हरियाणा
विधानसभा में मंत्री संदीप सिंह के इस्तीफे की मांग और नूंह हिंसा पर चर्चा को लेकर हंगामा
Manish Sahu
28 Aug 2023 5:19 PM GMT
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हरियाणा: हरियाणा विधानसभा में सोमवार को नूंह हिंसा पर चर्चा कराने तथा यौन उत्पीड़न मामले के संबंध में मंत्री संदीप सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा हंगामा किए जाने के करण सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। शून्यकाल के शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सदस्य खड़े हो गए और संदीप के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस के आरोपपत्र को लेकर उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संदीप के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री के बयान का संदीप सिंह सहित सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के अन्य सदस्यों ने मेज थपथपाकर समर्थन किया, वहीं कांग्रेस के सदस्य विरोध जताते हुए आसन के पास पहुंच गये। विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि संदीप सिंह का मामला अदालत में विचाराधीन है और किसी भी विचाराधीन मामले पर यहां चर्चा नहीं की जा सकती है।
इस पर हुड्डा ने कहा कि वह मांग कर रहे हैं कि संदीप सिंह नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें या फिर मुख्यमंत्री को उन्हें पद से हटाना चाहिए। हंगामे के जारी रहने पर अध्यक्ष ने आसन के समक्ष आए विपक्षी सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर लौट जाएं वरना वह उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। चंडीगढ़ पुलिस ने हाल में संदीप सिंह के खिलाफ अदालत के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया है। हरियाणा की एक जूनियर एथलेटिक कोच ने भाजपा नेता के खिलाफ पूर्व में यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। बाद में, कांग्रेस के सदस्यों ने नूंह हिंसा पर चर्चा कराने की मांग उठाई। इस पर भी अध्यक्ष ने कहा कि यह मामला अभी अदालत के समक्ष विचाराधीन है। इस पर हुड्डा ने कहा, नूंह में हाल ही में अधिकारियों द्वारा बुलडोजर चलवाने की कार्रवाई से संबंधित मामला ही उच्च न्यायालय में लंबित था।
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री ने हाल में साजिश की तरफ इंगित करते हुए नूंह हिंसा के मामले में बयान दिया था। इस मुद्दे पर यहां चर्चा से स्थिति स्पष्ट होंगी। कांग्रेस नेता किरण चौधरी ने कहा कि विपक्षी सदस्य कानून और व्यवस्था का मामला उठा रहे हैं और इस पर चर्चा होनी चाहिए। हंगामे के बीच भाजपा सदस्य सत्य प्रकाश ने आरोप लगाया कि नूंह हिंसा की नींव यहीं सदन में उस दौरान पड़ी जब कांग्रेस विधायक मम्मन खान ने कथित तौर पर कुछ भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया था। हंगामे के बीच, सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही पुनः आरंभ हो जाने पर सत्य प्रकाश ने मम्मन खान के मुद्दे पर चर्चा के लिए जोर दिया। हलांकि, अध्यक्ष बार-बार दोहराते रहे कि नूंह मामला अदालत के विचाराधीन है। कांग्रेस विधायक बी बी बत्रा ने कहा कि यदि संसद में मणिपुर मामले पर चर्चा की जा सकती है जिस पर उच्चतम न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया था, तो उच्च न्यायालय के समक्ष बुलडोजर कार्रवाई को लेकर चल रही सुनवाई को छोड़करनूंह मामले पर विधानसभा में चर्चा क्यों नहीं की जा सकती है।
अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि नूंह और गुरुग्राम हिंसा उच्च न्यायालय के समक्ष मामले का हिस्सा थी और इसलिए सदन में इसपर चर्चा नहीं की जा सकती है। हालांकि, बत्रा और हुड्डा ने अध्यक्ष से इस मामले में उनकी व्यवस्था देने पर जोर दिया। कांग्रेस की किरण चौधरी ने कहा कि एक विशिष्ट मुद्दे पर मामला विचाराधीन है और यह पूरा मामला कानून तथा व्यवस्था का मुद्दा नहीं है जिसपर चर्चा ना हो सके। उन्होंने कहा, हम यह जानना चाहते हैं कि क्या वहां कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी थी। हुड्डा ने कहा कि उनका दल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में नूंह हिंसा को लेकर जांच की मांग कर रहा है लेकिन सरकार इससे भाग रही है। हंगामे के बीच, राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि नूंह में जो भी हुआ बहुत गलत था। उन्होंने कहा, हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं जिसमें सभी लोग अपने धर्म का पालन कर सकते हैं। इसी संदर्भ में विहिप ने ब्रज मंडल यात्रा निकाली थी। इस पर अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अगर राज्य के गृह मंत्री जवाब देना शुरू कर देंगे तो इसका अर्थ पूरे मुद्दे पर चर्चा करना होगा। हालांकि, विज ने कहा कि वह विस्तृत बयान नहीं देंगे, लेकिन नूंह घटना के संबंध में वह कुछ बातें कहने तक ही सीमित रहेंगे।
विज ने कहा, पुलिस ने कांग्रेस विधायक मम्मन खान को नूंह हिंसा में जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किया है। पिछले सत्र में खान ने विधानसभा में बयान दिया था। विज के कुछ बयानों पर कांग्रेस विधायकों ने तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त की और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दिया। नूंह और इसके आसपास के इलाकों में 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की यात्रा पर हमले के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी जिसमें दो होमगार्ड और एक मौलाना समेत छह लोगों की जान चली गई थी। हिंसा के कुछ दिनों बाद नूंह में अतिक्रमण रोधी अभियान शुरू किया गया था जिस पर सात अगस्त को उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया। न्यायाधीश जी एस संधावालिया और हरप्रीत कौर जीवन ने इसपर स्वतः संज्ञान लिया था और इस अभियान को रोक दिया था। उच्च न्यायालय ने सवाल उठाया था कि क्या अतिक्रमण रोधी अभियान जातीय सफाये की प्रक्रिया थी। हरियाणा सरकार ने नूंह में अपने अतिक्रमण रोधी अभियान का बचाव करते हुए कहा है कि कानून के खिलाफ जाकर कोई भी निर्माण नहीं ढहाया गया है और इसका जातीय सफाये से दूर-दूर तक’’ कोई लेनादेना नहीं है।
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