हरियाणा

करनाल: सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मूक-बधिरों से उनकी भाषा में करेंगे बात, सीखेंगे सांकेतिक भाषा

Renuka Sahu
16 Jan 2022 3:45 AM GMT
करनाल: सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मूक-बधिरों से उनकी भाषा में करेंगे बात, सीखेंगे सांकेतिक भाषा
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फाइल फोटो 

अब मूक-बधिरों को सरकारी कार्यालयों में अपनी बात समझाने के लिए ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अब मूक-बधिरों को सरकारी कार्यालयों में अपनी बात समझाने के लिए ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी। हरियाणा के करनाल में विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उनकी सांकेतिक भाषा सीखेंगे और उनसे उनकी भाषा में बात करके उनका दर्द समझेंगे और समाधान भी करेंगे। जिला प्रशासन की ओर से सभी सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों को सांकेतिक भाषा सिखाई जाएगी, ताकि किसी भी कार्यालय में आने वाले मूक-बधिरों को काम कराने में कोई दिक्कत न आए।

अधिकारियों और कर्मचारियों को माता प्रकाश कौर श्रवण वाणी केंद्र की ओर से सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रत्येक शुक्रवार को इसके लिए दो घंटे की विशेष कक्षा लगा करेगी। कोरोना के चलते 26 जनवरी तक सभी प्रशिक्षण संस्थान बंद हैं, ऐसे में 28 जनवरी से कक्षा शुरू होगी। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने इसके लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है और सभी विभागों के अध्यक्षों को प्रशिक्षण के लिए आदेश भी जारी कर दिए हैं।
पहले केवल ऑफलाइन कक्षा ही रखी जाएगी। जो करनाल जिले के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए होगी। दूसरे चरण में कक्षा को ऑनलाइन भी शुरू किया जाएगा। जिसमें प्रदेश के कई जिलों के अधिकारी कर्मचारी शामिल हो सकेंगे। शुरुआत में जीटी बेल्ट के जिलों को लिया जाएगा। प्रदेश में मूक बधिरों की संख्या हजारों में है। करनाल के केंद्र में भी विभिन्न जिलों के बच्चे पढ़ते हैं।
पहले चरण में स्वास्थ्य, बैंक, रोडवेज कर्मियों को मिलेगा प्रशिक्षण
सांकेतिक भाषा की प्रशिक्षण कक्षा के पहले चरण में उन चार विभागों को शामिल किया गया है, जहां सबसे ज्यादा मूक-बधिरों को परेशानी आती है। इनमें स्वास्थ्य विभाग, बैंक, डाक घर और रोडवेज शामिल हैं। डॉक्टर को सांकेतिक भाषा का ज्ञान न होने पर मूक-बधिर के इलाज में परेशानी आती है। बैंक व डाक घर कर्मी खाता खोलने व लेन-देन संबंधित कार्य नहीं कर पाते। इसके अलावा रोडवेज में कंडक्टर को मूक-बधिर का टिकट काटने में दिक्कत आती है।
प्रधानमंत्री ने सांकेतिक भाषा को मान्यता दी है। कई विभागों में मूक-बधिरों की बात समझ न आने की शिकायतें भी आई थी। वे भी हमारे समाज का हिस्सा हैं, उनके दर्द को समझते हुए सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों को सांकेतिक भाषा सीखने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।- निशांत कुमार यादव, उपायुक्त
विभागों के अधिकारी और कर्मचारी के अलावा मूक-बधिरों के हित में कोई भी इच्छुक व्यक्ति आकर निशुल्क प्रशिक्षण ले सकता है। संस्थान का प्रशिक्षक ही सभी को प्रशिक्षण देगा। मूक-बधिर बच्चों के अभिभावकों के लिए शनिवार को कक्षा लगती है।
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