हरियाणा
Hisar: प्रदेश की हवा में घुटने लगा दम, देश का तीसरा सबसे प्रदूषित हिसार; स्थिति गंभीर
Tara Tandi
5 Nov 2024 7:29 AM GMT
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Hisar हिसार: प्रदेश में प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए सख्त नियम सिर्फ कागजों में लागू दिख रहे हैं, जिनका जमीनी स्तर पर अभी तक असर नहीं दिखा है। प्रदेश की प्रदूषित हो चुकी हवा में लोगों का दम घुटने लगा है। दिवाली के बाद से प्रदूषण से राहत नहीं नजर आ रही है।
इसमें सबसे ज्यादा हिसार का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 379 पहुंच गया है, जबकि फतेहाबाद 322, गुरुग्राम 310 व चरखी-दादरी 308 भी खतरनाक स्थिति में हैं। देश में सबसे प्रदूषित शहर राजस्थान का श्रीगंगानगर है, जहां एक्यूआई 417 (गंभीर) पहुंच गया है। एक दिन पूर्व बीते रविवार को चरखी-दादरी 280, फतेहाबाद 214 और गुरुग्राम 281 था, जबकि हिसार के एक्यूआई की गणना तकनीकी कारणों से नहीं हो सका था।
31 अक्तूबर की दिवाली के बाद एक नवंबर को देश में अंबाला(एक्यूआई 367) सबसे प्रदूषित शहर था। अगले ही दिन इसके एक्यूआई में सुधार हुआ। रोजाना प्रदेश के तीन जिलों में एक्यूआई लेवल 300 से पार पहुंच रहा है। दो नवंबर को जींद में एक्यूआई 337, करनाल में 303 और सोनीपत फिर तीन नवंबर को बहादुरगढ़ (335) देश में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर हो गया था, जबकि चौथे नंबर पर सोनीपत (321) था। सोमवार को सोनीपत (255) और बहादुरगढ़ (275) की हवा में सुधार हुई हैं, लेकिन हिसार सहित चार जिलों की हवा बेहद प्रदूषित हो गई।
प्रदूषित शहरों की संख्या 14 पहुंचीं
देश के 50 प्रदूषित (एक्यूआई 200-300) शहरों में प्रदेश के तीन जिले सोमवार को बढ़ गए। अब इनकी कुल संख्या 11 से बढ़कर 14 हो गई है। इनमें अंबाला 206, बहादुरगढ़ 275, बल्लभगढ़ 235, भिवानी 214, फरीदाबाद 260, जींद 289, कैथल 228, करनाल 256, कुरुक्षेत्र 230, नारनौल 218, रोहतक 266, सिरसा 281, सोनीपत 254 और यमुनानगर 213 हैं।
एक्यूआई में में अचानक कमी व बढ़ोतरी के कारण
पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने बताया कि एक्यूआई लेवल 24 घंटे की गणना के आधार पर होती है।इसके अलावा प्रदूषण में अचानक कमी और बढ़ोत्तरी का कारण हवा की गति, तापमान में कमी के कारण एयर मिक्सिंग एरिया कम होना भी होता है। कई जिलों में 5 से 7 किमी. हवा चलने से प्रदूषण कम था, फिर वहीं 2 किमी प्रति घंटा या उससे कम गति से हवा चलने पर प्रदूषण बढ़ जाता है।
सेहत पर बुरा असर, मरीजों के लिए खतरे की घंटी-एक्सपर्ट
राज्य में लगातार 300 से पार एक्यूआई को एक्सपर्ट लोगों की सेहत पर बुरा असर और सांस व हृदय के मरीजों के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं। पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल के मुताबिक 300 के पार एक्यूआई की हवा में सांस लेने में तकलीफ, खांसी और छाती में जकड़न हो सकती है। हृदय रोग के मरीजों के लिए खतरे की घंटी है, रक्तचाप बढ़ सकता है और हृदय की धड़कनें तेज हो सकती है। इससे सिरदर्द, चक्कर आना और थकान हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खतरा बढ़ सकता है।
बचाव के उपाय
प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने बताया कि ऐसी स्थिति में बचाव के लिए अनावश्यक घर के बाहर ना निकले। घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर पहनें। व्यायाम, शारीरिक गतिविधियों और धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें।
राजस्थान के श्रीगंगानगर व राजधानी दिल्ली के बाद हिसार देश का सबसे प्रदूषित शहर है। इस सीजन में पहली बार हिसार का एक्यूआई 379 पहुंचा है, जबकि श्रीगंगानगर में 417 व दिल्ली में 381 है। हरियाणा के 14 शहरों में प्रदूषण का स्तर खराब श्रेणी (एक्यूआई 200-300) में दर्ज किया गया। इनमें से हिसार के अलावा चार अन्य शहरों फतेहाबाद (322), गुरुग्राम (310), चरखी दादरी (308) व मानेसर (305) में यह स्तर बहुत ज्यादा खराब श्रेणी में है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा में सरकार के लिए सोमवार को पहली बार अच्छी खबर आई है। इस सीजन में सोमवार को पहली बार राज्य में पराली जलाने का एक भी मामला नहीं आया है। 15 सितंबर से 4 नवंबर तक पराली जलाने के कुल 857 मामले आ चुके हैं। वहीं, राज्य में पराली जलाने पर 73 किसानों की रेड एंट्री की गई है। जबकि 25 नई एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, 10 किसानों का चालान कर 12500 रुपये जुर्माना वसूला गया है।
वहीं, राज्य में पहले जलाने पर कुल 276 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जबकि 661 किसानों की मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रेड एंट्री हो चुकी है, जो अब दो सीजन तक अपनी फसल एमएसपी पर नहीं बेच सकेंगे। जबकि 353 चालान कर किसानों से कुल 877500 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जा चुका है। अभी तक सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले कैथल में 158, कुरुक्षेत्र में 129, करनाल में 82, अंबाला में 78 और जींद में 67 मामले आए हैं।
अधिकारी के अनुसार
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव के मुताबिक हवा के बहाव व गति पर प्रदूषण तेजी से बढ़ने और कमी दर्ज होना काफी निर्भर करता है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर प्रदूषण फैलाने की गतिविधियां भी शामिल होती है।
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Tara Tandi
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