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हरियाणा | 1993 दिल्ली बम धमाकों के दोषी दविंदर पाल सिंह भुल्लर की समय से पहले रिहाई की मांग पर सुनवाई अब 18 अक्टूबर को होगी. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सजा समीक्षा बोर्ड ने कहा कि इस पर फैसला लिया जाएगा. भुल्लर की 4 हफ्ते के अंदर की मांग. भुल्लर को बम विस्फोट मामले में टाडा अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।
दविंदर पाल सिंह ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया कि उन्हें दिल्ली बम ब्लास्ट मामले में दोषी करार देते हुए ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. उन्होंने मौत की सज़ा को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने राहत देते हुए उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली.
भुल्लर ने याचिका में कहा कि वह पिछले 27 साल से जेल में है. दिल्ली जेल मैनुअल के अनुसार, समय से पहले रिहाई के लिए बिना छूट के 14 साल और छूट के साथ 20 साल की जेल की सजा होती है।
2011 में मौत की सज़ा मिली
देविंदर पाल सिंह भुल्लर 1993 में दिल्ली में हुए बम धमाकों का दोषी है. जिसे 2011 में मौत की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 2014 में स्वास्थ्य कारणों से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में देरी के कारण सिख संगठनों और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रयासों के बाद भुल्लर की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया गया। भुल्लर पहले तिहाड़ जेल में बंद था, लेकिन सिख कैदियों को पंजाब लाने के प्रयासों के बाद 2015 में ही उसे पंजाब की अमृतसर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
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Harrison
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