ब्रेकिंग न्यूज़: रोहतक। सुबह प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे सिविल अस्पताल लेकर आए। एंबुलेंस नहीं मिलने पर उसे निजी वाहन से लाया गया। एंबुलेंस सुविधा का पता किया तो किसी ने उसे यह सुविधा एक ही बार मिलने की जानकारी दी। डिलिवरी से पहले या बाद में, एक ही बार एंबुलेंस मिलने के बारे में सुनकर परिवार के लोग उसे निजी वाहन से अस्पताल पहुंचा। यह कहना है कलानौर की सुमित्रा का बहू के लेबर रूम में जाने के बाद बाहर खुशखबरी आने के इंतजार में बैठी इस महिला से अमर उजाला ने बातचीत की तो ये बातें सामने आई। अकेली इसी महिला के साथ ऐसा नहीं हुआ, बल्कि और भी ऐसी महिलाएं मिली। इनमें से कोई ऑटो से आया तो कोई कार या अन्य वाहन से। सभी ने एंबुलेंस नहीं मिलने बात कही। इसकी वजह एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) कर्मचारियों की हड़ताल रही। शनिवार सुबह से ही लेबर पेन हो रहा था। डॉक्टर ने भी प्रसूति का समय पूरा होने की जानकारी दी थी। इसलिए ऑटो से सिविल अस्पताल आई। एंबुलेंस नहीं मिली। डिलिवरी का समय पूरा है। अब लेबर रूम के बाहर बैठी अपनी बारी का इंतजार कर रही हूं। अंदर से मेरे नाम की आवाज आने पर ही जगह मिलेगी। मेरी पत्नी प्रियंका की डिलिवरी हुई है। घर में पहले बच्चे के रूप में बेटी आई है। दोनों स्वस्थ हैं। अस्पताल से छुट्टी मिलने पर घर जा रहे हैं। एंबुलेंस नहीं है। अस्पताल के कर्मचारियों की हड़ताल बताई जा रही है। इसलिए निजी वाहन लाना पड़ा।
नर्स व्हीलचेयर से प्रसूता को बाहर तक छोड़ने साथ आई है एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के कारण सामान्य अस्पताल के अलावा खंड स्तर के अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराई रही। पीएचसी-सीएचसी पर सन्नाटा पसरा रहा। यहां स्टाफ नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। हड़ताल के कारण कोविड टीकाकरण भी प्रभावित रहा। एनएचएम कर्मचारियों के नहीं होने के कारण सिविल अस्पताल में नर्सिंग छात्राओं को टीकाकरण की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस वैकल्पिक व्यवस्था के तहत टीकाकरण को सुचारु बनाने का प्रयास किया गया। एनएचएम कर्मचारी शनिवार को दूसरे दिन भी सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर धरने पर रहे। यहां नारेबाजी के जरिये अपनी मांगें उठाई। उन्होंने कहा कि सरकार एनएचएम कर्मचारियों की सुनवाई नहीं कर रही है। बार-बार धरने, प्रदर्शन व ज्ञापन के जरिये अपनी समस्याओं के बारे में बताने के बाद भी इनका समाधान नहीं किया जा रहा है। इस कारण कर्मचारियों को मजबूरी में हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा है। अब भी सरकार ने सुनवाई नहीं की तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। हड़ताल को देखते हुए विभाग ने स्वास्थ्य सेवाएं सुचारु बनाए रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की। इसके तहत नर्सिंग छात्राओं व कच्चे कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के साथ मौजूदा स्टाफ सदस्यों को अनुपस्थित कर्मचारियों का काम वितरित करना शामिल है।
एंबुलेंस काल सेंटर की मानें तो यहां पिछले 24 घंटे में 50 कॉल आई। लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए 28 में से 16 एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं हड़ताल का असर काम पर नहीं पड़ रहा है। इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए मौजूदा कर्मचारियों में काम बांट दिया गया है। एनएचएम के कुछ कर्मचारी हड़ताल पर हैं। शेष काम पर हैं। इसलिए व्यवस्था बेहतर बनी हुई है। एंबुलेंस सेवा भी चालू है - डॉ. नरेंद्र दहिया, प्रभारी, रेफ्रल ट्रांसपोर्ट सर्विस।