हरियाणा
हरियाणा में सबसे ज्यादा यमुनानगर में हुआ लंपी बीमारी का प्रकोप
Ritisha Jaiswal
8 Aug 2022 9:50 AM GMT
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हरियाणा के यमुनानगर जिले के ग्रामीण इलाकों के अलावा शहरी इलाकों में भी गाय लंपी बीमारी से पीड़ित हैं.
हरियाणा के यमुनानगर जिले के ग्रामीण इलाकों के अलावा शहरी इलाकों में भी गाय लंपी बीमारी से पीड़ित हैं. इस बीमारी के संक्रमण के साथ-साथ पशुपालकों की चिंताएं भी लगातार बढ़ रही है. लंपी की दहशत में कुछ पशुपालक अपने पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने के लिए परेशान हो रहे हैं. हरियाणा के पशु पालन मंत्री जेपी दलाल ने भी इस मामले में विभाग को सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश जारी कर दिए हैं. इसके बाद पशुपालन विभाग के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बीएस लौरा ने यमुनानगर के विभिन्न इलाकों का दौरा किया और जमीनी हकीकत जानी. डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बीएस लौरा ने पशुपालकों व विभाग के डॉक्टरों से मुलाकात की और उन्हें जरूरी हिदायतें भी दी.
3 पशुओं की हो चुकी है मौत, डॉक्टरों की कई टीमें गठित की गई
पशुपालन विभाग के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बीएस लौरा ने बताया कि यमुनानगर जिला में 4 से 5 हजार गाय लंपी स्किन रोग से प्रभावित हुई हैं. इसी के चलते एवं कुछ अन्य कारणों से 3 पशुओं की मौत भी हुई है. डीजी डॉक्टर बीएस लौरा ने बताया कि इस बीमारी को काबू करने के लिए विभाग द्वारा सभी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि यमुनानगर जिला में यह रोग सबसे अधिक है, इसलिए यहां डॉक्टरों की विभिन्न टीमें तैनात की गई हैं. इसके अलावा प्रभावित गायों का इलाज भी किया जा रहा है.
लंपी से दहशत में न आए लोग, इंसानों में नहीं फैलता संक्रमण
डीजी पशुपालन बीएस लौरा ने महत्वपूर्ण हिदायते देते हुए कहा कि यह रोग पशुओं से संबंधित है और इंसान में नहीं फैलता, इसलिए इससे दहशत में आने की जरूरत नहीं है. रही बात गाय के दूध की तो उसे उबालकर ही बच्चो को और बड़ों को पीना चाहिए. पशुपालन विभाग के डायरेक्टर जनरल का कहना है कि यह बीमारी हरियाणा के साथ लगते राजस्थान व पंजाब से आई हो सकती है. इसलिए हरियाणा के सभी उपायुक्त व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि पशुओ को भारत सरकार के दिशानिर्देशों एवं गाइडलाइन के मुताबिक बॉर्डर क्रॉस होने से रोके. कोई भी पशु एक से दूसरे राज्य में ना जा पाए, इसकी व्यवस्था की जाए.
प्रभावित गायों को न लगाए जाएं प्राइवेट कंपनी के इंजेक्शन
पशुपालन विभाग के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बीएस लौरा ने यह भी बताया कि इस रोग से प्रभावित गाय को बुखार होता है. जिसके बाद उसका दूध कम हो जाता है. चार-पांच दिन के बुखार के बाद बुखार कम होना शुरू हो जाता है. जिसके चलते धीरे-धीरे दूध भी बढ़ने लगता है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए कुछ प्राइवेट कंपनियों द्वारा इंजेक्शन मार्केट में लाए गए हैं. वहीं उन्होंने कहा की जिन पशुओं को यह बीमारी है उन्हें इसके बचाव के लिए वैक्सीनेट नहीं किया जा सकता. क्योंकि इससे बीमारी और बढ़ने का खतरा रहेगा. उन्होंने पशु चिकित्सकों को कहा कि वह बीमारी प्रभावित एरिया के पशुओं को इंजेक्शन ना लगाएं
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