हरियाणा
जानें किस बात को लेकर इतना हिंसक हो गया खेदड़ प्रकरण, पढ़ें पूरा विवाद
Gulabi Jagat
10 July 2022 12:48 PM GMT

x
हिसार। खेदड़ थर्मल प्लांट को लेकर शुरू हुए विवाद ने इतना तूल पकड़ लिया है कि प्रदेश में हर ओर चर्चा है। मगर एक मांग को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन इतना हिंसक क्यों हो गया और बात एक ग्रामीण की मौत तक पहुंच गई यह बड़ा सवाल है। पुलिस ने 10 नामजद समेत 700 ग्रामीणों पर केस दर्ज किया है। ग्रामीण धरने पर हैं और प्रशासन से ठनी हुई है। मृतक का अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया है। दरअसल इस पूरे विवाद की आखिर वजह क्या है।
बरवाला स्थित राजीव गांधी खेदड़ थर्मल प्लांट की स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी। इसके बाद जब प्लांट शुरू हुआ तो राख भी निकलने लगी। प्लांट 80 प्रतिशत राख तो अपने पास रखता था मगर 20 प्रतिशत राख को नियमानुसार एक तालाब में डंप किया जाता था। प्लांट की स्थापना के बाद से ही ग्रामीण इस 20 प्रतिशत राख को संभालते आ रहे थे। इस राख का प्रयोग फ्लाई एश से निर्मित ईंटें और फिलिंग के लिए किया जाता है। सूत्रों की मानें तो प्लांट से हर रोज तीन से चार हजार टन राख निकलती है।
जोकि ग्रामीणों के पास जाती थी। इसके साथ ही इस राख की लोडिंग अनलोडिंग के कार्य से भी आय होती थी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि लगभग वर्ष 2011-12 के समय थर्मल प्लांट प्रशासन ने राख उठान को लेकर आपत्ति जताई। जब वह इस समस्या के निदान निकालने में कामयाब नहीं हुए तो जिला प्रशासन से भी हस्तक्षेप करने को कहा। मगर इस मामले में हमेशा से ही कभी समाधान नहीं निकल सका।
अब एनजीटी के आदेश का कराया जा रहा पालन
हाल ही में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) व पर्यावरण मंत्रालय ने थर्मल प्लांटों की 20 प्रतिशत वेस्ट में जा रही राख को भी जरूरी वस्तु माना है। इसके साथ ही इसका प्रयोग जरूरी मानते हुए टेंडर जारी करने के निर्देश दिए हैं। इसी को लेकर थर्मल प्लांट ने 12 वर्ष बाद इस राख को लेकर टेंडर जारी किया। वहीं इस राख के रेट को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से बात चल रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की सड़कों में फिलिंग के लिए इस राख का प्रयोग हो सकता है। आसपास कोई थर्मल प्लांट भी नहीं है ऐसे में खेदड़ प्लांट की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आमतौर पर आसपास के राज्यों में राख मंगानी को सुदूर क्षेत्रों से लाई जाती है।
सीएम ने गोशाला का खर्च उठाने की करी थी पेशकश
ग्रामीणों का कहना है कि खेदड़ प्लांट की राख नहीं मिलेगी तो उनकी गोशाला चल नहीं पाएगी। ऐसे में इस समस्या को लेकर धरनारत ग्रामीण सीएम मनोहर लाल से कुछ समय पहले मिले थे। जब सीएम ने ग्रामीणों से कहा था कि गोशाला को चलाने के लिए जितना खर्चा होता है उतना खर्चा वह विभाग से दिलवा देंगे। एक अधिकारी खर्चे का आंकलन कर लेगा। मगर बताया जाता है कि ग्रामीण इस बात पर राजी नहीं हुए। फिर कुछ दिन पहले बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला से मिलने भी ग्रामीण जनता दरबार में पहुंचे मगर यहां भी ग्रामीणों की कोई बात नहीं बनी।

Gulabi Jagat
Next Story