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पानी व सीवर की समस्या बरकरार, पढ़िए जिले के बारे में अहम बातें

Admin4
19 July 2022 9:28 AM GMT
पानी व सीवर की समस्या बरकरार, पढ़िए जिले के बारे में अहम बातें
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रोहतक 1997 में झज्जर से अलग हुआ था। शिक्षा, स्वास्थ्य का हब बनने के साथ सड़कों का विकास हुआ। 2021 में प्रोजेक्टेड डाटा के हिसाब से जिले की जनसंख्या 12 लाख को पार कर गई।

1997 में रोहतक से झज्जर अलग होने के बाद इसका क्षेत्रफल तो घट गया, लेकिन जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस समय जिले की जनसंख्या 776966 रह गई थी। अब 25 साल के अंतराल पर जिले की आबादी 12 लाख का आंकड़ा पार कर गई है। 2011 के आंकड़े में जिले की जनसंख्या 1061204 थी, जबकि 2021 का अनुमानित जनसंख्या 1207516 मानी जा रही है।

जिले की आबादी बढ़ने का मुख्य कारण यहां शिक्षा-स्वास्थ्य का हब, सड़कों का जाल और दिल्ली के करीब होना है। यहां की सारी आबादी नहरी पानी के भरोसे है। बढ़ती जनसंख्या के लिए यहां पेयजल समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। सीवर जाम जैसी समस्या भी लगातार बनी है।

यह समस्या आने वाले दिनों में जिले के लिए खतरे की घंटी है। प्रदेश की राजनैतिक राजधानी, शिक्षा-स्वास्थ्य का हब कहे जाने वाले रोहतक की स्थिति वर्तमान में बदल गई है। शहर के मुकाबले गांवों में अधिक आबादी है। इसकी वजह शिक्षा व आर्थिक आधार भी है।

रोहतक की नई सीमा बनने के बाद 1991 से 2021 तक अब तक यहां 55.41 प्रतिशत की जनसंख्या की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इसे जनसंख्या गणना के हिसाब से सामान्य माना जाता है। जिला सांख्यिकी विभाग के डीएसओ नवदीप के अनुसार दस साल के अंतराल में 13-15 प्रतिशत के हिसाब से जनसंख्या का बढ़ना सामान्य माना जाता है। लेकिन इसी हिसाब से भविष्य की योजनाएं बनानी चाहिए, ताकि आने वाले समय में जिले के लोगों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। गौरतलब है कि जिले में चार बड़े विश्वविद्यालय, एफडीडीआई, आईआईएम, 20 से अधिक कॉलेज, सात आईटीआई, पांच से अधिक पॉलीटेक्निक व कई निजी इंस्टीट्यूट हैं।

जेल, बस स्टैंड को किया शिफ्ट, डेयरी, ऑटो मार्केट बने चुनौती

रोहतक से जेल को सुनारिया व बस स्टैंड को पुराने शहर से सेक्टर छह के समीप जरूरत के हिसाब से शिफ्ट कर दिया गया है। हालांकि डेयरी व ऑटो मार्केट को अभी शिफ्ट करना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद इन दोनों को शिफ्ट नहीं कर पा रहे हैं, जोकि शहर में जाम व अन्य समस्याओं का मुख्य कारण है।

इस प्रकार बढ़ी जनसंख्या

वर्ष जनसंख्या

1991 1808606 रोहतक व झज्जर मिलाकर अकेले रोहतक की 776966

2001 940128

2011 1061204

2021 1207516 अनुमानित डाटा

पुरुष व महिलाओं की संख्या

वर्ष पुरुष महिला

1991 977075 831531 रोहतक झज्जर

1991 420253 356713 अकेले रोहतक का

2001 509038 431090

2011 568479 492725

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शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से जिले की अलग-अलग जनसंख्या है। गांवों में शहर की तुलना में अधिक जनसंख्या है। इसकी वजह शिक्षित व अशिक्षित होना तथा आर्थिक रूप से कमजोर होना व मजबूत होना भी शामिल है। कुल मिला कर जिले की जनसंख्या सामान्य रूप से बढ़ रही है। लिंगानुपात की समस्या थी जोकि काफी हद तक नियंत्रित है। - डॉ. शिव कुमार, पूर्व सिविल सर्जन

2021 की जनगणना का अनुमानित डाटा 12 लाख 7516 है। 2011 की तुलना में 13.79 प्रतिशत जिले की आबादी बढ़ी है। रोहतक जिले की 1991 से 2021 तक अनुमानित 55.41 प्रतिशत आबादी बढ़ी है, जोकि सामान्य है। - नवदीप, डीएसओ

जनसंख्या में हो रही अनियमित वृद्धि अनेक समस्याओं की जड़ है। बढ़ती आबादी का पोषण करने वाले प्राकृतिक संसाधन तेजी से नष्ट हो रहे हैं। उपभोग बढ़ता जा रहा है। इस कारण पर्यावरण का भी तेजी से क्षरण हो रहा है। वनों, जल, मिट्टी व अन्य संसाधनों की कमी होती जा रही है। आबादी ने शहरीकरण की समस्या बढ़ाकर पर्यावरणीय समस्या को और गंभीर बनाने का काम किया है। इसमें परिवहन के साधन मुख्य हैं। जनसंख्या पर अंकुश लगाकर हम सभी समस्याओं से बच सकते हैं। - डॉ. राजेश कुमार, सहायक प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, एमडीयू।

ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है रोहतक

पुरातत्वविदों के अनुसार रोहतक में पांच से सात हजार साल पहले की घघर-हाकड़ा संस्कृति से लेकर मध्यकाल ई. के अवशेषों के बारे में जानकारी मिलती है। जिले में 226 जगह इतिहास दफन है। इतिहास से जुड़ी घघर-हाकड़ा संस्कृति से लेकर मध्यकाल तक की कई ऐसी अहम चीजें यहां मिली हैं, जो प्रमाणित करतीं हैं कि ऐतिहासिक दृष्टि से रोहतक महत्वपूर्ण है।

जाट कॉलेज के इतिहासकार डॉ. विवेक दांगी के अनुसार जिले की ऐतिहासिक वस्तुस्थिति जानने के लिए शोध किया गया था। यहां पहले ऐतिहासिक दृष्टि से 109 पुरास्थल ज्ञात थे, बाद में 117 और जुड़ने से ये 226 हो गए। अब सभी पुरातत्व स्थल खतरे में हैं। ये या तो खत्म हो चुके हैं या खत्म होने की कगार पर हैं। इन्हें समतल कर खेती योग्य व रिहायसी क्षेत्र बना लिया है। कुछ स्थलों की मिट्टी सड़क निर्माण में प्रयोग हो रही है। फरमाना अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ऐतिहासिक पुरास्थल था, यहां जापान, अमेरिका, पूना, एमडीयू के पुरातत्वविदों ने शोध किया था।

अब यह नष्ट हो चुका है। यही हाल अन्य संरक्षित पुरातत्व स्थलों का भी है। अंग्रेजों के जमाने में खोखराकोट को संरक्षित किया गया था, परंतु यह अब अवैध कब्जे के अधीन है। पुरातत्वविद ने बताया कि संस्कृति के पुरास्थल के अध्ययन में मध्यकाल के कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। यहां कई गांवों में पुरास्थलों का उत्खनन भी कराया जा चुका है।

इसमें गिरावड़, फरमाणा, महम नजदीक गंगानगर, मदीना, खोखराकोट और अस्थल बोहर माजरा मुख्य स्थान हैं। उत्खनन से यह ज्ञात हुआ कि रोहतक में मनुष्य का स्थायी जीवन करीब छह हजार साल पहले शुरू हुआ था। यहां के पुरास्थलों पर सदियों पुरानी संस्कृति की पहचान करना आसान नहीं था। शोध के दौरान पुरास्थलों पर मिट्टी के बर्तन या कुछ ऐसी वस्तुएं पाई गईं, इससे प्रमाणित होता है कि यहां पर किस संस्कृति के लोग रहते थे।

जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण की बड़ी वजह है। एक समस्या की वजह से कई अनगिनत समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आवास, भोजन, पानी, हवा, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अनेक मुद्दे शामिल हैं। पिछड़ा वर्ग या गरीब तबका सुविधाओं के अभाव में स्लम एरिया या गंदी बस्तियों में बुरे हालातों में रहने को विवश होता है। उनके पास संसाधन नहीं होते हैं। इसकी समस्या बढ़ती जाती है। ऐसे में जनसंख्या पर अंकुश लगना जरूरी है। - डॉ. संतोष नांदल, पूर्व अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग एमडीयू

व्यावसायिक वाहनों का बढ़ रहा दबाव

जिले में व्यावसायिक वाहनों का भी दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि कोरोना काल में कुछ वाहनों का पंजीकरण कम हुआ है। लेकिन सड़कों पर जाम की समस्या बढ़ती जा रही है। सबसे अधिक ऑटो व मध्यम वर्ग के वाहन हैं। इसके अलावा कई स्थानों पर सड़कें संकरी होने के कारण भी जाम की स्थिति बनी रहती है। यही नहीं सामान्य वाहनों की संख्या भी हर साल बढ़ रही है।

ऐसे बढ़ी व्यावसायिक वाहनों की संख्या

1990-2022 तक 60 हजार 592 व्यावसायिक वाहनों का पंजीकरण

वर्ष पंजीकृत वाहन

2019 3085

2020 1595

2021 1932

2022 1566 अब तक

1972 में पहले सोनीपत फिर 1997 में झज्जर रोहतक से अलग हो गया। वर्तमान में झज्जर जिले का क्षेत्रफल रोहतक से अधिक है। जबकि जनसंख्या का दबाव रोहतक पर अधिक है। यहां बाहर से भी अधिक लोग आते हैं। रोहतक की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि क्षेत्रफल उतना ही है। शहर की बात करें तो यह प्रदेश भर के शहरों में सबसे बड़ा शहर रोहतक ही था। दिल्ली के करीब होने के कारण यहां अधिक विकास की जरूरत है, इसमें मेट्रो जैसी सुविधा का होना जरूरी है। - भारत भूषण बतरा, विधायक, रोहतक

सबसे बड़ी समस्या पेयजल व पार्किंग

शहर की आबादी बढ़ने के साथ प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती पेयजल व पार्किंग बनी हुई है। भूमिगत जल पेयजल व सिंचाई के लिए उपयुक्त न होने के कारण नहरी पानी का भरोसा है। नहरी पानी की स्टोरेज क्षमता जनसंख्या के अनुरूप न होने के कारण यहां सर्दियों में भी पेयजल समस्या बनी रहती है। वहीं पार्किंग की कमी हर बाजार में है। इसके चलते बाजारों में भीड़ व सड़कों पर जाम लगा रहता है।

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