आईआईएम को कोर्ट की फंक्शनिंग पर रिसर्च करनी चाहिए: जस्टिस राजेश बिंदल
रोहतक: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट (आईआईएम) रोहतक ने दो नए पांच वर्षीय प्रोग्रामों 'इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन लॉ' (आईपीएल) और 'इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेन्ट' (आईपीएम) के नए बैच शुरू करने की घोषणा की है। दोनों प्रोग्राम आईआईएम में अपनी तरह के पहले प्रोग्राम हैं। आईपीएल के छात्रों को पांच वर्ष खत्म होने पर बीबीए और एलएलबी दोनों डिग्री मिलेगी, वहीं आईपीएम के छात्रों को बीबीए और एमबीए की डिग्री मिलेगी। नए बैच में 20 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के छात्र शामिल हैं। आईपीएम 05 बैच और आईपीएल 03 बैच में तकरीबन 50 फीसदी महिलाएं हैं।
दो दिवसीय इंडक्शन एवं ओरिएन्टेशन प्रोग्राम के दौरान आईआईएम ने यह जानकारी साझा की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश, जस्टिस राजेश बिंदल ने आईआईएम रोहतक से कहा कि संस्थान को कोर्ट की फंक्शनिंग पर रिसर्च करनी चाहिए, ताकि आने वाले समय में मुकदमों की संख्या को कम किया जा सके। जस्टिस बिंदल ने हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषा के अलावा क्षेत्रीय भाषाएं सीखने के महत्व पर ज़ोर दिया। जस्टिस बिंदल ने कारोबार के अनुकूल माहौल के निर्माण में न्यायपालिका की भूमिका पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि कमर्शियल मुकदमों की सही हैण्डलिंग तथा इसमें एआई जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग से कारोबार के माहौल को अनुकूल बनाया जा सकता है। उन्होंने यहां आईआईएम रोहतक के विशेष प्रोग्रामों और उपलब्धियों पर रोशनी डाली। इनमें संस्थान की रिकॉर्ड लिंग विविधता तथा कश्मीरी छात्राओं के लिए समर्पित प्रोग्राम शामिल हैं। जिनके साथ यह आईआईएम देश के सबसे आधुनिक संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है।उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि समय का सदुपयोग करें और संस्थान की विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ उठाकर ज्ञान अर्जित करें। आजीवन लर्नर बनें और समय प्रबन्धन का महत्व सीखें।
योजना आयोग के पूर्व डिप्टी चेयरमैन डॉ. मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि जिस गति से भारत की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो रही है, वह देश की तीव्र विकास दर को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के विकास के लिए स्थायी आर्थिक विकास एवं नवीकरणीय स्रोतों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। साथ ही उन्होंने 2070 तक कार्बन न्यूट्रेलिटी हासिल करने के दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए लिए सौर एवं पवन उर्जा तथा इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की पहुंच बढ़ानी होगी।’
आईआईएम रोहतक के डायरेक्टर प्रोफेसर धीरज शर्मा ने कहा कि आने वाले समय में वे तीनों प्रकार की लर्निंग- पियर-टू-पियर लर्निंग, सेल्फ लर्निंग और इंडस्ट्रक्शनल लर्निंग में आईआईएम की संस्कृति को बनाए रखते हुए आगे बढ़ेंगे। अपने स्वागत सम्बोधन को समाप्त करते हुए उन्होंने छात्र के जीवन में अनुशासन और टेक्नोलॉजी के विवेकपूर्ण उपयोग की सलाह दी।