हरियाणा

ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पूजा ने पिता के सपने को किया साकार, पहलवान बहू के लिए सास-ससुर ने निभाया माता-पिता का फर्ज

Gulabi Jagat
7 Aug 2022 7:12 AM GMT
ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पूजा ने पिता के सपने को किया साकार, पहलवान बहू के लिए सास-ससुर ने निभाया माता-पिता का फर्ज
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भारतीय महिला पहलवान पूजा सिहाग
हिसार : भारतीय महिला पहलवान पूजा सिहाग (Pooja Sihag)ने कांस्य पदक जीतकर देश को गौरान्वित किया है. बीते शनिवार को इंग्लैंड के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 (Birmingham Commonwealth Games 2022 ) में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की नाओमी डी ब्रुइन को 11-0 से हराकर 76 किग्रा फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता है. भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Birmingham Games 2022) रेसलिंग में ये दिन का पांचवा पदक माना जा रहा है.
किसान परिवार से आती हैं पूजा: हिसार के सिसाय गांव की रहने वाली 25 वर्षीय पूजा सिहाग (Wrestler Pooja Sihag) का जन्म हांसी शहर में एक किसान परिवार के घर हुआ था. उनके पहलवान बनने का सपना उनके पिता ने ही देखा था. पूजा ने सिर्फ 13 साल की उम्र में ही कुश्ती खेलना शुरु कर दिया था. पूजा की लगन और मेहनत का ही ये नतीजा है कि आज उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपने पिता का सपना साकार किया है.
पूजा ने जीते मेडल: पूजा ने जूनियर एशियाई चैंपियनशिप 2014, 2015 और 2017 में ब्रॉन्ज और 2016 में सिल्वर मेडल (Silver Medalist Pooja Sihag) जीता था. 2021 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. पूजा ने कई सालों तक गांव में कोच संजय सिहाग से कुश्ती के गुर सीखे. इससे पहले पूजा टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympic) के लिए क्वालिफाई करने से मामूली अंतर से चूक गई थीं, लेकिन अब कॉमनवेल्थ गेम में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल (Bronze Medalist Pooja Sihag) को देश की झोली में डाल दिया हैं.
कांस्य पदक विजेता पूजा सिहाग
पिता के निधन के बाद ससुर ने किया सपोर्ट: पूजा के (Wrestler Pooja Sihag) लिए यहां तक पहुंचाना आसान नहीं था क्योंकि उनको कुश्ती का सपना दिखाने वाले उनके पिता का निधन हो गया. लेकिन पिता सुभाष के निधन के बाद उन्हें इस सपने तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उनके सास- ससुर ने ली, जो उन्हें बिल्कुल वैसा ही सपोर्ट कर रहे हैं, जैसे उनके पिता करते थे. पूजा के मेडल जीतने के बाद उनके गांव सिसाय में खुशी का माहौल है. बेटी की जीत के बाद पूजा की मां भावुक हो गई. पूजा के घर में परिवार को बधाई देने के लिए ग्रामीण भी पहुंचने लगे हैं.
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