
हरियाणा के हिसार जिले के आदमपुर हलके से विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को सौंपा। दोपहर बाद कुलदीप का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि इसकी सूचना चुनाव आयोग के पास भेजेंगे। इसके बाद सीट खाली होगी। उन्होंने कहा कि इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
वहीं कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि मैं इस्तीफे की वजह कल ही बता पाऊंगा।कांग्रेस अब इंदिरा और राजीव गांधी की पार्टी नहीं रही। भाजपा देश हित में सोचती है। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल की सोच से प्रभावित होकर कांग्रेस से इस्तीफा दे रहा हूं। इस्तीफे की भाषा विधानसभा की लीगल भाषा लिखी है। मैं दूसरी बार विधानसभा से इस्तीफा दे रहा हूं।
कल सीएम मनोहर लाल दिल्ली आशीर्वाद देने आ रहे हैं। पुराने साथियों में दूड़ाराम साथ बैठे हैं। पूर्व विधायकों की लिस्ट सीएम मनोहर लाल को दूंगा, वे जब चाहे उन्हें पार्टी में शामिल करवा सकते हैं। मैं साधारण कार्यकर्ता के रुप में पार्टी जॉइन कर रहा हूं। आदमपुर से चुनाव कौन लड़ेगा, वह पार्टी करेगी। हालांकि मेरी इच्छा भव्य बिश्नोई को चुनाव लड़वाने की है, परंतु बाकी फैसला पार्टी करेगी। मैं और भव्य राजनीति में एक्टिव रहना चाहते हैं।
मैंने हुड्डा का चेलेंज स्वीकार किया, अब वे आदमपुर से चुनाव लड़े
कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि कांग्रेस अब चाटूकारों की पार्टी रह गई है। कांग्रेस के सारे फैसले गलत होते जा रहे हैं। कुलदीप ने हुड्डा के जवाब पर तंज कसते हुए कहा कि जिस शरीर में जान होती है, उसी का विरोध होता है, मुर्दा का विरोध कौन् करेगा। मेरे ईडी के सारे केस खत्म हो चुके हैं। तीन साल पहले इंकम टैक्स का नोटिस आया था। उसका हिसाब दे चुका हूं। मैंने पूर्व सीएम हुड्डा का चेलेंज स्वीकार किया और इस्तीफा दिया। अब भूपेंद्र हुड्डा को चैलेंज करता हूं कि वे आदमपुर से आकर चुनाव लड़ लें। कुलदीप ने कहा कि अगर पार्टी किरण चौधरी से बात करने के लिए कहेगी तो जरूर करूंगा।
सुबह किया था ट्वीट
इसके लिए वे सुबह 8 बजे आदमपुर स्थित अपने निवास से चंडीगढ़ के लिए निकल चुके हैं। उनके साथ पत्नी रेणुका बिश्नोई भी हैं।रवाना होने से पहले कुलदीप ने ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा कि मुसाफिर कल भी था, मुसाफिर आज भी हूं, कल अपनों की तलाश में था, आज अपनी तलाश में हूं। कुलदीप 4 अगस्त को भाजपा में शामिल होंगे। कुलदीप 6 साल बाद दूसरी बार कांग्रेस से किनारा कर रहे हैं और भाजपा में शामिल होंगे। इससे पहले कुलदीप ने वर्ष 2007 में कांग्रेस छोड़कर हजकां का गठन किया था।
6 साल बाद कांग्रेस से दूसरी बार किनारा
कुलदीप बिश्नोई ने 6 साल बाद कांग्रेस से दूसरी बार किनारा किया है। राज्यसभा चुनाव 2022 में कुलदीप ने क्रॉस वोटिंग की थी तो अजय माकन हार गए थे। इसके चलते पार्टी ने उन्हें सभी पदों से और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया था।
28 अप्रैल 2016 को कुलदीप ने अपनी हजकां का विलय गांधी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस में किया था। हजकां का गठन बिश्नोई के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने वर्ष 2007 में कांग्रेस से अलग होने के बाद किया था। कांग्रेस ने वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष भजन लाल के नेतृत्व में 67 सीटें जीती थीं।
लेकिन उन्हें CM न बनाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदारी सौंप दी थी। कांग्रेस हाईकमान ने उनके बड़े बेटे चंद्र मोहन को डिप्टी CM का ऑफर दिया। कुलदीप को केंद्र में मंत्री पद ऑफर किया। भजन लाल नाराज नहीं थे, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि भजनलाल के समर्थक विधायक उनका साथ छोड़कर कांग्रेस के बैनर तले इकट्ठे हो गए।
2007 में किया हजकां का गठन
समर्थकों का साथ छूटने के बाद भजनलाल अपने बड़े बेटे चंद्र मोहन को डिप्टी CM बनाने पर राजी हो गए, लेकिन कांग्रेस सरकार में न तो भजन लाल संतुष्ट थे और न ही उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने वर्ष 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया। 3 जून 2011 में भजन लाल के देहांत हो जाने के बाद बिश्नोई ने पार्टी की कमान संभाली थी।
कांग्रेस में हजकां का विलय
2009 विधानसभा चुनाव में हजकां को 6 सीटें मिलीं। पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़े गए इस चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला और उनके पास 38 विधायक थे। सरकार बनाने के लिए 46 विधायक चाहिए थे तो हजकां के 5 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए।
कुलदीप बिश्नोई ने सदस्यता रद्द करवाने के लिए हरियाणा विधानसभा में स्पीकर के पास याचिका दायर की, परंतु स्पीकर ने यह मामला काफी समय तक लंबित रखा और बाद में खारिज कर दिया। इसके बाद कुलदीप पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में गए। कोर्ट ने अक्टूबर 2014 को पांचों विधायकों की सदस्यता दल बदल कानून के तहत रद़्द कर दी।
भाजपा के साथ गठबंधन और फिर टूटा
हजकां का भाजपा के साथ भी गठबंधन हुआ। मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा। भाजपा ने 7 सीटें जीती, एक कांग्रेस और 2 इनेलो के पास आई। हजकां अपने कोटे की हिसार और सिरसा लोकसभा सीटें हार गई। विधानसभा चुनाव में दोनों का 45-45 सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता लागू न होने पर गठबंधन टूट गया और हजकां चुनाव में 2 सीटें जीतीं। इसके बाद कुलदीप ने 2016 में हजकां में अपनी पार्टी का विलय कर दिया।
लेकिन कुमारी सैलजा के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कुलदीप बिश्नोई प्रदेशाध्यक्ष बनना चाहते थे। पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनकी राह का रोड़ा बने और उदयभान को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनवा दिया। इससे कुलदीप नाराज हो गए और राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा, परंतु मुलाकात नहीं हुई और अंतरात्मा की आवाज पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ वोट किया। इसके बाद 11 जून 2022 को कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया।