हरियाणा

ये तीनों बेटियां आज हाकी के मैदान पर रोशन कर रही देश का नाम

Gulabi Jagat
13 July 2022 7:53 AM GMT
ये तीनों बेटियां आज हाकी के मैदान पर रोशन कर रही देश का नाम
x
Guru Purnima 2022: शाहाबाद नाम आते ही हर किसी के सामने हाकी की स्टार खिलाड़ी रानी रामपाल, नवनीत कौर व नवजोत कौर के चेहरे सामने आ जाते हैं। लेकिन, इन हीरों को तराशने वाले गुरु को शायद ही कोई जानता हो। बेटियों के हाथों में स्टिक पकड़ने की स्‍टाइल से ही उनकी प्रतिभा को भांपने वाले कोच बलदेव ने उन्‍हें उड़ने को आसमां दिया।
अब ये तीनों बेटियां आज हाकी के मैदान पर देश का नाम रोशन कर रही हैं। वह चाहे ओलिंपिक हो या फिर हाकी वर्ल्ड कप। रानी रामपाल सेहत के चलते इस बार वर्ल्ड कप में नहीं खेल सकी। बाकी नवनीत कौर और नवजोत कौर आज हाकी वर्ल्ड कप में देश का नाम ऊंचा कर रही है।
अब पंजाब में दे रहे ट्रेनिंग
हाकी कोच बलदेव सिंह। आज गुरु पूर्णिमा है। हर कोई अपने गुरु की पूजा करता है। इन स्टार के गुरु बलदेव सिंह है। जिन्होंने एक छोटी सी उम्र में उनके हुनर को पहचाना और उसको तराशा भी। बलदेव सिंह आजकल पंजाब केे लुधियाना में युवा पीढ़ी को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
इन खिलाड़ियों से जानिये अपने गुरु को
गुरु ने दिखाया हाकी का रास्ता : नवनीत
नवनीत कौर भारतीय हाकी टीम में फारवर्ड खिलाड़ी हैं। उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक में कई गोल किए थे। वह अब वर्ल्ड कप में लगातार मैच खेल रही हैं। नवनीत कौर भारतीय रेलवे में खेल प्रशिक्षक के पद पर हैं। पिता बूटा सिंह ने बताया कि नवनीत ने चौथी कक्षा में हाकी खेलनी शुरू की थी। उन्होंने बताया कि स्टेडियम उनके घर के नजदीक था। उसी समय बेटी को दूसरे बच्चियों को देखकर खेेलने की इच्छा जताई। उन्होंने 2005 में ही बेटी को मैदान पर भेजना शुरू कर दिया। वह सुबह साढ़े चार बजे मैदान पर जाती थी और उधर से सीधे स्कूल चली जाती थी। दोपहर बाद छुट्टी के बाद फिर मैदान में चली जाती थी। कोच बलदेव सिंह ने उनको हाकी की बारीकियों को सिखाया। वह आज कोच बलदेव सिंह के मार्गदर्शन में मुकाम पर है।
नवजोत ने पांचवीं कक्षा में संभाली हाकी
नवजोत कौर नेे पांचवीं कक्षा में कोच बलदेव की देखरेख में हाकी को संभाला। वह भारतीय हाकी टीम में फारवर्ड और मैन फील्डर है। अब वर्ल्ड कप में भाग ले रही हैं। उनको अपने खेल पर पिछले दिनों ही भीम अवार्ड मिला है। पिता सतनाम सिंह ने बताया कि हाकी का मैदान नजदीक ही था। यहां से बच्चियां निकलकर जाती थी तो नवजोत का भी खेलने का मन करता था। उसकी मां मनजीत कौर की नवजोत को हाकी में आगे ले जाने की इच्छा थी। कोच बलदेव सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और मैदान पर तराशा। वह बदलेव सिंह को हाकी में अपना गुरु मानती हैं।
रानी रामपाल की मेहनत आज सबके सामने उदाहरण
भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान रही रानी रामपाल आज संघर्ष कर मुकाम हासिल करने के क्षेत्र में युवा पीढ़ी के लिए उदाहरण हैं। रानी रामपाल के पिता रामपाल ने बताया कि बेटी रानी ने बचपन में हाकी खेलने की बात कही। उन्होंने कोच बलदेव को भी अपनी इच्छा जताई। कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया और हाकी के मैदान में उतार दिया। वह उसको घोड़ा बग्गी में स्टेडियम तक लाता और ले जाता था। इसके बाद रानी ने साइकिल ली। वह साइकिल से स्टेडियम आती थी। उसके यहां तक पहुंचने में कोच बलदेव सिंह का विशेष योगदान रहा है।
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story