हरियाणा

पांडवों ने यहां स्‍थापित किया था शिवलिंग

Gulabi Jagat
14 July 2022 3:26 PM GMT
पांडवों ने यहां स्‍थापित किया था शिवलिंग
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शिव मंदिरों में सुबह से ही शिव भक्‍तों की भीड़ पहुंचने लगी
आज से सावन शुरू हो गए हैं। शिव मंदिरों में सुबह से ही शिव भक्‍तों की भीड़ पहुंचने लगी। आइए ऐसे में जानते हैं प्राचीन शिवलिंग और उससे जुड़ी कथा के बारे में। जहां पर शिवपूजन मात्र सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं।
सन्निहित सरोवर तट स्थित श्रीदुखभंजन महादेव मंदिर में पांडवों ने अपने कष्टों से निवृत्ति के लिए यहां शिवलिंग की पूजा की थी और इसके बाद उनके सारे कष्ट दूर हो गए। इसके बाद से यहां स्थापित शिवलिंग को दुखभंजन के नाम से जाना जाने लगा।
यहां की मान्यता है कि जो व्यक्ति पांच सोमवार को शिव की उपासना करता है भगवान शिव उसके सारे दुखों का भंजन अर्थात भस्म कर देते हैं। सन्निहित सरोवर तट स्थित शिवलिंग स्वरूप को पूजने के लिए यहां प्रत्येक सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं जो इसकी महत्ता का वर्णन करती है।
सावन के हर सोमवार को लगती है श्रद्धालुओं की भीड़
सावन माह के हर सोमवार को दुखभंजन महादेव मंदिर में श्रद्धालु बड़ी तादाद में शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए आते हैं। सावन मास के हर सोमवार को शिवलिंग को विशेष मुखौटे से सुसज्जित किया जाता है। महाशिवरात्रि पर मंदिर में विशाल मेला लगता है और कावड़ लेकर आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करते हैं।
श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के मुख्य सलाहाकार जयनारायण शर्मा ने बताया कि शिव की दुखभंजन मंदिर का इतिहास बेहद प्राचीन है। पांच सोमवार को यहां शिव की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं के सारे दुख मिट जाते हैं और उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
श्रद्धालु बलराम शर्मा ने बताया कि भगवान शिव की महिमा अपरमपार है। दुखभंजन महादेव मंदिर में दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। श्रावण मास में शिवलिंग का दूध से अभिषेक करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
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