दो राज्यों के बीच दूषित पानी का हुआ समाधान, जानिए पूरी खबर
रेवाड़ी न्यूज़: राजस्थान के भिवाड़ी औद्योगिक शहर से आने वाला उद्योगों का दूषित पानी धारूहेड़ा कस्बे के लोगों के लिए नासूर बन चुका है। इस पानी की समस्या के समाधान के लिए पूर्व की तरह एक बार फिर दोनों राज्यों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक गुरुवार को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता में जंगल बबलर ट्यूस्टि कांप्लेक्स में हुई। इस बैठक का नतीजा पूर्व में कई बार हो चुकी दोनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक से हटकर नहीं रहा। दोनों राज्यों के अधिकारियों ने दूषित पानी के समाधान पर अपनी-अपनी प्रोग्रेस रिपार्ट मंत्री के समक्ष पेश की। इसके बाद आश्वासन दिया गया कि 31 मई 2023 तक समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
धारूहेड़ा और आसपास के गांवों के लिए भिवाड़ी की ओर से आने वाला दूषित पानी स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। इस केमिकलयुक्त पानी से न सिर्फ भूमिगत जल दूषित हो चुका है, बल्कि मिट्टी भी प्रदूषण से वंचित नहीं रही है। एनजीटी की ओर से राजस्थान सरकार पर करोड़ों रुपए जुर्माना लगाया जा चुका है, जिस पर राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट से स्टे लिया हुआ है। 7 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की बैठक में जब केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के समक्ष यह मुद्दा उठाया, तो दोनों राज्यों के शीर्ष अधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग आयोजित कराने का फैसला लिया गया था।
राजस्थान के जयपुर, अलवर और भिवाड़ी से आए अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि पानी का बहाव धारूहेड़ा की ओर होने के कारण इसकी दिशा बदल पाना संभव नहीं है। राजस्थान प्रशासन की ओर से पानी को ट्रीट करने के बाद उचित माध्यम से साहबी नदी तक पहुंचाने के लिए योजना बनाई जा रही है। इसके लिए नहर या नाले का निर्माण कराने पर विचार किया जा रहा है। अलवर के टीएम ने बताया कि अमृत जल योजना के तहत एक प्रस्ताव तैयार करने के बाद इसे प्रदेश सरकार के मार्फत केंद्र को भेजे जाने की योजना है। जिले के अधिकारियों ने भी अपनी ओर से किए जा रहे प्रयासों से मंत्री को अवगत कराया। जानकार सूत्रों के अनुसार इस तरह की बातें पूर्व में हो चुकी दोनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक में कही जा चुकी हैं। समस्या के तत्काल समाधान की दिशा में बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
ज्वाइंट एक्शन टीम लेगी जायजा: बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दोनों राज्यों के अधिकारियों की एक ज्वाइंट एक्शन टीम बनाई जाएगी, जो भिवाड़ी से निकलने वाले पानी की क्षमता का पता लगाएगी। पानी की क्षमता के हिसाब से नए एसटीपी बनाए जाएंगे। दोनों राज्यों के अधिकारियों की टीम समय-समय पर बैठकों के माध्यम से दूषित पानी की समस्या के समाधान पर काम करेगी। मतलब साफ है कि एक बार फिर इस मामले में लीपापोती से बढ़कर कुछ नहीं हुआ है। कस्बे के लोगों के हाथ में दोनों राज्यों के अधिकारियों ने अगले साल 31 मई तक के लिए झुनझुना थमा दिया है।