हरियाणा

गुजरात की गधियों को दिया जा रहा है वीआइपी ट्रीटमेंट

Gulabi Jagat
12 July 2022 9:24 AM GMT
गुजरात की गधियों को दिया जा रहा है वीआइपी ट्रीटमेंट
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वीआइपी ट्रीटमेंट
गधे का नाम आते ही अक्सर लोग हंसी मजाक बनाने लगते हैं। कई बार तो एक दूसरे पर तंज कसना हो तब भी उस इंसान की गधे से लोग तुलना कर देते हैं। मगर यह काफी समझदार और उपयोगी जानवर है। यही कारण है कि हिसार में गुजरात से लाई गई गधियों को वीआइपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। हर गधी के रहने के लिए अलग-अलग वार्ड हैं, उनके लिए वातानुकूलित परिसर और उन्हें चारा क्या देना है इसकी डाइट भी तैयार होती है।
हलारी नस्ल की गधियों का विशेष ध्यान
ऐसा इसलिए क्योंकि यह गधी अपनी आने वाली नस्लों के भविष्य के लिए बहुत महत्व रखती हैं। दरअसल हिसार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीइ) में कुछ समय पहले ही जेनी डेयरी खोली गई थी। जिसमें गुजरात की हलारी नस्ल की गधियों को लाया गया है। अब इन गधियों का परिवार भी बढ़ गया है। ऐसे में इनका ध्यान रखने को एनआरसीई ने इन गधियों के लिए कई विशेष सुविधाएं दी हैं। यही कारण है कि गुजरात की गधियों का हिसार में अब दिल भी लग गया है और उनका परिवार भी बढ़ रहा है।
डाइट को लेकर रखा जाता है विशेष ध्यान
एनआरसीई में इन गधों व गधियों को क्या खिलाना है इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। जेनी डेयरी में रहने वाली गधी व गधों को हरा चारा, मिनरलयुक्त चारा मुहैया कराया जाता है। इस चारे को दिन में तीन बार अलग-अलग समय पर दिया जाता है। डाइट प्लान और समय से चारा मिलने के कारण उनका पोषण अच्छा रहता है। इसके साथ ही खाने के लिए स्वीट डिश के रूप में गुड़ आदि का सेवन भी कराया जाता है। इस पोषण का ही कमाल है कि इस डेयरी में रहने वाली गधी के दूध की उत्तम क्वालिटी मिलती है।
मनोरंजन के लिए बड़े-बड़े बनाए हैं शेड
गधे व गधियों के मनोरंजन के लिए काफी बड़े क्षेत्र में एक परिसर भी बनाया गया है। जिसके चारों तरफ दीवार और बड़े-बड़े शेड लगे हैं जिसमें सभी को दोपहर के समय एक साथ छोड़ दिया जाता है। यह परिसर इतना बड़ा है कि यहां पर गधे आसानी से दौड़ भाग कर सकते हैं। इसके साथ ही एक दूसरे को दुलार भी यहां पर कर सकते हैं। मगर जब वह अपनी डेयरी के कक्षों में जाते हैं तो एक-एक को अलग-अलग रहना होता है।
क्यों महत्वपूर्ण हैं गुजरात की यह हलारी नस्ल की गधियां
भारत सरकार देश में देसी नस्लों को बढ़ावा दे रही है। गुजरात में पाई जाने वाली हलारी नस्ल की गधियों का दूध काफी पौष्टिक व गुणों का खजाना है। कहा जाता है कि गधी के दूध से इंग्लैंड की महारानी एलिजाबैथ नहाती थी ताकि उनका सौंदर्य बना रहे। गधी के दूध की खासियत है कि इसमें एंटी आक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें सौंदर्य को बढ़ाने वाले गुण भी होते हैं। यही कारण है कि एनआरसीई ने इनके दूध से ब्यूटी क्रीम, साबुन व अन्य उत्पाद बनाए हैं। इनसे मिलने वाले उत्पादों की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी कीमत होती है। यही कारण है कि इनका दूध कई स्थानों पर सात हजार रुपये लीटर तक बिकता है। हालांकि हिसार में गधी की डेयरी को रिसर्च के लिए खोला गया है।
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