हरियाणा
'मैं हारकर भी जीता हुआ हूं'... पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का चुनावी गणित
Gulabi Jagat
16 July 2022 12:00 PM GMT

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पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का चुनावी गणित
चंडीगढ़। हरियाणा की पिछली भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बाद दूसरे नंबर के सबसे पावरफुल मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु 2019 के विधानसभा चुनाव में नारनौंद से हुई अपनी हार को हार नहीं मानते। उनकी दलील है कि राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों में केवल नारनौंद सीट ऐसी थी, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले वोटों से अधिक वोट विधानसभा चुनाव में मिले थे।
2019 के विधानसभा चुनाव में अनिल विज और डा. बनवारी लाल को छोड़कर मनोहर सरकार के सभी तत्कालीन मंत्री विधानसभा चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में भाजपा ने 75 पार सीटों का नारा दिया था, जबकि जीत 40 पर हुई थी।
2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि वैसे तो सभी तत्कालीन मंत्रियों के चुनाव हारने के अलग-अलग कारण रहे होंगे, लेकिन नारनौंद विधानसभा सीट का गणित कुछ अलग तरह का है। कैप्टन ने यह गणित विस्तार से समझाया।
उन्होंने नारनौंद से सटी उचाना विधानसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता की हार तक का जिक्र किया। कैप्टन ने कहा कि नारनौंद विधानसभा सीट पर 2014 में मुझे जितने वोट मिले थे, 2019 में करीब 10 हजार वोट बढ़ाकर मिले हैं। भले ही इस चुनाव में हार हुई और जजपा के टिकट पर रामकुमार गौतम जीत गए, लेकिन नारनौंद की जनता ने मुझ पर पहले से अधिक भरोसा किया है।
कैप्टन अभिमन्यु ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिले वोटों का गणित भी साझा किया। उन्होंने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव के पांच माह बाद विधानसभा के चुनाव हुए थे। हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यभार संभालने के बाद हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ा। हमें लोकसभा की 10 सीटों पर जितने वोट मिले थे, विधानसभा चुनाव में 90 विधानसभा सीटों पर उनसे 27 लाख वोट कम आए।
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि इन 27 लाख वोटों को यदि राज्य की 90 विधानसभा सीटों में बांटा जाए तो औसतन एक सीट पर 30 हजार वोटों की कमी आई। इसके क्या कारण रहे होंगे, यह अलग समीक्षा का विषय है, लेकिन 90 विधानसभा सीटों में नारनौंद सीट एकमात्र ऐसी थी, जिसमें लोकसभा चुनाव में मिले वोट कम नहीं हुए, बल्कि 10 हजार बढ़े हैं।
तमाम प्रयासों के बावजूद पत्नी को नहीं जिता पाए बीरेंद्र सिंह
कैप्टन ने दावा किया कि नारनौंद की जनता ने हलके में किए गए विकास कार्यों पर पार्टी का समर्थन पहले से बढ़ाकर दिया है। बगल में उचाना विधानसभा सीट भी थी, जहां जजपा के टिकट पर दुष्यंत चौटाला जीते और भाजपा के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रेमलता चुनाव हार गई।
उचाना में स्वयं चौधरी बीरेंद्र सिंह, उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह और पूर्व विधायक पत्नी प्रेमलता ने खूब मेहनत की। लेकिन उचाना में प्रेमलता की हार का अंतर बहुत अधिक रहा। इसी तरह, राज्य में जिन सीटों पर तत्कालीन मंत्री चुनाव हारे थे, उनकी हर सीट का अपना अलग-अलग समीकरण रहा होगा, लेकिन नारनौंद में की जनता ने मुझे हराकर भी जिता दिया, जिसके लिए मैं उपकृत हूं।
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