हरियाणा

लोकायुक्त के समक्ष पीपी कपूर का गलत शपथ पत्र ?

Anuj kumar Rajora
28 July 2023 10:19 AM GMT
लोकायुक्त के समक्ष पीपी कपूर का  गलत शपथ पत्र ?
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चंडीगढ़: (ब्यूरो)। हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी का मामला एक बार फिर चर्चा में है। वजह है समालखां के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर की ओर से लोकायुक्त में पेश की गई याचिका। कपूर ने इस याचिका में शपथ-पत्र देकर दावा किया है कि प्रॉपर्टी सर्वे में 99 प्रतिशत तक गलतियां थीं। इसके बावजूद सरकार और नगरीय निकायों ने सर्वे कंपनी को 60 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। लेकिन, कपूर की ओर से पेश याचिका में ही विरोधाभासी तथ्य सामने आ रहे हैं।

याचिका में बतौर साक्ष्य लगाई गई एक प्रमुख समाचार पत्र की खबरों में खुद स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने कहा है कि सर्वे कंपनी की कोई गलती नहीं है, नगरीय निकायों के अफसरों ने सर्वे के डाटा वेरिफाई करके सर्टिफिकेट जारी किया है। मंत्री ने कहा है कि दरअसल, उन 35 लाख प्रॉपर्टी मालिकों को डर खाए जा रहा है जो अब तक टैक्स नहीं दे रहे थे, अब उन्हें टैक्स देना पड़ेगा। कई लोगों की बेनामी प्रॉपर्टी भी खुल गई हैं।

याचिका के साथ संलग्न एक समाचार पत्र की खबर के मुताबिक नगरीय निकाय मंत्री ने कहा है कि जब व्यापक स्तर पर सर्वे होता है तो कुछ कमियां रहती ही हैं। वैसे भी टेंडर डॉक्यूमेंंट में 5 प्रतिशत गलतियों को अनुमत किया गया था। 10 प्रतिशत तक गलतियां पाए जाने पर सरकार कंपनी को दुबारा सर्वे करने के लिए कह सकती थी। इससे ज्यादा गलतियां पाए जाने पर पेनल्टी लगाए जाने का प्रावधान था। हालांकि रोचक तथ्य यह भी इन समाचारों में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे को लेकर जिस कंपनी को कटघरे में खडा किया गया, उसका पक्ष ही प्रकाशित नहीं है। कंपनी की ओर से उच्च स्तर पर शिकायत के बाद उस अखबार में एकतरफा खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई थी।

कपूर ने खुद भी अपनी याचिका के बिंदु संख्या 3 में कहा है कि प्रदेश के सभी नगरीय निकायों यथा नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं के अधिकारियों ने प्रॉपर्टी आईडी सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताते हुए जरूरी साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी किए। इन्हीं के आधार पर कंपनी को सर्वे कार्य का भुगतान किया गया। नगर निगम हिसार की ओर से जारी सर्टिफिकेट में तो यहां तक कहा गया कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की वेरिफिकेशन के दौरान उन्हें सर्वे में किसी तरह की कोई त्रुटि नहीं मिली।

कपूर ने याचिका में इसके लिए बनी स्थानीय निकाय विभाग की स्टीयरिंग कमेटी में शामिल सभी अफसरों को भ्रष्ट करार दिया है। जबकि इतने बड़े सिस्टम जिसमें सैकड़ों लोग अलग-अलग पदों और स्टेज पर कार्यरत हों, वहां ऐसा कम ही संभव हो पाता है सभी लोग गलत काम पर मुहर लगाते चले जाएं।

सर्वे में गलतियों के आंकड़ों और मंत्री के इंटरव्यू का दिया गलत हवालाः

कपूर ने याचिका के बिंदु संख्या 4 में प्रॉपर्टी सर्वे में 95 प्रतिशत गलतियां बताई हैं जबकि याचिका के बिंदु संख्या 2 और 3 में 99 प्रतिशत गलतियां होना बताया है। बिंदु संख्या 6 में कपूर ने शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता के एक अखबार में छपे इंटरव्यू के हवाले से कहा है कि 42.70 लाख प्रॉपर्टी का सर्वे किया गया। इनमें से 15.50 लाख में गलतियां पाई गईं। यह 36.30 प्रतिशत होता है। जबकि यह तथ्य पूरी तरह गलत है, मंत्री कमल गुप्ता ने कहीं नहीं कहा कि 42.70 लाख में से 15.50 लाख गलतियां पाई गई थीं। बल्कि यह अखबार का खुद का एकतरफा निष्कर्ष था। इस तरह कपूर के पास इस बात का कोई ठोस आधार (सर्वे, जांच रिपोर्ट आदि) नहीं है कि प्रॉपर्टी सर्वे में वास्तव में कितने प्रतिशत गलतियां थीं, और टेंडर में सर्वे डाटा में कितने प्रतिशत एरर अनुमत था। जबकि कपूर ने लोकायुक्त के समक्ष पेश किए शपथ-पत्र में सभी तथ्यों के शत-प्रतिशत सत्य होना कहा है।

शपथ-पत्र में दिए गए तथ्यों को साबित करने का जिम्मा कपूर परः

इधऱ, लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति लोकायुक्त अथवा किसी न्यायिक, अर्द्ध न्यायिक अथवा प्रशासनिक संस्था में भी शपथ-पत्र प्रस्तुत कर रहा है तो उसके पास अपनी बात को सत्य साबित करने के लिए ठोस प्रमाण (सर्वे कार्य की एसओपी का अध्ययन, एनडीसी पोर्टल से रजिस्ट्री डाटा को जोड़ना, जांच रिपोर्ट आदि) होना चाहिए। अन्यथा गलत शपथ-पत्र दाखिल करने के लिए संबंधित संस्था कानूनी कार्रवाई कर सकती है। अखबार अथवा मीडिया में प्रकाशित तथ्य या समाचार न्यायिक प्रक्रिया में बतौर साक्ष्य स्वीकार्य नहीं हैं। कानूनन ऐसे मामलों में 7 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इस तरह शपथ-पत्र में दिए गए तथ्यों को साबित करने का जिम्मा अब कपूर पर है।

अगर सर्वे सही था तो इतने लोग धक्के क्यों खा रहे हैंः

कपूर इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर का कहना है कि लोकायुक्त में दायर याचिका में उन्होंने जो तथ्य दिए हैं, वे बिल्कुल सत्य हैं। अगर सर्वे सही था तो अब इतने सारे लोग निकायों में प्रॉपर्टी आईडी ठीक कराने के लिए धक्के क्यों खा रहे हैं। वे फील्ड में रहते हैं, उन्हें सारे तथ्यों की जानकारी है। सरकार ने डेवलपमेंट चार्ज लेने के चक्कर में हरियाणा के लोगों को धक्के खाने के लिए छोड़ दिया है। इसकी जांच होनी चाहिए।

तय एसओपी के मुताबिक सर्वे कार्य बिलकुल सही कियाः कंपनी

इधऱ, कंपनी के एमडी संजय गुप्ता का कहना है कि हरियाणा में प्रॉपर्टी सर्वे का कार्य तय शर्तों और निर्णयों के अंतर्गत बिलकुल सही किया गया है। टेंडर की शर्तों और जानकारी के अभाव में कंपनी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करना उचित नहीं है। यह सभी समस्याएं इसलिए आईं क्योंकि सर्वे कार्य खत्म होने के बाद एनडीसी पोर्टल को रजिस्ट्री से जोड़ दिया गया।

सर्वे डाटा का रजिस्ट्री में दर्ज नाम व एरिया से कोई सीधा संबंध नहीं है। फिर भी उच्च स्तरीय निर्णय का सम्मान करते हुए कंपनी द्वारा 42 लाख प्रॉपर्टी ऑनर्स को एक अवसर प्रदान करके घर-घर संपत्ति कर के पुनर्मूल्यांकन सूचना पत्र वितरित किए गए। प्राप्त आवेदनों को रजिस्ट्री डाटा आधार पर जीरो प्रतिशत एरर रखते हुए उन्हें ठीक किया गया। समाचार पत्रों में प्रकाशित एक तरफा खबरों को प्राइमरी एविडेंस नहीं माना जा सकता। इस संबंध में कंपनी की आपत्ति के बाद प्रमुख समाचार पत्रों के प्रबंधन ने एकतरफा खबरें प्रकाशित करने पर रोक लगा दी थी।

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