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चंडीगढ़, (आईएएनएस)। मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पहली बार संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के कांफ्रेस ऑफ पार्टीज (सीओपी27) में एक्शन फॉर लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (एलआईएफई) के माध्यम से जलवायु लक्ष्यों का समर्थन करने की अपनी पहल का प्रदर्शन कर रही है। जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) मिस्र में आयोजित किया जा रहा है।
सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन) विनीत गर्ग के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल वर्तमान में सम्मेलन में भाग लेने के लिए शर्म अल-शेख में है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि मिशन लाइफ का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अक्टूबर में गुजरात में किया था।
खट्टर के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पर्यावरण के अनुकूल कई पहल शुरू करने के साथ-साथ राज्य के हरित आवरण को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) के सीईओ विवेक सक्सेना ने भारत के जलवायु कार्रवाई और प्रतिबद्धताओं के पांच अमृत तत्वों (पंचामृत) के साथ अभिसरण में जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को संरेखित करने के लिए की गई राज्य की पहल को प्रस्तुत किया, जैसा कि प्रधानमंत्री ने यूके के ग्लासगो में हुए सीओपी26 में प्रतिबद्धता जताई थी।
विश्व पर्यावरण दिवस 2022 के अवसर पर शुरू किए गए वैश्विक अभियान के हिस्से के रूप में हरियाणा की जलवायु कार्रवाइयां पर्यावरण के लिए जीवनशैली (लाइफ) को अपनाने को भी प्रेरित करती हैं।
साइड इवेंट में हरियाणा सरकार की उन पहलों को प्रदर्शित किया गया जो जलवायु लक्ष्यों और 2070 तक जलवायु तटस्थता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करती हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा ने जंगल के बाहर कृषि वानिकी और पेड़ों को बढ़ावा देने का उदाहरण पेश किया है और जंगल के तहत केवल 3.5 प्रतिशत क्षेत्र के साथ वन-कमी वाला राज्य होने के बावजूद, गैर-वन क्षेत्रों से प्राप्त कृषि-आधारित लकड़ी देश के प्लाईवुड उत्पादन को लगभग 50 प्रतिशत सहयोग देती है।
कृषि आधारित लकड़ी उद्योगों और जंगल के बाहर पेड़ों के समर्थन के माध्यम से हरित आजीविका भी पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के माध्यम से भारत की प्रतिबद्धताओं में योगदान की सुविधा प्रदान करती है।
प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा यूएसएड समर्थित टीओएफआई (ट्रेस आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया) कार्यक्रम का भी हिस्सा है, जिसे भारत के सात राज्यों में लागू किया जाना है।
टीओएफआई कार्यक्रम 42 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर सीक्वेस्ट्रेशन में योगदान देगा और टीओएफ के तहत 2.8 मिलियन हेक्टेयर नई भूमि को कवर करेगा।
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