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हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीच चल रही कानून जंग खत्म, वापस लिया मानहानि का मुकदमा

Gulabi Jagat
7 Jun 2022 1:16 PM GMT
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीच चल रही कानून जंग खत्म, वापस लिया मानहानि का मुकदमा
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दुष्यंत चौटाला ने वापस लिया मानहानि का मुकदमा
चंडीगढ़: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और गृहमंत्री अनिल विज के बीच चल रही कानूनी लड़ाई अब खत्म हो गई है. दुष्यंत चौटाला ने विज के खिलाफ दायर मानहानि का केस (dushyant chautala anil vij defamation case) वापस ले लिया है. यह मामला हिसार कोर्ट में चल रहा था. चौटाला के वकील ने सोमवार को अदालत से गृहमंत्री अनिल विज के खिलाफ दायर मानहानि का केस वापस लेने की अर्जी दी. इस पर अदालत में सुनवाई हुई. दरअसल 2018 में सांसद रहते हुए दुष्यंत चौटाला ने अनिल विज पर करोड़ों रुपये के दवा घोटाले का आरोप लगाया था. इसके बाद विज ने दुष्यंत चौटाला को नशेड़ी बताया था. जिसके बाद दुष्यंत ने अनिल विज के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था.
कोर्ट में चल रहे मामले के अनुसार 18 मार्च 2018 को तत्कालीन सांसद दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपये की दवा एवं उपकरण खरीद को लेकर घोटाले के आरोप लगाए थे. इस संबंध में एक आरटीआई से ली गई जानकारी के कागजात भी दुष्यंत चौटाला ने दिखाए थे. यह मामला बहुत चर्चा में आया और सरकार की किरकिरी हुई थी. घोटाले का आरोप लगाये जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने 3 अप्रैल, 2018 को दुष्यंत चौटाला पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने दुष्यंत चौटाला को नशेड़ी बताते हुए इलाज करवाने की सलाह दी थी.
अनिल विज के इस बयान पर दुष्यंत ने आपत्ति जाहिर करते हुए 7 जुलाई 2018 को अदालत में मानहानि का केस दर्ज करवाया था.दुष्यंत चौटाला का घोटाले का आरोप मामला हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले का है. उस वक्त ये चुनाव में भी मुद्दा बना था. इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी बीजेपी के विरोध पर चुनाव लड़ रही थी. चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. जिसके बाद पहली बार चुनाव लड़ रही जेजेपी ने अपने 10 विधायकों के साथ बीजेपी को समर्थन देकर प्रदेश में सरकार बना ली. मानहानि के केस की सुनवाई में ज्यादातर समय दुष्यंत चौटाला कोर्ट में पेश ही नहीं हुए. उसी समय ये लगने लगा था कि सरकार में सहयोगी होने के बाद अब दोनों नेताओं के बीच शायद सबकुछ ठीक हो गया है.
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