आरोपी पाए गए रवि कुमार की सेवाएं पिछले दिनों समाप्त कर दी गईं। हालांकि बताते हैं कि उसका एक साल का सेवाओं का कांट्रेक्ट काफी बेहतर रहा था। जानकारी है कि टै्रफिक इंस्पेक्टर की इस भर्ती में छह अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए थे, जिनमें से एक उच्चाधिकारी के बेटे ने टॉप भी किया था।
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Gulabi Jagat
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