हरियाणा

पहाड़ी पर पत्थरों को काटकर बनाया तालाब, पढ़िए जज्बे से मानवता की मिसाल बने कल्लूराम की कहानी

Admin4
17 July 2022 11:06 AM GMT
पहाड़ी पर पत्थरों को काटकर बनाया तालाब, पढ़िए जज्बे से मानवता की मिसाल बने कल्लूराम की कहानी
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50 वर्ष में 4 हजार फुट ऊंची पहाड़ी पर पत्थरों को काटकर बनाया तालाब, पढ़िए जज्बे से मानवता की मिसाल बने कल्लूराम की कहानी

अटेला पहाड़ी की चोटी पर बनाए गए तालाब में पानी पीते गोवंश।

इंसान के जज्बे और जुनून के सामने पहाड़ सरीखी ऊंचाइयां भी कम पड़ जाती हैं। इसकी मिसाल हरियाणा के चरखी दादरी जिले के अटेला कलां निवासी कल्लूराम (89) हैं। उन्होंने करीब 4000 फुट ऊंची पहाड़ी पर पत्थरों को काटकर पशुओं के पानी पीने के लिए तालाब बना डाला। इस काम में उन्हें पूरे 50 वर्ष लगे। वर्ष 2010 में बनकर तैयार हुए इस तालाब से हर साल सैकड़ों पशुओं की प्यास बुझ रही है।

चरखी दादरी के डीसी श्यामलाल पूनिया और सांसद धर्मबीर सिंह ने हाल में मौके का निरीक्षण करने के बाद कल्लूराम के साहस को सलाम किया है। हालांकि 12 साल बाद भी उस तालाब तक रास्ता न बनाए जाने की टीस कल्लूराम के मन में है।

कल्लूराम के साहसिक कार्य पर संवाददाता ने उनके घर पहुंचकर बातचीत की। कल्लूराम ने बताया कि 18 वर्ष का था, तब अटेला कलां स्थित पहाड़ी पर पशुओं को चराने के लिए जाता था। एक दिन पहाड़ पर प्यास से तड़पकर गोवंश की मौत हो गई। यह देखने के बाद उनके मन में काफी टीस हुई और पहाड़ के ऊपर तालाब बनाने का ख्याल आया। उस दिन मन में प्रण लिया कि पहाड़ को काटकर यहां एक दिन अवश्य तालाब बनाऊंगा।

कल्लूराम ने बताया कि अगले ही दिन छैनी और दस किलोग्राम वजनी हथौड़ा लेकर पहाड़ पर पहुंच गया। इसके बाद तो यह दिनचर्या बन गई। पशुओं को लेकर सुबह ही पहाड़ पर पहुंच जाता और अपने काम में जुट जाता। मौसम और दिन-रात की परवाह किए बिना अपने काम में लगा रहता।

करीब 50 साल की मेहनत रंग लाई। पहाड़ के ऊपर 65 फुट चौड़ा, 38 फुट गहरा और 70 फुट लंबा तालाब बनकर तैयार हो गया। कल्लूराम को उन दिनों की एक-एक चुनौती अच्छे से याद है। हाल की बारिश के बाद तालाब का जलस्तर बढ़ गया है, लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि ग्रामीणों की मांग के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि अब तक तालाब तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बनवा सके हैं।

ताने देने वाले तालाब बनने के बाद हुए मुरीद

कल्लूराम का कहना है कि जिस समय उसने तालाब बनाने के संकल्प का गांव में जिक्र किया तो उसका मजाक बनाया गया। यहां तक कि कुछ लोगों ने उसके घर पहुंचकर माता-पिता को भी भड़काया और ताने दिए। इसके बावजूद इसके अपने प्रण पर अडिग रहा। तालाब बनकर तैयार हो गया, तो ताने देने वाले ही उसके जज्बे के मुरीद हो गए।

ग्रामीण बोले : कल्लूराम की मेहनत रंग लाई, नहीं मांगी किसी की मदद

कल्लूराम ने अपने 50 साल की मेहनत से ऐसा काम किया है जो किसी अजूबे से कम नहीं है। पहाड़ को काटकर लंबा, गहरा और चौड़ा तालाब बनाना आसान काम नहीं है। पूरा गांव इस कार्य की सराहना करता है। मेरी उम्र करीब 62 वर्ष है। -प्रताप सिंह, पूर्व सरपंच

कल्लूराम ने ऐसा काम किया है जिसकी कल्पना शायद ही कोई इंसान कर सकता है। अकेले दम पर संसाधनों की कमी के बावजूद पशुओं की भलाई के लिए तालाब बनाना आसान काम नहीं है। मेरी उम्र 69 वर्ष है और मैंने स्वयं उसे ऐसा करते देखा है।

मेरी उम्र 50 साल है और मैंने ताऊ कल्लूराम को हथौड़ा लेकर पहाड़ पर काम करते देखा है। उन्होंने इस काम में कभी किसी की मदद नहीं मांगी। उसकी मेहनत का परिणाम है कि अब प्यास के चलते पहाड़ी पर कोई पशु दम नहीं तोड़ता है। -धर्मबीर सिंह, पूर्व सरपंच

कल्लूराम में बेसहारा और जंगली जानवरों को पानी पिलाने का जज्बा इतना था कि वो हर रोज आठ से दस घंटे तक पहाड़ की कटाई करता था। असंभव कार्य को उसने संभव कर दिया। 10 किलोग्राम वजनी हथौड़ा लेकर पहाड़ी पर चढ़ना और फिर काम करना बेहद मुश्किल है।


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