हरियाणा
एबीजी शिपयार्ड घोटाले पर रणदीप सुरजेवाला का आरोप, कहा- 'पैसा लुटाओ, फिर भगाओ की रणनीति पर काम कर रही मोदी सरकार'
Deepa Sahu
13 Feb 2022 4:13 PM GMT
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कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हिंदुस्तान के अब तक के सबसे बड़े बैंक घोटाले पर सरकार को घेरा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हिंदुस्तान के अब तक के सबसे बड़े बैंक घोटाले पर सरकार को घेरा है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि 22,842 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले से साफ जाहिर है कि मोदी सरकार जनता का पैसा लुटाओ, फिर भगाओ की रणनीति पर काम कर रही है।
चंडीगढ़ स्थित हरियाणा कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सुरजेवाला ने खुलासा किया कि किस प्रकार ऋषि अग्रवाल की कंपनी एबीजी शिपयार्ड कंपनी ने 22,842 करोड़ रुपये का देश का सबसे बड़ा घोटाला किया, जिसमें भारत के प्रमुख बैंक एसबीआई सहित 28 बैंकों से लिया गया लोन शामिल है। उन्होंने कहा कि करीब 5 साल यानी 60 महीनों के बाद सीबीआई द्वारा 7 फरवरी, 2022 को इसका केस दर्ज किया गया, जिसके लिए एसबीआई की ओर से सीबीआई को दो बार शिकायत भेजी गई। हालांकि एसबीआई ने भी अपनी शिकायत में बैंक के कर्मचारियों का पूरा बचाव किया।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि एबीजी शिपयार्ड का मालिक ऋषि अग्रवाल गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए ही नरेंद्र मोदी के बहुत नजदीक था। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो एबीजी शिपयार्ड को सूरत में कम रेट पर जमीन दी गई थी। साल 2013 में जब मोदी कोरिया के दौरे पर गए थे, तो उनके प्रतिनिधिमंडल में ऋषि अग्रवाल भी था। यहां तक की वाइब्रेंट गुजरात में ऋषि अग्रवाल ने मोदी के साथ बैठकर 22,000 करोड़ रुपये के निवेश का वायदा किया था।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस ने 15 फरवरी 2018 को ही मोदी सरकार को बैंक घोटाले के बारे में चेता दिया था, लेकिन फिर भी केस दर्ज करने में करीब 5 साल लग गए। उन्हें पता चला है कि ऋषि अग्रवाल के पास सिंगापुर की नागरिकता भी है। ऐसे में सरकार को देश को बताना चाहिए कि ऋषि अग्रवाल भारत में है या फिर विदेश भाग गया। सुरजेवाला ने कहा कि बीते करीब साढ़े सात साल के दौरान भारत में 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये के बैंक घोटाले हुए हैं। सात सालों में मोदी सरकार ने लोगों की 8 लाख 17 हजार करोड़ रुपये की बैंक जमा राशि बट्टे खाते में डाल दी। इन 7 सालों के दौरान बैंकों के एनपीए में 21 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यह सब सरकार के प्रबंधन को और बैंकों में पड़े जनता के पैसे की लूट को दर्शाता है।
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