हरियाणा

लगी थी गोली, बह रहा था खून… कैप्टन को बचाने के लिए लड़ता रहा हरियाणा का बेटा, शहीद मेजर की कहानी

SANTOSI TANDI
14 Sep 2023 1:18 PM GMT
लगी थी गोली, बह रहा था खून… कैप्टन को बचाने के लिए लड़ता रहा हरियाणा का बेटा, शहीद मेजर की कहानी
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हरियाणा का बेटा, शहीद मेजर की कहानी
जम्मू कश्मीर: के अनंतनाग में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हरियाणा पानीपत के मेजर आशीष शहीद हो गए हैं. उनका पार्थिव शरीर आज पानीपत में लाया जा रहा है जिसके बाद उन्हें उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा. मेजर आशीष को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी. मेजर आशीष ने बहुत बहादुरी के साथ आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई है. खबर मिलने के बाद उनके घर पहुंचे रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर देशवाल ने आशीष की बहादुरी की दास्तान सुनाई है.
रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर देशवाल ने बताया कि बुधवार को 3:00 बजे ही उन्हें आशीष के शहीद होने की सूचना मिल गई थी. वे तुरंत परिवार के पास मिलने पहुंचे लेकिन परिवार को इस बारे में कोई सूचना नहीं थी. परिवार को इस बारे में शक जरूर था इसी वजह से उन्होंने भी आशीष को लेकर कोई चर्चा नहीं की. रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर ने बताया कि अनंतनाग बेहद ज्यादा खतरनाक इलाका है, वहां तैनात जवान ही बता सकता है वहां के हालात कितने घातक हैं.
पैर में गोली लगने के बाद भी लड़ते रहे
रिटायर्ड कैप्टन ने मुठभेड़ की घटना का पूरा खुलासा करते हुए कहा कि आशीष को पैर के ऊपरी हिस्से में गोली लगी थी. उनके साथ सीईओ भी घायल थे. मेजर आशीष ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने कमांडेंट ऑफिसर को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन घाव बड़ा होने की वजह से उन्होंने उसी जगह अपने प्राण त्याग दिए.
घर आने से किया था इनकार
रिटायर्ड कमांडेंट ने बताया कि आशीष के पिता बीमार रहते हैं, उनके नए घर का उद्घाटन होना था लेकिन आशीष ने वहां के हालातों को देखते हुए आने से मना कर दिया था. जब परिजनों ने जिद की तो उन्होंने 23 अक्टूबर को अपने जन्मदिन के मौके पर घर आने की बात कही थी.
रिटायर्ड कमांडेंट ने सीमा पर आतंकवादियों द्वारा इन हरकतों को लेकर कहा कि यह पॉलिटिकल मुद्दा है. उन्होंने कहा सीमा पर जवान को बहुत सोच-समझकर गोली चलाने का फैसला लेना होता है. उनको गोली चलाने की भी छूट नहीं होती है क्योंकि उन्हें कई आदेश मानने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि पहले इस तरह की पाबंदियां नहीं थी और हमारे जवान 35-35 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार देते थे.
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