हरियाणा

22 साल से शिविर लगाकर कांवड़ियों की सेवा कर रहे यामीन खान

Gulabi Jagat
25 July 2022 12:03 PM GMT
22 साल से शिविर लगाकर कांवड़ियों की सेवा कर रहे यामीन खान
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कांवड़ियों की सेवा कर रहे यामीन खान
नूंह- सावन के महीने में बोल बम के जयकारों के साथ कांवड़िये सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके जल लेने पहुंच रहे हैं. इन यात्राओं में कांवड़ियों को कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. कई बार उन्हें चोट लग जाती है तो कई बार उनके पैर जवाब दे जाते हैं. इन्हीं कांवड़ियों के लिए शिविर लगाकर सेवा कर रहे नूंह के रहने वाले यामीन खान हिंदू-मुस्लिम भाई चारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. जब कई किलोमीटर पैदल चलकर कांवड़ियों की हिम्मत जवाब दे जाती है तो यामीन खान इन कांवड़ियों को दर्द से निजात दिलाते हैं.
एक्यूप्रेशर थेरेपी से करते हैं सेवा- यामीन पेशे से एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट हैं. इसी थेरेपी से वो कांवड़ियों को दर्द से निजात दिलाते हैं ताकि भगवान शिव को जल चढ़ाने की राह में शारीरिक दर्द आड़े ना आए. वो साल 2001 में स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त हुए और 2019 तक कांवड़ियों की इसी तरह सेवा करते रहे. अब रिटायर हो चुके हैं लेकिन कांवड़ियों की सेवा का जज्बा बरकरार है.
यामीन के हाथों में जादू है- नूंह की अनाज मंडी में लगाए गए कांवड़ शिविर में पैदल चलकर आने वाले कांवड़िये अपनी थकान मिटाने के लिए रुकते हैं. चल-चलकर पैरों की नसें जवाब दे जाती हैं और यामीन के हाथों का जादू दर्द को छूमंतर कर देता है. रोजाना करीब 1000 कांवड़िये यहां से गुजरते हैं जिनमें से ज्यादातर के दर्द को यामीन चुटकियों में दर्द दूर कर देते हैं. पैर, घुटना, कंधा हो या कमर का दर्द यामीन कांवड़ियों को दर्द से निजात दिलाते हैं.
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल- यामीन बताते हैं कि वो पिछले 22 साल से कांवड़ियों की सेवा कर रहे हैं. हिंदू और मुस्लिम दो दादाओं की औलादें हैं, किसी के शरीर से खून का रंग निकलेगा तो उसका रंग लाल ही होगा. यामीन कहते हैं कि उन्हें ये काम अच्छा लगता है, वो सेवा करते हैं और बदले में कांवड़ियें उन्हें आशीर्वाद देकर जाते हैं. इससे बड़ा सुकून और कुछ नहीं हो सकता.
क्या कहते हैं कांवड़िये- सोमनाथ पिछले 20 साल से कांवड़ उठा रहे हैं. वो कहते हैं कि हर साल इस रास्ते से गुजरते हैं और यामीन इसी तरह से कांवड़ियों की सेवा करते दिख जाते हैं. खुद वो भी कई बार दर्द में थे तो यामीन के हाथों का जादू ही काम आया. विनोद दूसरी बार कांवड़ ले जा रहे हैं, वो बताते हैं कि पैदल चलकर और कांवड़ को कंधे पर उठाए रखने से हाथ और पैर में दर्द हो गया था लेकिन यामीन के इलाज के बाद वो बिल्कुल ठीक हैं. कांवड समिति के सदस्य प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि शहरभर के लोगों की मदद से ये शिविर लगाया गया है और यामीन हर साल यहां पहुंचकर कांवड़ियों की सेवा करते हैं और हिंदू मुस्लिम भाई चारे की मिसाल को कायम किए हुए हैं.
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