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हरयाणा में बेमौसमी बारिश के कारणबाजरा, कपास सहित सब्जियों की फसलों को हुआ भारी

Admin Delhi 1
11 Oct 2022 1:19 PM GMT
हरयाणा में बेमौसमी बारिश के कारणबाजरा, कपास सहित सब्जियों की फसलों को हुआ भारी
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हरयाणा न्यूज़: हरियाणा में लगातार बेमौसमी बारिश के कारण धान, बाजरा, कपास सहित सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने मंगलवार को यहां बताया कि लगातार बेमौसमी बारिश के कारण धान, बाजरा, कपास सहित सब्जियों की फसलों में बड़ा भारी नुकसान हुआ है। मंडियों में किसान का धान भीग गया है और खेतों में पानी भरने के कारण फसलों की कटाई रुक गई है। अगर सरकार 15 सितंबर से धान की खरीद शुरू कर देती तो काफी हद तक धान खराब होने से बचाया जा सकता था। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह किसानों की खराब फसल के लिए 40 हजार रुपए एकड़ के हिसाब से तुरंत मुआवजा देने का काम करें ताकि किसान को राहत मिल सके और किसान अपनी अगली फसल की बिजाई की तैयारी करने के साथ-साथ अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। अबकी बार मानसून में भारी वर्षा होने से किसान की काफी फसल खराब हुई और मानसून जाने के बाद भी एक से 11 अक्टूबर तक काफी बारिश होने से अनाज एवं सब्जियाें को नुकसान पहुंचा।

गर्ग ने कहा कि धान खरीद का भुगतान भी नहीं किया है। सरकार बार-बार अनाज की खरीद और भुगतान 72 घंटे के अंदर करने के लंबे चौड़े घोषणा कर रही थी। सरकार के सभी दावे विफल हुए हैं। सरकार को अपने वायदे के अनुसार किसान की फसल की खरीद, उठान और भुगतान 72 घंटे के अंदर करना चाहिए, ताकि किसान को जो लगातार नुकसान हो रहा है उसे बचाया जा सके। सरकार को फसल के भुगतान के साथ-साथ व्यापारी की आढ़त और पल्लेदारी की मजदूरी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धान भीग गया है और खेतों में पानी भरने के कारण फसलों की कटाई रुक गई है। यदि सरकार 15 सितंबर से धान की खरीद शुरू कर देती तो काफी हद तक धान खराब होने से बचाया जा सकता था। सरकार की जिद के कारण किसान को बड़ा भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बाजरा की खरीद न करने से भारी तादाद में बाजरा खराब हो गई है।

उन्होेंने कहा कि सरकार को अपने वादे के अनुसार किसान की फसल की खरीद, उठान और भुगतान 72 घंटे के अंदर अंदर करना चाहिए, ताकि किसान को जो लगातार नुकसान हो रहा है, उसे बचाया जा सके। सरकार को फसल के भुगतान के साथ-साथ व्यापारी की आढ़त और पल्लेदारी की मजदूरी देनी चाहिए।

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