हरियाणा

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने तहसील कार्यालय पहुंचे विधायक, लोगों ने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का किया खुलासा

Shantanu Roy
8 July 2022 4:49 PM GMT
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने तहसील कार्यालय पहुंचे विधायक, लोगों ने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का किया खुलासा
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घरौंडा। तहसील कार्यालय में पटवारी व तहसीलदार के रीडर पर भ्रष्टाचार व अभद्रता के आरोप लगे हैं। विधायक के सामने ही लोगों ने कहा कि बिना पैसे दिए यहां कोई काम नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि काम करवाने के लिए कई-कई महीने तक चक्कर काटने पड़ते हैं। मौके पर मौजूद विधायक हरविंद्र कल्याण ने कर्मचारियों पर लताड़ लगाई है। साथ ही एसडीएम को मामले की जांच करने के लिए निर्देश भी दिया है।

विधायक ने पटवारी व रीडर को जमकर लगाई लताड़
दरअसल शुक्रवार को विधायक हरविंद्र कल्याण अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए तहसील कार्यालय में पहुंचें। लाइसेंस की फाइल जमा करवाने के बाद जैसे ही वे अपनी कार में बैठे तो लोगों ने पटवारी व तहसीलदार के रीडर पर भ्रष्टाचार व अभद्रता के आरोप लगाए। जिसके बाद विधायक हरविंद्र कल्याण एसडीएम कार्यालय में पहुंचे और शिकायतें सुनने बैठ गए। विधायक के सामने एक के बाद एक शिकायतकर्ता ने पटवारी अशोक और रीडर गुलशन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए। जिसके बाद पटवारियों व कर्मचारियों के पसीने छूट गए।
विधायक के सामने लोगों ने भ्रष्टाचार, बदसलूकी, अभद्रता, लेटलतीफी, रिश्वतखोरी जैसे कई गंभीर आरोप लगाए। इतना ही नहीं पटवारियों द्वारा तहसील कार्यालय में अपने चेले बैठाकर काम करवाने तक की बातें सामने आई है। तहसील कार्यालय में पनपे भ्रष्टाचार व अभद्रतापूर्ण रवैये से विधायक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। विधायक ने पटवारी व रीडर को जमकर लताड़ लगाई और एसडीएम को दोनों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके साथ ही एसडीएम ने तहसील प्रांगण में अवैध तरीके से दुकानें खोले बैठे वसीका टाइपिस्टों को तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए अपना सामान उठाने का आदेश दे दिया है।
लोगों ने विधायक के सामने गिनवाई अलग-अलग समस्याएं
गांव कैमला के मनीष धीमान ने आरोप लगाया कि तहसील में उसको अपने छोटे से काम के लिए डेढ़ महीने तक चक्कर काटने लगे। जब वह गुलशन रीडर से मिला तो उसने उसके साथ बुरा बर्ताव किया। वहीं गढ़ी भरल के सरपंच शौकीन ने भी इंतकाल संबंधी कार्य को लेकर शिकायत की और बताया कि तहसील कर्मचारी सरपंचों के साथ भी अभद्रता करने से नहीं कतराते और रिश्वत के चक्कर में जानबूझकर फाइलों को अटकाते है। जिस काम को करने में 15 दिन का समय लगता है उसको साल छह महीने तक अटका दिया जाता है। वहीं प्रवेश कुमार ने कहा कि उसका विरासत का इंतकाल था। जिसके संदर्भ में वह पटवारी से मिला था। पटवारी ने उसे 15 दिन में आने को कहा था, लेकिन 20-25 दिन तक भी कोई फोन नहीं आया। पटवारी का ट्रांसफर हो चुका है। नया पटवारी आया तो उसने भी तीन महीने निकाल दिए। जो काम 15 दिन में होना था उसके लिए पांच महीने लगा दिए।
शिकायत में अवैध कालोनियों की रजिस्ट्रियों होने का भी हुआ खुलासा
भ्रष्टाचार की परतें खुली तो अवैध कालोनियों में रजिस्ट्रियों का भी खुलासा हो गया। बसताड़ा निवासी सुरेश फौजी ने आरोप लगाया कि उसके सामने तीन रजिस्ट्रियां हुई, जो अवैध कालोनियों की है। उसकी भी एक रजिस्ट्री थी, लेकिन उसे लेकर कोई कार्यवाही नहीं की गई, क्योंकि उसने पैसे नहीं दिए। तहसील में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। विधायक ने सुरेश फौजी से लिखित में शिकायत ली है। इसके अलावा नगर पालिका के संदर्भ में भी विधायक के सामने शिकायत दी गई।
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