हरियाणा

NDRI की क्लोन तकनीक ने हासिल की एक और सफलता

Gulabi Jagat
18 Oct 2022 12:28 PM GMT
NDRI की क्लोन तकनीक ने हासिल की एक और सफलता
x
करनाल की राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में दो दशक पहले शुरू हुई क्लोन तकनीक सफल साबित हुई है। संस्था के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक अब पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। क्लोन भैंस गरिमा2 ने सामान प्रेशर से स्वस्थ बच्चे को जन्म देकर यह साबित किया कि भारत ही क्लोन तकनीक पूरी तरह से सफल हुई है।
9 अक्टूबर को पैदा हुए इस बच्चे के जन्म के बाद डेयरी अनुसंधान संस्था के वैज्ञानिक काफी खुश हैं साथ ही वैज्ञानिकों का कहना यह है कि इस तकनीक के बाद में किसी भी तरह की कोई कमी की संभावना नहीं रही है। संस्था के वरिष्ठ डॉक्टर मनोज कुमार ने बताया कि गरिमा2 देश की पहली जीवित क्लोन भैंस है जिसने जिसने अब तक 3 मेल और 4 फीमेल संतानों को जन्म दिया है। साथ ही इसके सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ है डाक्टर मनोज ने कहा कि संस्था में दो दशक पहले क्लोनिंग की शुरुआत की गई थी। जिसके बाद इस तकनीकी सफलता का सफर आगे बढ़ता गया और आज हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि यह क्लोन तकनीक भारत में पूरी तरह से सफल है।
इसके साथ ही डॉक्टर मनोज ने कहा कि जो भैस सबसे अच्छा दूध देती है हम उसका क्लोन तैयार करते हैं। जिस पशु का क्लोन तैयार करना होता है हम उसके शरीर से छोटा टिशू लेते हैं जिसके बाद इसका प्रयोगशाला में ही संवर्धन कर लाखों कोशिका बनाते हैं। इसके बाद इसको साल्टहाउस से एक पशु का गुणसूत्र निकालकर उसका 7 दिनों तक कल्चर करते हैं। इसके बाद भूर्ण की उत्पत्ति होती है। हम यह भूर्ण भैस में ट्रांसफर करते हैं गर्भावस्था के बाद बच्चे का जन्म होता है।
डाक्टर मनोज ने कहा कि क्लोन तकनीक से तैयार हुए पशु और फिर के बच्चे पूरी तरह से अच्छा दूध दे रहे हैं। इससे भविष्य में हमारे देश ने दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी जिससे कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। इस तकनीक से हम शुरू से ही पशु के इतिहास के बारे में जानकारी का पता लगाते हैं कि वह कैसा होगा साथ ही उन्होंने कहा मुझे खुशी है कि देश के दूध उत्पादन को बढ़ाने में क्लोन तकनीक 1 मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से हम एक ही समय में हजारों की संख्या में मेल या फीमेल बच्चे पैदा कर सकते हैं उन्होंने कहा कि लोगों ने तकनीक से लेकर अब तक की प्रक्रिया पूरी तरह से हमारी उम्मीदों के अनुसार सही चल रही है। नॉनवेज कर्मों से पैदा हुए बच्चों में 3 महीने में और तीन फीमेल है। घर में पैदा हुए हमारे दो दशकों के प्रयोग और टेस्टिंग का सफल परिणाम साबित हुआ है साथ ही भविष्य में तैयार कर सकते हैं। किसानों को दूध उत्पादन को बढ़ा सकते हैं भविष्य में ऐसी स्वदेशी तकनीक पर भी काम कर रहे हैं। जिससे हमारी इच्छा अनुसार केवल मेल फीमेल में ही हो सके और यह प्रयोग अंतिम चरण में है।
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story