हरियाणा

आबादी हुई 13 लाख, पांच लाख लोगों के लिए बसा था शहर

Gulabi Jagat
13 July 2022 7:26 AM GMT
आबादी हुई 13 लाख, पांच लाख लोगों के लिए बसा था शहर
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देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सपनों का शहर चंडीगढ़ पांच लाख लोगों के रहने के लिए बसाया गया था। उसी के अनुसार योजना बनाई गई थी लेकिन अब स्थिति बदल गई है। जनसंख्या 13 लाख के करीब पहुंच गई है। बढ़ती जनसंख्या के परिणाम भी दिखने लगे हैं। सीवरेज ओवरफ्लो हो रहे हैं। स्कूलों में सीट तो अस्पतालों में बेड के लिए मारामारी है। समस्या यह है कि आबादी बढ़ती जा रही है लेकिन शहर को उसके लिए तैयार नहीं किया जा रहा है।
रेल इंडिया तकनीकी और आर्थिक सेवा (राइट्स) के सर्वे के अनुसार चंडीगढ़ की वर्तमान जनसंख्या 12.95 लाख है, जो 2051 में 22.10 लाख हो जाएगी। जितनी जनसंख्या के लिए शहर बसाया गया था, उससे चार गुना ज्यादा आबादी हो जाएगी। अगर ट्राइसिटी की बात करें तो 2051 तक ये 45 लाख होगी। पार्किंग की जगह खत्म होती जा रही है लेकिन प्रशासन न तो नई गाड़ियों के सड़क पर उतरने की रफ्तार को कम कर पाया है, न ही जो पूर्व की योजनाएं थीं उन्हें लागू कर पाया है।
चंडीगढ़ के निर्माता ली कार्बूजिए ने शहर को दो फेज में बांटा था और पांच लाख लोगों के लिए योजनाएं बनाई थीं। पहले फेज में सेक्टर-1 से सेक्टर-30 को रखा गया था और इसमें डेढ़ लाख लोगों को बसाने की योजना थी। दूसरे फेज में सेक्टर-31 से सेक्टर-47 को रखा गया और यहां साढ़े तीन लाख लोगों को बसाने की योजना बनाई गई थी। पहले फेज के सेक्टरों में कम ऊंचाई वाले मकान बनाए गए थे, जबकि दूसरे फेज के सेक्टरों में चार मंजिला अपार्टमेंट्स बनाए गए। हालांकि आज चंडीगढ़ पेरीफेरी में ही लाखों लोग रहते हैं।
सबसे बड़ी समस्या: जनसंख्या से ज्यादा तेजी से बढ़ रहीं गाड़ियां
शहर में हर तीन मिनट में एक नई गाड़ी सड़क पर उतर रही है। चंडीगढ़ एक ऐसा शहर है, जहां जनसंख्या से ज्यादा तेजी से गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है। लोग कारें खरीदते जा रहे हैं। सड़क, पार्क, ग्रीन बेल्ट, फुटपाथ, प्ले ग्राउंड...हर जगह कारें खड़ी दिखाई दे रही हैं। चंडीगढ़ में प्रति 1000 लोगों पर 731 गाड़ियां हैं। ये आंकड़ा पूरे देश में सबसे ज्यादा है। घनी आबादी वाले इलाकों में पार्किंग की समस्या सबसे ज्यादा है। घरों के बीच बने छोटे पार्कों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है और उसे पार्किंग बना दिया गया है।
10 साल से लटका है रिंग रोड का काम
चंडीगढ़ के चारों तरफ बनने वाले रिंग रोड प्रोजेक्ट पर 2013 में काम शुरू हुआ लेकिन 2022 आधा बीत चुका है, अब तक प्रोजेक्ट लटका हुआ है। पंजाब की तरफ से काम में देरी की जा रही है। जिसकी वजह से सीधे निकलने वाले ट्रैफिक को भी बेवजह शहर के बीच जाम में फंसकर समय बर्बाद करना पड़ता है। शहर के लोगों को भी परेशान होना पड़ता है। अगर ये बन जाती तो काफी राहत मिलती।
2051 तक ट्राइसिटी की अबादी होगी 45 लाख
स्थान 2011 2021 2022 2031 2041 2051
चंडीगढ़ 10.55 12.72 12.95 15.29 18.38 22.10
मोहाली 2.55 3.44 3.50 4.13 4.97 5.97
पंचकूला 2.11 3.18 3.24 3.82 4.59 5.52
जीरकपुर 0.96 2.82 2.88 3.39 4.08 4.90
न्यू चंडीगढ़ 0.34 0.46 0.51 1.28 3.55 4.26
खरड़ 0.74 1.31 1.34 1.58 1.89 2.28
कुल 17.25 23.94 24.41 29.50 37.46 45.03
(नोट: राइट्स की तरफ से अनुमानित)

1951 से 2011 तक चंडीगढ़ की जनसंख्या
वर्ष जनसंख्या वृद्धि
1951 24,261 +0.72 प्रतिशत
1961 119,881 +17.32 प्रतिशत
1971 257,251 +7.93 प्रतिशत
1981 451,610 +5.79 प्रतिशत
1991 642,015 +3.58 प्रतिशत
2001 900,635 +3.44 प्रतिशत
2011 1,055,450 +1.60 प्रतिशत
बढ़ती जनसंख्या का असर शहर पर कुछ ऐसे पड़ा
चंडीगढ़ एक लैंड लॉक शहर है
हर इलाके में सड़क जाम की समस्या
स्कूलों में दाखिले के लिए मारामारी
अस्पतालों पर अत्यधिक दबाव
रोजगार का अभाव
दबाव नहीं झेल पा रहा ड्रेनेज सिस्टम
चंडीगढ़ में भाषा बोलने वाले लोग
हिंदी (73.6%)
पंजाबी (22.03%)
उर्दू (1.00%)
नेपाली (0.62%)
बंगाली (0.59%)
तमिल (0.53%)
अन्य (1.63%)
(2011 की जनगणना के अनुसार)
जनसंख्या वृद्धि बढ़ा रहा प्रदूषण का स्तर
आबादी का सीधा असर पर्यावरण और संसाधन पर पड़ता है जिससे उस पर बढ़ते दबाव के कारण प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। जनसंख्या वृद्धि से वायु, जल और मृदा प्रदूषण के स्तर में तेजी से इजाफा हो रहा है। चंडीगढ़ में भी ऐसी स्थिति देखी जा रही है। यह गुणवत्ता युक्त जीवन शैली को प्रभावित करने लगा है। - डॉ. रविन्द्र खैवाल, पीजीआई सामुदायिक चिकित्सा विभाग।
जनसंख्या का दबाव झेल रहा सिटी ब्यूटीफुल
यह शहर जनसंख्या का दबाव झेल रहा है। सर्विस सेक्टर में काम नहीं है। यूथ बाहर चला जाएगा। केवल बुजुर्ग रह जाएंगे। आने वाले समय में जनसंख्या में बढ़ोतरी के कारण पढ़ाई, दवाई और कमाई के साधन पर गहरा असर पड़ेगा। अस्पताल, स्कूल और कॉलेज कम पड़ जाएंगे, क्योंकि चंडीगढ़ का क्षेत्र सीमित है। - डॉ राजीव खोसला, अर्थशास्त्री।
शहर पर बढ़ता जा रहा है दबाव
पिछले कुछ वर्षों में गांव और कॉलोनियों में आबादी काफी तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह से पूरे शहर पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकार को सख्त होना होगा। नहीं तो पूरे शहर में जाम लगने लगेगा। अभी भी जाम काफी हो गया है। गंदगी हो गई है। ये सब जनसंख्या बढ़ने की वजह से ही है। सरकार को देखना चाहिए कि गांव-कॉलोनियों में कौन और कहां से आ रहे हैं। - बलजिंदर सिंह, चेयरमैन, फॉसवेक।
सड़क, सीवरेज, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी पर पड़ रहा असर
शहर की जनसंख्या भले बढ़ रही है लेकिन मूल नागरिक कम होते जा हैं। इस शहर से मध्यम वर्ग के नागरिक कम होते जा रहे हैं। जनसंख्या का असर सड़क, सीवरेज, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी पर बढ़ रहा है। मैं पूरे शहर में घूमता हूं। बता सकता हूं कि ड्रेनेज सिस्टम ब्लॉक हो गया है, क्योंकि निगम की तरफ से सफाई नहीं की जा रही है। - एलआर बुडानिया, सेक्टर-35डी निवासी।
जनसंख्या नियंत्रण पर कदम उठाना चाहिए
जब मैं 1968 में चंडीगढ़ में आया तो उस वक्त आबादी तीन से साढ़े तीन लाख थी। आज 12 लाख से ज्यादा है। इसकी वजह से ट्रैफिक बढ़ा है। ओपन स्पेस कम हुए हैं। इमारत, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल बन गए हैं। पहले चंडीगढ़ के एक छोर से दूसरे छोर तक 20-25 मिनट में पहुंच जाते थे, अब 45-50 मिनट लग जाते हैं। सरकार को जनसंख्या नियंत्रण पर कदम उठाना चाहिए। - सत्यपाल जैन, पूर्व सांसद।
ये शहर भविष्य में भी नंबर-1 ही रहेगा
शहर की जनसंख्या के बढ़ने से ट्रैफिक, ड्रेनेज सिस्टम पर दबाव पड़ा है लेकिन भविष्य को बेहतर बनाने के लिए प्रशासन की तरफ से कई फैसले लिए जा रहे हैं। लोगों को सार्वजनिक परिवहन में सफर करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। चंडीगढ़ एक सुनियोजित शहर है। ये शहर आज भी नंबर-1 है और भविष्य में भी नंबर-1 ही रहेगा। - धर्मपाल, सलाहकार, यूटी प्रशासक।
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