हरियाणा

10 लोगों को अनट्रेंड ड्राइवर ने बचाया; बोले- मौत को सामने देख रूह कांप गई, पत्थर बरस रहे थे

SANTOSI TANDI
1 Aug 2023 7:02 AM GMT
10 लोगों को अनट्रेंड ड्राइवर ने बचाया; बोले- मौत को सामने देख रूह कांप गई, पत्थर बरस रहे थे
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देख रूह कांप गई, पत्थर बरस रहे थे
हरियाणा के नूंह में हिंसा में फंसे लोग अपने घर सुरक्षित पहुंच गए हैं। ब्रज मंडल यात्रा में शामिल होने गए भिवानी के सुंधाशु भी सुरक्षित घर लौटे, हालांकि हमले में वे घायल हुए, लेकिन एक अनट्रेंड ड्राइवर की वजह से उनकी जान बच गई।
वहीं घर लौटने के बाद सुधांशु ने बताया कि कैसे नूंह में हिस्सा भड़की? नूंह में हिंसा के दौरान क्या हालात रहे और किस तरह एक व्यक्ति ने बस ड्राइविंग की जानकारी न होते हुए भी स्टेयरिंग संभालकर उन्हें मौत के मुंह से निकाला और अस्पताल पहुंचाया।
पढ़िए नूंह में हिंसा की कहानीं, भिवानी के सुधांशु की जुबानी...
रेवाड़ी के ट्रॉमा सेंटर में उपचाराधीन नूंह हिंसा में घायल लोग।
रेवाड़ी के ट्रॉमा सेंटर में उपचाराधीन नूंह हिंसा में घायल लोग।
हिंसा के चश्मदीद सुधांशु ने कहा...
सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे का समय था। हम सभी नूंह में ब्रजमंडल यात्रा में शामिल गाड़ियों के काफिले में शामिल होकर नल्हड़ शिव मंदिर से फिरोजपुर-झिरका की तरफ रवाना ही हुए थे कि अचानक पूरा काफिला रूक गया। हमारी बस पीछे थी, जिसमें काफी सारे बच्चे थे। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, बस पर पत्थर लगने शुरू हो गए।
कुछ सेकेंड बाद ही मंजर खौफनाक तस्वीर में बदल गया। पत्थरों की ऐसी बारिश हुई कि खुद को संभालना भी मुश्किल हो गया। पहले एक तरफ से पत्थर फेंके जा रहे थे। कुछ सेकेंड बाद ही चारों तरफ से पत्थरों की बारिश हुई। हालात यह बने की बस में चीख-पुकार मच गई। कुछ लोग बस से निकल कर भाग गए। इसमें बस का चालक भी शामिल था।
भिवानी के यात्रियों की बस के टूटे हुए शीशे।
भिवानी के यात्रियों की बस के टूटे हुए शीशे।
10 लोग ही बस में बचे। इसी बीच उपद्रवियों की भीड़ पहुंच गई। एक-एक आदमी की जेब चैक की। वे बोल रहे थे कि बंदूक तो नहीं है। इसके बाद उनके मोबाइल फोन और पर्स छीन लिए। एक व्यक्ति ने उनकी मदद की और फिर उनके साथ ही यात्रा में गए अनट्रेड ड्राइवर ने बस का स्टेयरिंग संभाला। वह उन्हें 50 किलोमीटर दूर रेवाड़ी लाकर ट्रॉमा सेंटर में ले गया।
हिंसा, आगजनी और मौत के इस खौफनाक मंजर की कहानी भिवानी के रहने वाले सुधांशु ने सुनाई। सुधांशु अपने साथियों के साथ ब्रजमंडल यात्रा में शामिल होने गया था, लेकिन उन्हें यह मालूम नहीं था कि यात्रा के दौरान ऐसा बवाल होगा। सुधांशु की मानें तो एक पल उन्हें भी लगा कि अब जान बचना मुश्किल है।
जब हिंसा में फंसे तो लग रहा था कि अब निकलना मुश्किल है, लेकिन उनके साथ गए एक भाइया ने बस का स्टेयरिंग संभाला। उसके सिर में भी चोट लगी थी। उन्होंने बस की रफ्तार बढ़ाई और फिर गूगल नेविगेशन के सहारे गांवों के रास्तों से होते हुए रेवाड़ी की तरफ मुड़ गए।
करीब 15 किलोमीटर तक रास्ते में बीच-बीच में उनकी बस पर पथराव होता रहा, लेकिन भइया ने बस नहीं रोकी। हम सभी आंखें बंद कर बैठे हुए थे। बस में बैठे-बैठे ही कुछ लोगों के पत्थर लगने से सिर फूट गए। खून बहता रहा, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कुछ सेकेंड रूक जाएं।
किसी तरह जब वे नूंह की सीमा से निकले तो थोड़ी राहत मिली, लेकिन हमने बस नहीं रोकी और सीधे बस को रेवाड़ी ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे। बस की हालत यह थी कि एक भी विंडो पर शीशे नहीं बचे। यहां हम सभी 10 लोगों को इलाज चल रहा है। हमारे कुछ लोग वहीं पर फंसे हैं।
10 लोग रेवाड़ी में उपचाराधीन
बता दें कि नूंह हिंसा में घायल हुए 10 लोग रेवाड़ी शहर के सरकुलर रोड स्थित ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं। इन घायलों के सिर फूटे हुए हैं। इनमें युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। नूंह में हिंसा के वक्त बिताए कुछ घंटे की खौफनाक कहानी बताते हुए उनकी रूह कांप उठती है। इन्हें अनट्रेंड ड्राइवर बस चलाकर नूंह से 50 किलोमीटर दूर तक रेवाड़ी लेकर आया।
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